
नई दिल्ली. Igla-S Air Missiles: भारत की सैन्य ताकत में एक बार फिर जोरदार इजाफा हुआ है और वो भी ऐसे वक्त में, जब पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ तनाव आसमान छू रहा है और चीन भी सीमाओं पर नजरें गड़ाए बैठा है। अब भारतीय सेना के हाथ एक ऐसा हथियार लग गया है, जो दुश्मन के फाइटर जेट से लेकर ड्रोन तक को आसमान में ही राख बना देगा। रूस ने भारत को आईजीएलए-एस मिसाइल सिस्टम की नई खेप सौंप दी है—एक ऐसा मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम, जो युद्ध के मैदान में गेमचेंजर साबित हो सकता है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सीमावर्ती इलाकों में जब हालात बेहद तनावपूर्ण हैं, ऐसे में इस हाईटेक हथियार की तैनाती भारत की रणनीतिक तैयारी का स्पष्ट संकेत है। आइए, जानते हैं इस ‘हवाई शिकारी’ मिसाइल की दमदार खूबियां और इसका रणनीतिक महत्व:
क्या है आईजीएलए-एस और क्यों है यह इतना खतरनाक?
- कंधे पर मिसाइल, हाथ में तबाही: Igla-S एक मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे सैनिक अपने कंधे पर रखकर चला सकते हैं। इसका वजन सिर्फ 18 किलोग्राम (मिसाइल समेत) है-यानि सैनिक इसे तेज़ी से कहीं भी लेकर जा सकता है और पल भर में दाग सकता है। यह सुविधा इसे युद्धक्षेत्र में बेहद घातक और उपयोगी बनाती है।
- टारगेट लॉक, तबाही शॉक: इस मिसाइल की रेंज 5 से 6 किलोमीटर तक है और यह 3.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ रहे किसी भी लक्ष्य को चुटकियों में गिरा सकती है—फिर चाहे वो ड्रोन हो, फाइटर जेट या अटैक हेलीकॉप्टर।
- इंफ्रारेड से ढूंढता है ‘शिकार’: Igla-S में लगा इन्फ्रारेड सीकर दुश्मन के एयरक्राफ्ट के इंजन की गर्मी पकड़ता है। इसका मतलब? मिसाइल सीधे गर्म इंजन पर अटैक करती है—रडार भी इसे पकड़ नहीं पाते, जिससे दुश्मन को समय पर बचने का मौका नहीं मिलता।
- रफ्तार ऐसी कि बचना नामुमकिन: 2266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ती यह मिसाइल एक छोटे से टारगेट को भी नहीं छोड़ती। इसका 1.17 किलोग्राम का विस्फोटक वॉरहेड आसमान में ही दुश्मन को खाक कर देता है।
- चारों ओर से वार-360 डिग्री सुरक्षा कवच: यह सिस्टम 360 डिग्री से किसी भी दिशा में हमला कर रहे टारगेट को ट्रैक करके तबाह कर सकता है। यानी दुश्मन किसी भी दिशा से आए, उसका अंजाम एक ही होगा-‘शून्य’।
रणनीतिक फायदे: चीन-पाक पर पड़ेगा सीधा असर
- पाकिस्तान की ड्रोन तस्करी पर ब्रेक: पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से ड्रोन के जरिए हथियार भेजने की घटनाएं बढ़ गई हैं। Igla-S जैसी प्रणाली इन्हें हवा में ही पकडकऱ तबाह कर सकती है।
- चीन की निगरानी पर नकेल: चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल क्षेत्रों में निगरानी गतिविधियां तेज़ करने के बीच इस मिसाइल की तैनाती एक मजबूत जवाब है। इससे सीमाओं की एयर डिफेंस अभेद्य बन जाएगी।
खरीदारी भी धांसू, रणनीति भी शानदार
- आपातकालीन खरीद के तहत सौदा: भारत ने रूस से यह मिसाइल सिस्टम करीब 260 करोड़ रुपये में खरीदा है, वो भी अपनी आपातकालीन रक्षा खरीद नीति के तहत। 48 लॉन्चर और 90 अतिरिक्त मिसाइलों की डील भी प्रक्रिया में है।
- मेक इन इंडिया को बूस्ट: भारत अब केवल इस मिसाइल को खरीदेगा नहीं, बल्कि इसे खुद अपने देश में बनाएगा भी! रूस ने Igla-S के लाइसेंस्ड प्रोडक्शन की मंज़ूरी दे दी है। भारतीय कंपनी अडानी डिफेंस, रूसी एजेंसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ मिलकर इसका निर्माण करेगी।
कहां हो रही है तैनाती?
रक्षा सूत्रों के अनुसार, Igla-S को पश्चिमी (पाकिस्तान) और उत्तरी (चीन) सीमाओं पर अग्रिम चौकियों पर तैनात किया जा रहा है। ये मिसाइलें भारतीय सेना को तेज़ और सटीक जवाबी हमला करने की क्षमता देंगी। साथ ही, सेना ने स्वदेशी ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम भी तैनात किया है, जो 8 किलोमीटर दूर से ड्रोन को ट्रैक कर नष्ट कर सकता है।
भारत-रूस: भरोसे की साझेदारी
रूस दशकों से भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 2018 से 2022 के बीच भारत के कुल हथियार आयात में रूस की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत थी। Igla-S की यह डील इस अटूट साझेदारी की एक और मिसाल है। रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के सीईओ अलेक्जेंडर मिखीव ने भी कहा, “भारत में Igla-S का उत्पादन शुरू होना दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम कदम है।”
