8th Pay Commission: केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए बड़ी निराशा की खबर सामने आई है। लंबे समय से 8वें वेतन आयोग की उम्मीद लगाए बैठे कर्मचारियों को अब और इंतजार करना होगा। पहले ऐसा अनुमान था कि 2025-26 के बजट में इसके गठन का ऐलान किया जा सकता है, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इस बारे में कोई योजना नहीं होने की बात स्पष्ट कर दी है।
राज्यसभा में सरकार ने किया स्पष्ट जवाब
राज्यसभा में 8वें वेतन आयोग के गठन पर सवाल उठाए गए, जिनके जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा, “फिलहाल इस आयोग के गठन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।” इस बयान से केंद्रीय कर्मचारियों को गहरी निराशा हुई है, क्योंकि वे लंबे समय से इस घोषणा का इंतजार कर रहे थे और सरकार के रुख से उनकी उम्मीदों को करारा झटका लगा है।
7वां वेतन आयोग: कर्मचारियों के लिए एक मील का पत्थर
2014 में यूपीए सरकार द्वारा गठित 7वां वेतन आयोग कर्मचारियों के लिए बड़े बदलाव लेकर आया था। इस आयोग की सिफारिशों को 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया, जिससे महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) में भी वृद्धि हुई। न्यायमूर्ति अशोक कुमार माथुर की अध्यक्षता वाले इस आयोग ने कर्मचारियों के वेतन संरचना को काफी बेहतर बनाया, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत हुई।
कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग का महत्व
केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग एक अहम कदम है, क्योंकि इससे उनकी सैलरी में बड़ी वृद्धि होती है। इसके साथ ही, कर्मचारियों को एरियर्स का लाभ भी मिलता है। इस प्रक्रिया से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और सरकार की ओर से हर 10 साल में वेतन आयोग की घोषणा की जाती है, जिसे लेकर कर्मचारियों में उत्साह रहता है। लेकिन इस बार सरकार के रुख ने यह संकेत दिया है कि 8वें वेतन आयोग का गठन अभी दूर है।
आने वाले दिनों में क्या होगा?
वित्त मंत्रालय के ताजे बयान से सवाल उठता है कि अगर 8वां वेतन आयोग नहीं बनेगा तो केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी का रास्ता क्या होगा? विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार किसी अन्य तरीके से वेतन में संशोधन कर सकती है, लेकिन यह प्रक्रिया वेतन आयोग के मुकाबले अधिक जटिल और समय-साध्य हो सकती है।
कर्मचारियों की चिंता और सरकार से अपेक्षाएँ
महंगाई के इस दौर में केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी वेतन वृद्धि की उम्मीदें लगाए बैठे थे, लेकिन सरकार के इस नए रुख ने उनकी उम्मीदों को कमजोर कर दिया है। अब कर्मचारी और पेंशनभोगी सरकार से स्पष्ट दिशा-निर्देश की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि उन्हें यह स्पष्ट हो सके कि भविष्य में उनके वेतन में वृद्धि कैसे होगी।
