सिओल. South Korea: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मंगलवार को देश में आपातकालीन सैन्य कानून (मार्शल लॉ) लागू करने की घोषणा की है। यह ऐतिहासिक निर्णय तब लिया गया जब राष्ट्रपति ने विपक्षी दलों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे संसद को नियंत्रित करने, उत्तर कोरिया के प्रति सहानुभूति दिखाने और सरकार को अस्थिर करने के लिए राज्य विरोधी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं।
संविधान की रक्षा के लिए जरूरी कदम: राष्ट्रपति यून
राष्ट्रपति यून ने इस फैसले को राष्ट्र की संविधान और कानून की रक्षा के रूप में पेश किया। एक टेलीविजन कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस कदम का उद्देश्य दक्षिण कोरिया की राजनीतिक स्थिरता और लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखना है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह निर्णय देश की सरकार और लोकतंत्र पर किस प्रकार का प्रभाव डालेगा। उन्होंने 2022 में राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद से विपक्ष की मजबूत आलोचनाओं और विरोध का सामना किया है, जिससे उनकी नीतियों को लागू करने में लगातार चुनौतियां आई हैं।
विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी की आपातकालीन बैठक
मार्शल लॉ लागू करने के बाद, डेमोक्रेटिक पार्टी ने संसद में राष्ट्रपति यून के फैसले के खिलाफ एक आपातकालीन बैठक बुलाई। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब राष्ट्रपति यून की पीपुल पावर पार्टी और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच अगले साल के बजट विधेयक पर सहमति नहीं बन पा रही है। इसके अतिरिक्त, यून पर अपनी पत्नी और कुछ शीर्ष अधिकारियों से जुड़ी भ्रष्टाचार की कथित घटनाओं की स्वतंत्र जांच की मांग को नकारने का आरोप भी है, जिसे लेकर विरोध और आलोचनाओं का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है।
1980 के बाद, यह पहली बार है जब दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लागू किया गया है, और इसे लेकर देश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
मार्शल लॉ लागू होने के बाद पाबंदियां और विरोध
मार्शल लॉ के लागू होने के बाद, सिओल सहित अन्य क्षेत्रों में सार्वजनिक रैलियों और प्रसारण पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जाएगी। नेशनल असेंबली, स्थानीय परिषदों, राजनीतिक दलों और प्रदर्शनों जैसी गतिविधियों पर भी रोक रहेगी। फेक न्यूज और झूठे प्रचार को नियंत्रित करने के लिए कड़े उपाय किए जाएंगे। मीडिया और प्रकाशन को भी मार्शल लॉ के तहत निगरानी में रखा जाएगा।
इस कड़े कदम के खिलाफ दक्षिण कोरिया के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए, और संसद के बाहर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें भी हुईं। इसके अलावा, विपक्षी सांसदों को हिरासत में लिया गया और हेलीकॉप्टरों के माध्यम से संसद की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इस परिदृश्य में दक्षिण कोरिया की राजनीति एक नए मोड़ पर खड़ी है, जहां लोकतंत्र और सत्ता संघर्ष की राह पर एक नई परीक्षा खड़ी हो गई है।
दक्षिण कोरिया: छह घंटे में वापस लिया मार्शल लॉ, नेशनल असेंबली ने आपातकाल हटाने की उठाई थी मांग
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने छह घंटे के भीतर ही मार्शल लॉ की घोषणा को वापस लेने का निर्णय लिया। राष्ट्रपति ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने इसे वापस लेने का निर्णय लिया है। दरअसल, मंगलवार रात को उन्होंने एक चौंकाने वाली घोषणा करते हुए देश में राष्ट्रीय आपातकाल और मार्शल लॉ लागू कर दिया था।
राष्ट्रपति का संबोधन
राष्ट्र के नाम अपने विशेष संबोधन में राष्ट्रपति यून सुक-योल ने बताया कि नेशनल असेंबली ने आपातकाल को हटाने की मांग की थी, और इस पर प्रतिक्रिया स्वरूप, उन्होंने सेना को मार्शल लॉ ऑपरेशन से वापस बुला लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए, एक कैबिनेट मीटिंग के दौरान मार्शल लॉ को समाप्त कर देगी।
सांसदों का विरोध और राष्ट्रपति का निर्णय
राष्ट्रपति यून सुक-योल के एलान के बाद दक्षिण कोरियाई सांसदों ने इसका कड़ा विरोध किया था। उन्होंने राष्ट्रपति के फैसले को नकारते हुए नेशनल असेंबली के मध्यरात्रि सत्र में सर्वसम्मति से मतदान कर मार्शल लॉ के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। इसके बाद राष्ट्रपति ने सांसदों के फैसले का सम्मान करते हुए इसे वापस लेने पर सहमति जताई, जैसा कि सेना प्रमुख ने भी किया।
सांसदों के विरोध और राष्ट्रपति के फैसले को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रपति द्वारा आदेश वापस लेने और राष्ट्र को संबोधित करने के बाद, दक्षिण कोरियाई कैबिनेट ने स्थानीय समय अनुसार सुबह 5 बजे बैठक बुलाकर आधिकारिक तौर पर मार्शल लॉ को हटाने के प्रस्ताव पर विचार किया।
