
जयपुर. Rajasthan Bad Politics: भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्ञानदेव आहूजा को पार्टी से निलंबित कर दिया गया है और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। पार्टी ने आहूजा से तीन दिन के भीतर इस मामले पर अपना स्पष्टीकरण मांगा है। यह कदम उस समय उठाया गया, जब आहूजा ने नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली पर विवादित टिप्पणी की थी, जो भाजपा में भी हलचल का कारण बन गई है। आहूजा के इस कृत्य के बाद, पार्टी में उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए गए हैं और साथ ही कई सामाजिक संगठनों ने भी उनके बयान की आलोचना की है।
क्या था विवाद?
यह विवाद 6 अप्रैल को शुरू हुआ, जब नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली रामलला मंदिर के दर्शन के लिए शालीमार, अलवर स्थित अपने घर से रामलला मंदिर गए थे। इसके अगले दिन 7 अप्रैल को, रामगढ़, अलवर के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा रामलला मंदिर पहुंचे और वहां गंगाजल का छिडक़ाव किया। आहूजा का कहना था कि रामनवमी के दिन कांग्रेस के नेताओं को मंदिर में बुलाया गया था, जिससे मंदिर अपवित्र हो गया है।
आहूजा ने कहा, “मैंने गंगाजल छिडककऱ मंदिर को फिर से पवित्र किया है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि टीकाराम जूली हिंदू विरोधी हैं और वे करणी माता मंदिर और श्रीराम मंदिर गए थे। आहूजा ने यह बयान दिया कि जूली के पांव जहां तक पहुंचेंगे, वहां वह गंगाजल छिडक़ेंगे और भगवान श्रीराम का पूजन करेंगे।
भाजपा का आहूजा के खिलाफ कार्रवाई का कदम
आहूजा की इस टिप्पणी ने पार्टी के भीतर भी हलचल मचा दी थी। भाजपा ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया और आहूजा को प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। पार्टी ने आहूजा से तीन दिन के भीतर जवाब मांगा है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि आहूजा के बयान से पार्टी की छवि को नुकसान हुआ है और यह भाजपा की मूल नीतियों के खिलाफ है।
विरोध और आलोचनाएं
आहूजा के बयान के बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। कई सामाजिक संगठनों ने उनके कृत्य की आलोचना की है और उन्हें अपने बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की है। सोमवार देर रात, जयपुर के मानसरोवर स्थित आहूजा के आवास के बाहर उनके नाम की नेमप्लेट पर कालिख पोती गई, जो उनके खिलाफ गुस्से और नाराजगी का प्रतीक है।
आहूजा का बचाव: क्या है उनकी प्रतिक्रिया?
आहूजा ने इस मामले पर अपनी सफाई दी और कहा कि उनका उद्देश्य किसी विशेष समुदाय या व्यक्ति का अपमान करना नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उनका बयान सिर्फ अपनी धार्मिक आस्था और मंदिर की पवित्रता की रक्षा करने के लिए था। आहूजा का दावा था कि उन्होंने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि रामलला मंदिर में कुछ नेताओं के द्वारा धार्मिक आस्थाओं का उल्लंघन किया गया था।
राजनीति में गहमागहमी
इस पूरे प्रकरण ने राजस्थान की राजनीति में एक नया मोड़ लिया है। जहां एक ओर भाजपा ने आहूजा के खिलाफ सख्त कदम उठाया है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इस मुद्दे को पूरी तरह से भुना रही है। कांग्रेस ने आहूजा के बयान को न केवल हिंदू धर्म का अपमान बताया है, बल्कि इसे भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति का हिस्सा भी करार दिया है। इस विवाद के बाद भाजपा के सामने यह चुनौती है कि वह अपने वरिष्ठ नेता के कृत्य पर कड़ा रुख अपनाने के बाद भी पार्टी के अनुशासन और धार्मिक संवेदनशीलता के बीच संतुलन बनाए रखे।
