
भरतपुर (राजस्थान). Rajasthan News: राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले स्थित प्रसिद्ध रणथम्भौर दुर्ग के त्रिनेत्र गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश एक बार फिर से रोक दिया गया है। वन विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, अब आगामी 24 अप्रैल तक इस मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा। यह आदेश उस समय आया है जब गणेश श्रद्धालुओं में गहरी नाराजगी देखने को मिल रही है और उन्होंने गणेश धाम गेट पर धरना प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है।
क्यों लगी रोक?
16 अप्रैल को एक दर्दनाक घटना घटी, जब एक सात वर्षीय बालक कार्तिक सुमन अपनी दादी और चाचा के साथ त्रिनेत्र गणेश मंदिर के दर्शन करके लौट रहा था, तभी एक बाघिन और उसके शावक ने उस पर हमला कर दिया। इस हमले में कार्तिक सुमन की ह्लह्म्ड्डद्दद्बष्ड्डद्यद्य4 मौत हो गई। इस घटना के बाद से वन विभाग ने सुरक्षा कारणों से मंदिर में प्रवेश पर रोक लगा दी थी।
गणेश श्रद्धालुओं का विरोध
मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर लगी इस रोक के बाद से श्रद्धालुओं में गहरी निराशा और आक्रोश फैल गया है। मंगलवार सुबह, गणेश भक्तों ने गणेश धाम गेट पर धरना शुरू कर दिया। उनका कहना है कि जब तक गणेश मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा, उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
श्रद्धालुओं का कहना है कि इस समय विशेष रूप से विवाह और शादी का सीजन है, और वे गणेश जी को पहला निमंत्रण नहीं दे पा रहे हैं, साथ ही भंडारे में श्रद्धा और प्रसाद के लिए भी अपनी देसी सामग्री लेकर नहीं जा पा रहे हैं। इससे धार्मिक कर्तव्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।
रोजगार पर भी संकट
मंदिर में प्रवेश पर लगी रोक ने स्थानीय व्यापारियों और श्रमिकों के लिए भी गंभीर समस्या खड़ी कर दी है। करीब पांच सौ लोग, जो मंदिर में गाइडिंग, फूल माला, प्रसाद, और अन्य सेवाएं प्रदान करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं, उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो गई है। ये लोग मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं और उनके लिए यह रोजगार का प्रमुख स्रोत है।
पर्यटक वाहनों के लिए नहीं कोई रोक
हालांकि, प्रदर्शनकारी श्रद्धालुओं ने आरोप लगाया है कि वन विभाग ने मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक तो लगा दी है, लेकिन पर्यटक वाहनों को इस क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति दी जा रही है। इससे श्रद्धालुओं में और भी असंतोष बढ़ गया है। उनका कहना है कि यह दोहरा मापदंड है और वे इसे न्यायहीन मानते हैं।
उग्र आंदोलन की चेतावनी
धरना दे रहे श्रद्धालुओं ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही त्रिनेत्र गणेश मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई तो वे उग्र आंदोलन की राह अपनाएंगे। उनका कहना है कि गणेश के दर्शन के बिना उनका कोई भी धार्मिक कार्य अधूरा रहेगा, और ऐसे में उनका संघर्ष आंदोलन के रूप में उग्र हो सकता है।
क्या वन विभाग ने उचित कदम उठाए हैं?
सवाल यह है कि क्या वन विभाग का यह कदम सही था? क्या केवल धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाना ही एकमात्र समाधान है, या फिर सरकार को कुछ अन्य विकल्प तलाशने चाहिए थे, जैसे कि श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुरक्षा प्रबंध करना। इस घटना ने एक ओर बड़ा सवाल उठाया है कि क्या धार्मिक स्थल और प्राकृतिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना ज्यादा जरूरी नहीं है।
