ढाका. Bangladesh Update: बांगलादेश-भारत रिश्तों में उस समय और अधिक तनाव आ गया जब शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटा कर मोहम्मद युनूस ने सत्ता संभाली। हाल ही में बांगलादेश सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने दोनों देशों के बीच के रिश्तों को और बिगाड़ दिया है। मोहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने रविवार को भारत में 50 न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के लिए प्रस्तावित प्रशिक्षण कार्यक्रम को रद्द कर दिया। इससे भारत-बांगलादेश के संबंधों में और खटास आ सकती है। बांगलादेश के कानून मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बिना कोई विस्तृत कारण दिए कहा, “सूचना को वापस लिया गया है।”
बांगलादेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लिया गया फैसला
रिपोर्टों के अनुसार, यह निर्णय बांगलादेश के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत लिया गया है। बांगलादेश की सरकारी समाचार एजेंसी बांगलादेश संगबाद संस्था ने एक दिन पहले बताया था कि बांगलादेश के 50 निचली अदालतों के न्यायाधीशों को मध्यप्रदेश स्थित राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी और राज्य न्यायिक अकादमी में एक दिन के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेना था, जो 10 फरवरी से शुरू होने वाला था। इन न्यायाधीशों में जिला और सत्र न्यायधीश, अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायधीश, संयुक्त जिला न्यायधीश, वरिष्ठ सहायक न्यायधीश और सहायक न्यायधीश शामिल थे।
भारत ने पूरी जिम्मेदारी ली थी
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की पूरी लागत भारत सरकार द्वारा वहन की जानी थी। हालांकि, अब बांगलादेश ने यह कार्यक्रम रद्द कर दिया, जिससे भारत-बांगलादेश संबंधों में और तनाव आ सकता है।
ढाका में हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन और युनूस सरकार की कार्रवाई
भारत और बांगलादेश के रिश्तों में तनाव की शुरुआत उस समय हुई जब शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटाकर मोहम्मद युनूस ने सत्ता संभाली। हसीना की सरकार को अगस्त 5, 2024 को छात्रों के बड़े आंदोलन के बाद दिल्ली भागने पर मजबूर होना पड़ा, जिसने उनके 16 साल पुराने अवामी लीग शासन को समाप्त कर दिया। इसके बाद से युनूस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हिंदू समुदाय के सदस्यों और उनके पूजा स्थलों पर हमले बढ़ा दिए हैं। भारत ने इन घटनाओं को लेकर बांगलादेश से चिंता जताई है, खासकर जब पिछले महीने एक हिंदू संत को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस नए निर्णय से बांगलादेश और भारत के रिश्तों में और खटास आ सकती है, और इसे लेकर दोनों देशों के बीच नई तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो सकती है। बांगलादेश की वर्तमान सरकार के कदम से यह संकेत मिलता है कि आगे भी रिश्तों में जटिलताएं बनी रह सकती हैं।