
नई दिल्ली.INDIA NEWS: एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत की हिस्सेदारी वैश्विक खपत में 2050 तक बढ़कर 16 प्रतिशत तक पहुंच सकती है, जबकि 2023 में यह केवल 9 प्रतिशत थी। इस रिपोर्ट को मैकिन्से ग्लोबल इंस्टिट्यूट ने जारी किया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि भारत के पास एक युवा और विशाल जनसंख्या का लाभ है, जो आगामी वर्षों में खपत में वृद्धि का मुख्य कारण बनेगा। इसके अलावा, महिला श्रम शक्ति में वृद्धि और डेमोग्राफिक बदलाव भी इस खपत वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
युवाओं की बढ़ती संख्या: खपत में इजाफा का मुख्य कारण
भारत की खपत में वृद्धि का सबसे प्रमुख कारण है यहाँ की युवा जनसंख्या। रिपोर्ट के अनुसार, देश में तेजी से बढ़ती हुई युवा आबादी न केवल आर्थिक विकास को गति देगी, बल्कि खपत के पैटर्न को भी बदल देगी। डेमोग्राफिक शिफ्ट के चलते, विकसित देशों की जनसंख्या उम्रदराज होती जा रही है, और वहाँ प्रजनन दर में गिरावट देखी जा रही है। इसके विपरीत, भारत जैसे विकासशील देशों में युवा आबादी का प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है, जो न केवल कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या बढ़ाता है, बल्कि उपभोक्ता मांग और खपत को भी बढ़ाता है।
2050 तक भारत की खपत में तेजी से वृद्धि: उत्तरी अमेरिका के बाद दूसरा स्थान
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2050 तक भारत, उत्तरी अमेरिका के बाद, खपत में वृद्धि के मामले में सबसे आगे होगा। उत्तरी अमेरिका का हिस्सा वैश्विक खपत में 17 प्रतिशत तक रहेगा, जबकि भारत की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। यह आंकड़ा क्रय शक्ति समता (Purchasing Power Parity) के आधार पर अनुमानित किया गया है, जो देशों के बीच मूल्य अंतर को समान करता है।
वैश्विक खपत का बदलता परिदृश्य: डेमोग्राफिक बदलाव का असर
डेमोग्राफिक बदलाव वैश्विक खपत के पैटर्न को प्रभावित करेगा। विकसित देशों में आबादी वृद्धि की दिशा में जा रही है, जबकि विकासशील देशों में युवा जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2050 तक वैश्विक आबादी का केवल 26 प्रतिशत हिस्सा ‘फर्स्ट-वेव’ या विकसित देशों में होगा, जबकि 1997 में यह आंकड़ा 42 प्रतिशत था। इसका मतलब यह है कि विकासशील देशों, खासकर भारत जैसे देशों की खपत में बड़ी हिस्सेदारी होगी।
महिला श्रम शक्ति में वृद्धि: भारत की जीडीपी में बढ़ोतरी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यदि भारत अपनी महिला श्रम शक्ति में 10 प्रतिशत का इजाफा करता है, तो इससे प्रति व्यक्ति जीडीपी में 4 से 5 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। महिला श्रम शक्ति में वृद्धि न केवल भारत की आर्थिक वृद्धि को तेज करेगी, बल्कि सामाजिक समानता और समावेशन को भी बढ़ावा देगी। महिलाओं का कार्यबल में योगदान, विशेषकर भारतीय अर्थव्यवस्था में, एक महत्वपूर्ण कारक बन सकता है जो समग्र विकास की दिशा को प्रभावित करेगा।
डेमोग्राफिक डिविडेंड: भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान
भारत की जीडीपी में डेमोग्राफिक डिविडेंड का भी अहम योगदान है। 1997 से 2023 के बीच, भारत की जीडीपी प्रति व्यक्ति में औसतन 0.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कार्यशील आबादी की बढ़त का परिणाम है। यह वृद्धि भारत के युवा वर्ग और बढ़ती श्रम शक्ति के कारण संभव हो पाई है, जो आने वाले दशकों में और भी तेजी से बढ़ेगी।
भारत का भविष्य खपत और विकास में उज्जवल
मैकिन्से ग्लोबल इंस्टिट्यूट की इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि भारत की खपत में तेजी से वृद्धि हो रही है और इसका भविष्य बहुत ही उज्जवल नजर आता है। युवा जनसंख्या, महिला श्रम शक्ति में वृद्धि और डेमोग्राफिक बदलाव, इन सभी कारकों के चलते भारत की खपत में वृद्धि की संभावना है, जो देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगी। 2050 तक, भारत के खपत में हिस्से के बढ़ने से वैश्विक खपत के पैटर्न में भी बड़ा बदलाव आएगा, और भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरेगा।
