
जयपुर. Rajasthan Education News: राजस्थान में शिक्षा विभाग ने इस साल ऐसा नया प्रयोग कर दिया है जिसने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को न सिर्फ चौंका दिया है, बल्कि उनकी कार्यशैली को पूरी तरह झकझोर कर रख दिया है। जहां आमतौर पर परीक्षा के बाद प्रवेशोत्सव की तैयारी होती थी, वहीं इस बार परीक्षा से पहले ही नामांकन का महासंग्राम शुरू कर दिया गया है। परिणाम-बच्चों की परीक्षा तो एक बार है, लेकिन शिक्षकों की दोहरी हो चुकी है।
क्या है प्रवेशोत्सव, और क्यों है चर्चा में?
प्रवेशोत्सव यानी सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए चलाया जाने वाला विशेष अभियान।
इसका मकसद होता है:
- सरकारी स्कूलों में नए छात्रों का नामांकन बढ़ाना
- ड्रॉपआउट बच्चों की वापसी सुनिश्चित करना
- प्रवासी मजदूरों के बच्चों को जोडऩा
- बाल श्रमिकों को शिक्षा से जोडऩा
पहली बार स्कूल आ रहे बच्चों की डिजिटल एंट्री करना
यह कार्यक्रम हर साल मई से जुलाई के बीच चलता है। लेकिन इस बार, शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक कैलेंडर में बदलाव करते हुए इसे 15 अप्रैल से ही शुरू कर दिया है।
इस बार प्रवेशोत्सव कैसे अलग है?
पिछले वर्षों में 2025-26 में
- परीक्षा के बाद प्रवेशोत्सव होता था परीक्षा से पहले ही शुरू
- नामांकन का पहला चरण 11-16 मई अब 15 अप्रैल से ही शुरू
- दूसरा चरण जून के अंत से जुलाई तक अब 1 जुलाई से 18 अगस्त तक
- गर्मियों की छुट्टी के बाद नामांकन होता था अब छुट्टी से पहले पूरा करना है
2025-26 का प्रवेशोत्सव: दो चरणों में बड़ा अभियान
पहला चरण (15 अप्रैल – 16 मई)
- 15 अप्रैल – 9 मई: घर-घर जाकर हाउसहोल्ड सर्वे करना, यह जानना कि कौन बच्चा स्कूल से बाहर है, कौन नया है, कौन ड्रॉपआउट है।
- 10 मई – 16 मई: बच्चों का नामांकन अभियान चलाना, “ष्टक्रष्ट मॉड्यूल” में डेटा प्रविष्ट करना, और मौके पर ही अस्थायी प्रमाण पत्र जारी करना।
दूसरा चरण (1 जुलाई – 18 अगस्त)
- 1 जुलाई – 24 जुलाई: दुबारा घर-घर जाकर बचे हुए बच्चों की जानकारी एकत्रित करना।
- 25 जुलाई – 18 अगस्त: शेष बच्चों का नामांकन करना और उनकी प्रविष्टि को अंतिम रूप देना।
अब शिक्षकों पर कितना काम? सुनिए एक सरकारी स्कूल के टीचर की ज़ुबानी
च्च्एक तरफ बोर्ड और राज्य स्तरीय परीक्षाएं, दूसरी तरफ घर-घर सर्वे। बच्चे के नंबर गिनो, और फिर उनके छोटे भाई-बहनों के दाखिले की बात करो। फिर शाला दर्पण एप खोलो, सब दर्ज करो, फिर अस्थायी प्रमाण पत्र भी दो — हम तो अब शिक्षक से अधिक डाटा एंट्री ऑपरेटर बन गए हैं!ज्ज्
शिक्षकों को अब यह सब करना है
- परीक्षा की निगरानी
- उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन
- परिणाम तैयार करना
- हाउसहोल्ड सर्वे करना
- बच्चों की डिजिटल प्रविष्टि
- अस्थायी प्रमाण पत्र देना
- शाला दर्पण पर डेटा एंट्री
- बाल श्रमिक व प्रवासी बच्चों की पहचान
परीक्षा कार्यक्रम भी बदला, और साथ में टाइमिंग भी तगड़ी
कक्षा परीक्षा तिथि
- कक्षा 10 6 मार्च – 4 अप्रैल
- कक्षा 12 6 मार्च – 9 अप्रैल
- कक्षा 8 20 मार्च – 1 अप्रैल
- कक्षा 5 07 अप्रैल – 16 अप्रैल
- कक्षा 9 व 11 24 अप्रैल – 8 मई
- कक्षा 1-4, 6-7 समानांतर परीक्षा
8 मई को परीक्षा खत्म होती है, 17 मई से ग्रीष्मावकाश शुरू होता है यानी छुट्टी से पहले ही शिक्षकों को नामांकन का टास्क पूरा करना है।
क्या होगी फायदा और क्या हैं चुनौतियाँ?
संभावित लाभ
- बच्चों को पहले से जोड़ा जा सकेगा
- ड्रॉपआउट रोकने में मदद मिलेगी
- शिक्षा सत्र की शुरुआत संगठित होगी
- प्रवासी बच्चों का डेटा तैयार होगा
बड़ी चुनौतियां
- शिक्षकों पर अतिरिक्त कार्यभार
- गर्मी में घर-घर सर्वे करना कठिन
- समय पर परीक्षा मूल्यांकन प्रभावित हो सकता है
- तकनीकी अड़चनों से डेटा प्रविष्टि में देरी
