
Growing crisis for India: म्यांमार में पिछले दो हफ्तों में स्थिति गंभीर रूप से बिगड़ी है, खासकर राखिन राज्य में, जहां सैन्य शासन की पकड़ कमजोर होती जा रही है और विद्रोही समूह, अराकान सेना, का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है। इस अस्थिरता का सीधा असर बांगलादेश-म्यांमार सीमा पर पड़ा है, जिससे रोहिंग्या शरणार्थियों का एक नया सैलाब क्षेत्र में पलायन कर सकता है। इस स्थिति पर भारत की नज़रें गहरी हैं, क्योंकि यह संकट न केवल सीमाओं पर सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है, बल्कि देश के भीतर शरणार्थियों के आगमन का भी खतरा उत्पन्न कर सकता है।
भारत में शरणार्थियों की लहर का खतरा: संकट से निपटने की रणनीति
भारत म्यांमार के सभी पक्षों—सैन्य शासन और विद्रोही समूहों—के साथ संवाद बनाए हुए है। हालांकि, म्यांमार में हो रहे तेज़ बदलावों के चलते भारत को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इनमें सबसे बड़ी चिंता यह है कि रोहिंग्या शरणार्थी म्यांमार से पलायन कर भारत की सीमा की ओर बढ़ सकते हैं। भारत इन घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखे हुए है, और इसका उद्देश्य शरणार्थियों के आगमन को रोकना और सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करना है।
भारत की सतर्कता और कूटनीतिक प्रयास: सुरक्षा और शांति की ओर कदम
भारत के विदेश मंत्रालय ने म्यांमार के हालात पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि वे पूरी स्थिति पर निगरानी रखे हुए हैं और सभी पक्षों से संवाद और रचनात्मक वार्ता की आवश्यकता पर बल दिया है। मंत्रालय का स्पष्ट रुख है कि म्यांमार का संकट म्यांमार और उसके नागरिकों द्वारा ही हल किया जाना चाहिए। इसके अलावा, सुरक्षा एजेंसियों ने म्यांमार के विद्रोही समूहों के उन्नत हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी पर भी चिंता जताई है, जिससे भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में सक्रिय आतंकवादी समूहों के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है।
म्यांमार के विद्रोही समूहों का बढ़ता प्रभाव: क्षेत्रीय तनाव और भविष्य की चुनौतियां
19 और 20 दिसंबर को बैंकॉक में म्यांमार के पड़ोसी देशों की एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें म्यांमार के संकट पर गंभीर चर्चा की गई। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने भी इस बैठक में भाग लिया और सभी देशों ने म्यांमार सरकार और विद्रोही गुटों के बीच संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया। इस बैठक में म्यांमार के विदेश मंत्री ने सैन्य शासन की ओर से अगले साल चुनाव कराने का वादा किया, हालांकि विद्रोही समूहों के प्रभाव को देखते हुए इस वादे पर संदेह बना हुआ है।
भारत की रणनीति: शांति की ओर कूटनीतिक प्रयासों में सक्रियता
भारत म्यांमार में जारी संकट को गंभीरता से ले रहा है और विभिन्न कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए प्रयासरत है। सुरक्षा एजेंसियां लगातार इस संकट के संभावित परिणामों पर निगरानी रख रही हैं और भारत अपनी सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ शरणार्थियों की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तत्पर है।
भारत म्यांमार की आंतरिक अस्थिरता और उससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों को लेकर गहरी चिंता में है और विभिन्न कूटनीतिक प्रयासों के साथ-साथ अपनी सीमा सुरक्षा और शरणार्थी संकट से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
