नई दिल्ली. cashless treatment: सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मिलेगा कैशलेस इलाज, मार्च 2025 तक लागू होगी नई योजनाकेंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है कि सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को नकदी रहित इलाज की सुविधा दी जाएगी। यह सुविधा मार्च 2025 तक एक संशोधित योजना के तहत लागू होगी, जिससे प्रत्येक दुर्घटना के पीड़ित को 1.5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज मिल सकेगा।
योजना से कौन लाभान्वित होंगे?
यह योजना सभी प्रकार की सड़कों पर होने वाली मोटर वाहन दुर्घटनाओं के पीड़ितों पर लागू होगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दुर्घटना के शिकार लोगों को तुरंत इलाज मिल सके और उपचार के दौरान पैसों की कमी के कारण इलाज में कोई रुकावट न आए।
कैसे होगा कार्यान्वयन?
इस योजना का सफल कार्यान्वयन एक विशेष IT प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से किया जाएगा। सड़क परिवहन मंत्रालय के ई-वीडीएआर (ई-विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट) ऐप और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) की ट्रांजैक्शन मैनेजमेंट सिस्टम को जोड़कर यह प्लेटफ़ॉर्म विकसित किया जाएगा। इसके लिए NHA, पुलिस, अस्पतालों और राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित किया जाएगा।
पायलट परियोजना का अनुभव
इस योजना की शुरुआत चंडीगढ़ में 14 मार्च 2024 को पायलट परियोजना के रूप में की गई थी। इसके बाद इसे छह राज्यों में विस्तारित किया गया। पायलट परियोजना का मुख्य उद्देश्य दुर्घटना पीड़ितों को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करना था।
व्यावसायिक चालकों के लिए नए नियम
नितिन गडकरी ने यह भी बताया कि व्यावसायिक चालकों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उनके काम के घंटों की सीमा तय करने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए श्रम कानूनों का भी अध्ययन किया जा रहा है।
चालक प्रशिक्षण संस्थानों का निर्माण
भारत में चालकों की भारी कमी को देखते हुए गडकरी ने चालक प्रशिक्षण संस्थानों (डीटीआई) की स्थापना की योजना का ऐलान किया है। इन संस्थानों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन और स्वचालित प्रशिक्षण स्टेशन (एटीएस) स्थापित करने की योजना बनाई जाएगी।
ई-रिक्शा सुरक्षा में सुधार
ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा मानकों को सुधारने के लिए नए नियम और दिशा-निर्देश बनाए जाएंगे।
अन्य सुधार
6-7 जनवरी 2025 को होने वाली कार्यशाला में सड़क परिवहन क्षेत्र से जुड़े विभिन्न सुधारों पर चर्चा की जाएगी, जिनमें वाहन कबाड़ नीति को तेज़ी से लागू करना, पीयूसीसी 2.0 का देशभर में कार्यान्वयन, और बीएस-7 मानक लागू करने की समयसीमा तय करना शामिल है। यह संशोधित योजना सड़क दुर्घटनाओं के बाद त्वरित चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।