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30mm naval gun: भारत की ताकत बनी 30 मिमी नेवल गन: पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन के लिए चिंता की वजह, अब हथियार भी बनाएगा कोलकाता का GRSE

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30mm naval gun
30mm naval gun

नई दिल्ली. 30mm naval gun:  भारत ने एक और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक छलांग लगाई है। कोलकाता स्थित गार्डनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड ने स्वदेश में निर्मित 30 मिमी नेवल सरफेस गन का पहला सफल समुद्री परीक्षण किया है। इस गन का परीक्षण जीआरएसई द्वारा डिजाइन और निर्मित एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट पर किया गया। यह परीक्षण स्वदेशी इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल फायर कंट्रोल सिस्टम की मदद से किया गया और सटीक निशाना साधने में कामयाब रहा। यह उपलब्धि भारत के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन जैसे पड़ोसी देशों के लिए एक स्पष्ट संदेश है – भारत अब केवल युद्धपोत नहीं, बल्कि अत्याधुनिक हथियार भी खुद बना सकता है।

क्या है 30 मिमी नेवल गन की खासियत?

यह 30 मिमी नेवल सरफेस गन युद्धपोतों में उपयोग के लिए तैयार की गई है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसकी तेज़ गति से हमला करने वाली सतह से आने वाले खतरों को टारगेट करने की क्षमता है। यह गन छोटे जहाजों पर मुख्य हथियार के रूप में और बड़े जहाजों पर द्वितीयक हथियार के रूप में स्थापित की जाएगी। गन का उद्देश्य तेज़ गति से आने वाले हमलावर ड्रोन, छोटे नौकायन लक्ष्य और असममित खतरों का त्वरित और सटीक खात्मा करना है।

भारतीय नौसेना ने दी पहली ऑर्डर

भारतीय नौसेना ने जीआरएसई को पहले चरण में 10 स्वदेशी 30 मिमी नेवल सरफेस गन के निर्माण का ऑर्डर दिया है। इसका मतलब यह है कि नौसेना अब इन गनों को अपने युद्धपोतों पर तैनात करने के लिए तैयार है।

अब युद्धपोत के साथ हथियार भी बनाएगा GRSE

जीआरएसई जो अब तक भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिए युद्धपोतों के निर्माण में अग्रणी था, अब उसने हथियार निर्माण में भी कदम रख दिया है। इस दिशा में कंपनी ने एक नया कारोबार खंड (बिजनेस सेगमेंट) स्थापित किया है, जो विशेष रूप से इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल फायर कंट्रोल सिस्टम से लैस नौसैनिक गनों का निर्माण करेगा। GRSE के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर कमोडोर पी.आर. हरि ने इस उपलब्धि पर गर्व जताते हुए कहा कि “हम अब केवल जहाज नहीं, बल्कि स्वदेशी हथियारों का भी निर्माण करने में सक्षम हैं। यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम है।”

पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन के लिए नई चिंता

भारत के इस कदम से चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों की नींद उडऩा तय है। खासकर चीन, जो दक्षिण चीन सागर में अपने युद्धपोतों और आक्रामक रणनीतियों के जरिए दबदबा बनाना चाहता है, भारत के ऐसे स्वदेशी कदमों से बैकफुट पर आ सकता है। भारत ने यह दिखा दिया है कि अब उसे हथियारों के लिए दूसरों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।

कैसे हुआ परीक्षण?

GRSE द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, यह परीक्षण एंटी-सबमरीन युद्धपोत पर किया गया और इसमें स्वदेशी फायर कंट्रोल सिस्टम का उपयोग हुआ। यह प्रणाली लक्ष्य को ट्रैक करती है, सटीक निशाना साधती है और गन को निर्देशित करती है। यह गन न केवल परीक्षण में सफल रही बल्कि लाइव फायरिंग के दौरान भी लक्ष्य को बेहद उच्च सटीकता से निशाना बनाया, जिससे यह साफ हुआ कि यह प्रणाली युद्ध में भी भरोसेमंद साबित होगी।

भारत की तीनों कंपनियों की साझेदारी से संभव हुआ यह कमाल

इस प्रोजेक्ट में जीआरएसई के अलावा दो और भारतीय कंपनियों ने मिलकर अहम भूमिका निभाई है

  • BHSEL (हैदराबाद) – इसने तकनीकी सहयोग और निर्माण में भागीदारी की।
  • Elbit Systems Land (इजऱाइल की सहयोगी कंपनी) – इसने तकनीकी समर्थन प्रदान किया।

इस सहयोग से भारत ने न केवल तकनीक हासिल की, बल्कि उसका स्वदेशीकरण कर निर्माण भी शुरू कर दिया।

