
नई दिल्ली. One Nation One Election: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘एक देश, एक चुनाव’ के अमल में आने से चुनाव खर्च में कम से कम 30 फीसदी की कमी हो सकती है। यह बात सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के प्रमुख एन भास्कर राव ने कही।
राव ने बताया कि यदि देश में सभी स्तरों पर चुनाव 2024 में होते हैं तो इस पर 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे। लेकिन ‘एक देश, एक चुनाव’ को लागू करने पर अनुमानित 10 लाख करोड़ रुपये के चुनाव खर्च में से 3-5 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।
हालांकि, राव ने यह भी कहा कि यह बचत चुनाव आयोग की कार्यकुशलता और राजनीतिक दलों के सहयोग पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों की वर्तमान प्रथाओं पर अंकुश लगाने, चुनाव आयोग को अधिक प्रभावी बनाने और आदर्श आचार संहिता का पालन करने से ही चुनाव खर्च में कमी आ सकती है।
राव ने कहा, “एक देश, एक चुनाव पहल से अकेले चुनाव खर्च में कोई महत्वपूर्ण या पर्याप्त कमी नहीं आएगी, जब तक राजनीतिक दलों की ओर से उम्मीदवारों के चयन, प्रचार और मौजूदा पदाधिकारियों की सहूलियत से संबंधित वर्तमान प्रथाओं पर अंकुश नहीं लगाया जाता, चुनाव आयोग अधिक प्रभावी नहीं हो जाता, इसकी आदर्श आचार संहिता को राजनीतिक दलों की ओर से नहीं अपनाया जाता और चुनाव कार्यक्रम अधिक तर्कसंगत नहीं हो जाता।”
इससे पहले, केंद्र सरकार ने ‘एक देश, एक चुनाव’ की पहल को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें चुनाव आयोग के साथ मिलकर चुनाव प्रक्रिया को सुधारने और चुनाव खर्च को कम करने के लिए कई उपाय किए गए हैं।
एक देश, एक चुनाव से होने वाले फायदे
- चुनाव खर्च में कमी: 3-5 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।
- प्रभावी चुनाव आयोग: चुनाव आयोग की कार्यकुशलता से चुनाव खर्च में कमी हो सकती है।
- राजनीतिक दलों का सहयोग: राजनीतिक दलों के सहयोग से चुनाव खर्च में कमी हो सकती है।
एक देश, एक चुनाव की चुनौतियां
- राजनीतिक दलों की वर्तमान प्रथाओं पर अंकुश: राजनीतिक दलों की ओर से उम्मीदवारों के चयन, प्रचार और मौजूदा पदाधिकारियों की सहूलियत से संबंधित वर्तमान प्रथाओं पर अंकुश लगाना होगा।
- चुनाव आयोग की प्रभाविकता: चुनाव आयोग को अधिक प्रभावी बनाना होगा।
- आदर्श आचार संहिता का पालन: राजनीतिक दलों को आदर्श आचार संहिता का पालन करना होगा।
