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IAS Ashok Khemka: जब भ्रष्टाचार से लड़ाई लड़ी तो 34 साल की नौकरी में 57 बार ट्रांसफर देखे: आज सेवा से हो गए रिटायर

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IAS Ashok Khemka
IAS Ashok Khemka

अंबाला (हरियाणा). IAS Ashok Khemka:  जब हम सिस्टम की बात करते हैं, तो अक्सर उसकी खामियों और भ्रष्टाचार के बारे में ही चर्चा होती है। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो उस सिस्टम के खिलाफ खड़े होकर उसे सुधारने की कोशिश करते हैं, चाहे इसके लिए उन्हें कितने भी बलिदान क्यों न देने पड़े। अशोक खेमका, हरियाणा कैडर के 1991 बैच के आईएएस अधिकारी, उन्हीं संघर्षशील नामों में से एक हैं। आज 34 साल की सेवा के बाद, उन्होंने सरकारी सेवा से रिटायरमेंट लिया, लेकिन उनकी रिटायरमेंट के साथ ही उनका संघर्ष फिर से सुर्खियों में है।

57 बार ट्रांसफर का सच

अगर आप सोच रहे हैं कि एक आईएएस अधिकारी के लिए 34 साल की सेवा में 57 बार तबादला कोई मामूली बात हो सकती है, तो आप गलत हैं। यह सब तब हुआ, जब खेमका ने अपने करियर में हर बार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई और न केवल सरकार की, बल्कि समाज की भी उन बेकार व्यवस्थाओं को चुनौती दी। हर 6 महीने में एक नया तबादला, हर बार एक नई जगह, और हर बार एक नई चुनौती—यहां तक कि उन्हें छोटे और कम महत्वपूर्ण विभागों में भेजा गया, ताकि उनके प्रभाव को सीमित किया जा सके।

क्या है अशोक खेमका की कहानी?

30 अप्रैल 1965 को कोलकाता में जन्मे खेमका ने पहले आईआईटी खडग़पुर से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया, फिर टाटा इंस्टीट्यूट से पीएचडी की। इसके बाद, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और फाइनेंस में एमबीए किया और पंजाब यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। 1991 में आईएएस बने और हरियाणा में अपनी सेवाएं शुरू कीं।

वाड्रा-मामला: सिस्टम को हिला देने वाली घटना

2012 में खेमका ने एक कदम उठाया, जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया। उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और डीएलएफ के बीच गुरुग्राम में एक 3.5 एकड़ ज़मीन के सौदे की म्यूटेशन को रद्द कर दिया। यह कदम भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ताओं के लिए एक जीत थी, लेकिन खेमका के लिए यह एक और तबादला और राजनीतिक दबाव लेकर आया। इस मामले की जांच आज भी अधूरी है, लेकिन खेमका का साहस हर किसी के दिल में छाप छोड़ गया।

भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी आवाज

जब 2023 में खेमका ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर सतर्कता विभाग में तैनाती की मांग की, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर उन्हें मौका मिला, तो वह भ्रष्टाचार के खिलाफ असली युद्ध करेंगे, और इसमें किसी बड़े या शक्तिशाली व्यक्ति को नहीं बख्शेंगे। यह उनका ईमानदार रवैया था, जो सरकारी सिस्टम को सुधारने के लिए हर संभव कोशिश करता रहा। यहां तक कि जब उनकी सरकारी गाड़ी छीन ली गई, तब भी वह पैदल ऑफिस जाते रहे, लेकिन उन्होंने कभी अपनी ईमानदारी से समझौता नहीं किया।

रिटायरमेंट का वक्त

और आखिरकार, दिसंबर 2024 में उनका 57वां तबादला हुआ, जब उन्हें प्रिंटिंग और स्टेशनरी विभाग से परिवहन विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाया गया। अब, वह इसी पद से रिटायर हो गए हैं। हरियाणा आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने उनके सम्मान में चंडीगढ़ में विदाई समारोह आयोजित किया।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

सोशल मीडिया X पर यूजर्स ने उनकी ईमानदारी की सराहना की और उनकी संघर्षपूर्ण यात्रा को सलाम किया। एक यूजर ने लिखा, “33 साल की ईमानदारी का इनाम 57 तबादले। खेमका ने दिखा दिया कि सिस्टम से लडऩा मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं।” वहीं, एक और ने कहा, “उन्होंने कभी सत्ता के दबाव में अपनी आत्मा का सौदा नहीं किया।”

अशोक खेमका का असली तोहफा

जब सिस्टम ने उन्हें बार-बार हाशिए पर डाला, तब भी उन्होंने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उनका संघर्ष हमें ये सिखाता है कि सही रास्ता चुनने की कीमत भले ही बहुत बड़ी हो, लेकिन अंत में यही हमें हमारी असली पहचान दिलाती है। अशोक खेमका का रिटायरमेंट बस एक तारीख़ है, लेकिन उनका संघर्ष, उनके विचार और उनका साहस हमेशा हमें प्रेरित करता रहेगा।

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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