भारत की सामरिक ताकत को मिलेगा जबरदस्त बल

इस गन के निर्माण और सफलता से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ेगी। यह गन खासकर उन स्थितियों में बेहद कारगर होगी जहां:

  • तेज़ गति से आने वाले समुद्री हमलावरों को निशाना बनाना हो
  • ड्रोन या समुद्री कमांडो जैसे असामान्य खतरे हो
  • तटीय रक्षा में सटीक और त्वरित जवाबी कार्रवाई की जरूरत हो
‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मिली नई उड़ान

यह उपलब्धि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की मुहिम को और गति देगी। जहां पहले भारत नौसेना के हथियारों के लिए आयात पर निर्भर था, अब वह खुद इन हथियारों का निर्माण करेगा, जिससे:

  • विदेशी मुद्रा की बचत होगी
  • देश में रोजगार बढ़ेगा
  • तकनीकी क्षमता विकसित होगी
  • निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी

भारत की नौसेना अब और भी घातक

जीआरएसई द्वारा निर्मित 30 मिमी नेवल गन के सफल परीक्षण के साथ भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और मील का पत्थर छू लिया है। यह गन जहां भारतीय नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएगी, वहीं दुश्मनों के लिए यह स्पष्ट संकेत है कि अब भारत किसी भी खतरे का स्वदेशी तकनीक से ही मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। 30 मिमी नेवल गन भारत की नौसेना के लिए एक नई, अत्याधुनिक और स्वदेशी हथियार प्रणाली है जिसे जीआरएसई , कोलकाता ने विकसित किया है। यह गन भारतीय नौसेना की सतह-से-सतह की सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए बनाई गई है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:

क्या है 30 मिमी नेवल गन?

यह एक स्वदेशी तौर पर विकसित ऑटोमैटिक गन सिस्टम है, जो छोटे और मध्यम आकार के युद्धपोतों पर लगाया जाता है। इसे खासतौर पर समुद्र में सतह के खतरों को जवाब देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

आप भी जाने गन की प्रमुख विशेषताएं
  • कैलिबर : 30 मिमी
  • प्रकार : ऑटोमैटिक नेवल गन
  • नियंत्रण प्रणाली: इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल फायर कंट्रोल सिस्टम
  • उपयोग : छोटे जहाजों पर मुख्य हथियार के रूप में और बड़े जहाजों पर द्वितीयक हथियार के रूप में
  • निर्माता : GRSE (कोलकाता) + BHSEL (हैदराबाद) + Elbit Systems Land (तकनीकी सहयोगी)
  • प्रमुख लाभ : सटीकता, गति, और दुश्मन के छोटे तेज़ गति वाले जहाजों पर फौरन हमला करने की क्षमता
इसे किस परिक्षण से गुज़ारा गया?
  • इसे एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट पर इंस्टॉल कर समंदर में लाइव ट्रायल किया गया।
  • लाइव फायरिंग के दौरान इसने अत्यधिक सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदा।
  • इससे पहले इसे फैक्ट्री स्तर पर कड़े गुणवत्ता परीक्षणों से भी गुज़ारा गया था।
भारतीय नौसेना के लिए इसका महत्व
  • स्वदेशीकरण : यह मेक इप इंडिया अभियान की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
  • दुश्मनों पर दबाव: पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन के लिए यह चिंता का कारण है क्योंकि भारत अब सिर्फ युद्धपोत ही नहीं, हथियार भी खुद बना रहा है।
  • रणनीतिक बढ़त: तटीय सुरक्षा और ओपन सी (खुले समुद्र) में गश्त के दौरान यह गन तेजी से लक्ष्य भेद सकती है।
  • आर्थिक बचत: आयात की तुलना में स्वदेशी निर्माण से लागत कम होती है और आत्मनिर्भरता बढ़ती है।
टेक्नोलॉजी पार्टनर्स कौन हैं?
  • BHSEL (हैदराबाद): उत्पादन में सहयोगी
  •  Elbit Systems Land : इजऱायल आधारित कंपनी जो फायर कंट्रोल सिस्टम के लिए टेक्नोलॉजी मुहैया कराती है
भविष्य की योजना

जीआरएसई ने एक नई बिजऩेस यूनिट बनाई है जो ऐसे आधुनिक हथियार सिस्टम का निर्माण करेगी।

  • इस गन की पहली खेप में 10 गनों का ऑर्डर भारतीय नौसेना ने दिया है।
  • इसे भविष्य में भारतीय तटरक्षक के लिए भी उपलब्ध कराया जाएगा।
सैन्य रणनीति में उपयोग
  • तेज़ चलने वाले दुश्मन पोतों को खत्म करने में विशेषज्ञता।
  • अवांछित घुसपैठियों और समुद्री डकैती जैसे खतरों से निपटने में मददगार।
  • कम दूरी की रक्षा के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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