
जयपुर. SI Recruitment Exam-2021: राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) में 22वीं रैंक लाने वाला हनुमानाराम बिरड़ा आज जेल की सलाखों के पीछे है। एक समय था जब वह पढ़ाई में अव्वल रहता था, आरएएस की कठिन परीक्षा पास कर अफसर बना, लेकिन एक गलत फैसले ने उसकी मेहनत पर पानी फेर दिया। आज वह चर्चा में है—ड्ढह्वह्ल इस बार उसकी काबिलियत नहीं, बल्कि धोखाधड़ी की वजह से।
ऐसे फंसा जाल में: एसआई परीक्षा में डमी कैंडिडेट बनकर दी थी परीक्षा
जयपुर की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (स्ह्रत्र) ने 2021 की एसआई भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में जैसलमेर के फतेहगढ़ के एसडीएम हनुमानाराम को गिरफ्तार किया है। हनुमानाराम पर आरोप है कि उसने “डमी कैंडिडेट” बनकर नरपतराम नाम के व्यक्ति की जगह परीक्षा दी थी। पुलिस के अनुसार, जब 2021 में एसआई की परीक्षा सितम्बर में हो रही थी, उस समय हनुमानाराम आरएएस में चयनित नहीं हुआ था। लेकिन उसी वर्ष जुलाई-अगस्त में आरएएस की परीक्षा हुई और डमी कैंडिडेट बनकर एसआई परीक्षा देने के बाद उसे क्र्रस् में 22वीं रैंक मिली। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस धोखाधड़ी ने ही उसकी सफलता की सीढ़ी बनकर काम किया?
आरोपी ने ऐसे पकड़ा गया धोखाधड़ी में
एसओजी ने पहले नरपतराम और उसकी पत्नी इंद्रा को हिरासत में लिया। पूछताछ में नरपतराम ने कुबूल किया कि उसने एसआई परीक्षा के लिए आवेदन तो किया था, लेकिन परीक्षा देने नहीं गया। उसकी जगह परीक्षा दी थी फतेहगढ़ के एसडीएम हनुमानाराम ने। इसी बयान के आधार पर हनुमानाराम को हिरासत में लेकर जयपुर लाया गया और लंबी पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
जानिए कौन है हनुमानाराम बिरड़ा?
हनुमानाराम बिरड़ा बाड़मेर जिले के बिसारणियां गांव का रहने वाला है। उसके पिता कौशला राम और भाई आज भी खेती से जुड़े हैं। छह बहनों और दो भाइयों के साथ बड़ा हुआ हनुमानाराम बचपन से ही मेधावी छात्र रहा। उसने 2016 से क्र्रस् की तैयारी शुरू की और 2018 में सांख्यिकी विभाग में संगणक पद पर चयन के बाद भी तैयारी जारी रखी। अंतत: दूसरे प्रयास में उसने 2021 की आरएएस परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करते हुए 22वीं रैंक हासिल की।
प्रशासनिक करियर की शुरुआत और अंत की कहानी
हनुमानाराम की पहली पोस्टिंग 13 फरवरी 2023 को जालोर जिले के चितलवाना में एसडीएम के रूप में हुई। इसके बाद वह बागोड़ा और शिव जैसे क्षेत्रों में एसडीएम रहा। 11 फरवरी 2025 को जैसलमेर के फतेहगढ़ में उसने कार्यभार संभाला, लेकिन सिर्फ दो महीने बाद ही उसकी गिरफ्तारी ने उसके करियर को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया।
क्या यह सिर्फ एक व्यक्ति की गलती है?
हनुमानाराम का मामला सिर्फ एक व्यक्ति की गिरावट नहीं, बल्कि उस तंत्र की भी पोल खोलता है जहां काबिलियत और मेहनत की आड़ में गलत रास्तों से सफलता हासिल करने की कोशिश की जाती है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या हनुमानाराम को उसकी गलती की सजा मिलती है या नहीं।
