
चिटगांव (बांग्लादेश). Saint Chinmay Krishna Das: बांग्लादेश के प्रसिद्ध हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को एक और कानूनी झटका लगा है। चिटगांव कोर्ट ने 2 जनवरी को उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया, जिससे वे अभी भी जेल में रहेंगे। इस मामले में, संत चिन्मय कृष्ण दास की तरफ से 11 वकीलों का एक पैनल सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहा था, लेकिन उनका प्रयास असफल रहा।
चीन्मय कृष्ण दास का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे अब हाईकोर्ट में जमानत के लिए नई अपील दायर करने की योजना बना रहे हैं। उच्च सुरक्षा के बीच गुरुवार को वकील अदालत पहुंचे, और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, चटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने संत दास की जमानत याचिका खारिज कर दी। इससे पहले, 11 दिसंबर 2023 को एक बांग्लादेशी अदालत ने चिन्मय कृष्ण दास की प्रारंभिक जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया था, जिसका कारण प्रक्रियागत खामियां थीं, जैसे कि वैध पावर ऑफ अटॉर्नी और वकील की अनुपस्थिति।
संत चिन्मय कृष्ण दास पर आरोप
संत चिन्मय कृष्ण दास और 19 अन्य लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। उन पर 25 अक्टूबर 2023 को चटगांव के न्यू मार्केट क्षेत्र में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है। इसके अलावा, उन पर हिंसा फैलाने और लोगों को उकसाने का भी आरोप है। बांग्लादेश में बढ़ते धार्मिक तनाव और सख्त कानूनी कार्रवाई के बीच संत चिन्मय कृष्ण दास का मामला न केवल उनके समर्थकों के लिए, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता के पक्ष में भी एक अहम मुद्दा बन चुका है।
अगले कदम
अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि वे हाईकोर्ट में जल्द ही जमानत याचिका दायर करेंगे, और उम्मीद करते हैं कि वहां से संत चिन्मय कृष्ण दास को न्याय मिलेगा। इस बीच, संत के समर्थक और उनके संगठन सनातन जागरण जोत के सदस्य इस मामले में सरकार से हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं, ताकि संत की कानूनी राहत सुनिश्चित की जा सके।
