
Gaza Conflict: इजऱाइल के लिए, गाजा में जारी संघर्ष के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। इजऱाइल के अमेरिकी राजदूत, याचियल लेइटर ने हाल ही में एक साक्षात्कार में यह बयान दिया कि इजऱाइल के दो पड़ोसी देशों, सीरिया और लेबनान, अब इजऱाइल के साथ अपने रिश्तों को सामान्य कर सकते हैं। यह जानकारी 22 मई को दिए गए उनके साक्षात्कार में सामने आई, जब उन्होंने मीडिया से बात करते हुए यह दावा किया कि वे उम्मीद करते हैं कि इन दोनों देशों के इजऱाइल के साथ रिश्ते अब्राहम समझौतों के तहत बहाल हो सकते हैं।
यह बयान इजऱाइल और उसके पड़ोसी देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक तनावों और संघर्षों के बीच आया है। हालांकि सीरिया और लेबनान के साथ इजऱाइल के संबंध हमेशा ही कठिन रहे हैं, और इन देशों के साथ कई युद्धों का इतिहास भी है, फिर भी अब दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की संभावना जगी है।
अब्राहम समझौता: क्या है इसका महत्व?
अब्राहम समझौता एक ऐतिहासिक समझौता है, जो 2020 में इजऱाइल, संयुक्त अरब अमीरात (्रश्व), और बहरीन के बीच हुआ था। इसके बाद, इजऱाइल और कई अन्य अरब देशों के बीच शांति की दिशा में कदम बढ़े हैं। इस समझौते का उद्देश्य मध्य पूर्व में शांति स्थापित करना और इजऱाइल के पड़ोसी अरब देशों के साथ संबंधों को सामान्य करना था। इसके बाद, इजऱाइल के कई अन्य देशों के साथ सामान्य संबंधों की प्रक्रिया तेज़ हुई, जिसमें मोरक्कों और सूडान भी शामिल हैं। अब, याचियल लेइटर के बयान ने सीरिया और लेबनान के लिए भी इस समझौते में शामिल होने की संभावना को उजागर किया है।
सीरिया और लेबनान के साथ इजऱाइल के रिश्तों का इतिहास
सीरिया: सीरिया और इजऱाइल के रिश्ते हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं। 1948 में इजऱाइल के स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, सीरिया ने इजऱाइल के खिलाफ कई युद्धों में भाग लिया। 1967 में छेड़े गए छह दिन युद्ध में इजऱाइल ने ग़ोलान हाइट्स पर कब्ज़ा कर लिया था, जो कि सीरिया का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसके बाद से, ग़ोलान हाइट्स को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ता गया। हालांकि 1973 में योंक युद्ध के बाद दोनों देशों ने शांति समझौते की दिशा में विचार-विमर्श किया था, लेकिन अब तक किसी निर्णायक समझौते पर बात नहीं बनी। लेइटर का कहना है कि अब सीरिया के लिए यह समझौता फायदेमंद हो सकता है, खासकर जब देश आंतरिक संघर्षों से उबरने की कोशिश कर रहा है। उनका यह भी कहना था कि सीरिया की सरकार अब शांतिपूर्ण तरीके से इस विवाद को सुलझाने के लिए तैयार हो सकती है। यह बदलाव सीरिया में हालिया घटनाक्रमों और अंतरराष्ट्रीय दबावों का परिणाम हो सकता है।
लेबनान: लेबनान के साथ भी इजऱाइल का इतिहास उतना ही जटिल रहा है। 1982 में इजऱाइल ने लेबनान पर हमला किया था और लेबनान के दक्षिणी हिस्से में शांति स्थापित करने के प्रयास किए थे। इसके बाद, 2006 में हिजबुल्लाह के साथ युद्ध हुआ, जो कि लेबनान का एक सशस्त्र संगठन है और इजऱाइल के खिलाफ संघर्ष करता है। लेबनान में लंबे समय से चल रहे आंतरिक संघर्षों और राजनीतिक अस्थिरता ने वहां की सरकार को इजऱाइल के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए एक मजबूत कदम उठाने में मुश्किलें खड़ी की हैं। फिर भी, लेइटर का मानना है कि अब्राहम समझौते के तहत लेबनान के लिए यह एक अवसर हो सकता है, ताकि वह अपनी आंतरिक स्थिति को बेहतर बना सके और एक स्थिर और शांतिपूर्ण राज्य के रूप में उभर सके।
इजऱाइल और लेबनान के रिश्तों में सुधार: क्या संभावनाएं हैं?
लेइटर का कहना है कि अगर लेबनान अब्राहम समझौते में शामिल होता है, तो यह उसके लिए एक नया रास्ता खोल सकता है। उनका मानना है कि लेबनान की स्थिति ऐसी हो सकती है जहां वह एक “असफल राज्य” की स्थिति से बाहर निकलकर एक मजबूत और प्रौद्योगिकियों से संपन्न नागरिक समाज के रूप में स्थापित हो सकता है। यह प्रक्रिया लेबनान को आर्थिक और राजनीतिक सुधारों की दिशा में प्रोत्साहित करेगी, जिससे पूरे मध्य पूर्व में शांति का माहौल पैदा हो सकता है।
सऊदी अरब और इजऱाइल: भविष्य की संभावना
इजऱाइल और सऊदी अरब के रिश्तों में भी हाल के वर्षों में सुधार की संभावना देखी गई है। 2019 में सऊदी अरब के साथ अब्राहम समझौते की दिशा में बातचीत शुरू हुई थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव हारने के बाद यह प्रक्रिया कुछ ठंडी हो गई। हालांकि, लेइटर का मानना है कि सऊदी अरब के साथ इस समझौते की संभावना अब भी बरकरार है। उनका कहना है कि अगर ट्रंप सत्ता में रहते, तो शायद सऊदी अरब और इजऱाइल के रिश्ते अब तक सामान्य हो गए होते। सऊदी अरब, जो कि मुस्लिम दुनिया में एक महत्वपूर्ण शक्ति है, इस समझौते के लिए एक बहुत बड़ा कदम हो सकता है। अगर सऊदी अरब इजऱाइल के साथ समझौता करता है, तो यह पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में शांति स्थापित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम होगा।
गाजा संघर्ष और इसके प्रभाव
गाजा में चल रहे संघर्ष का अब्राहम समझौतों पर असर पड़ सकता है। लेइटर ने इस मुद्दे पर भी बात की और कहा कि गाजा युद्ध इजऱाइल के लिए एक जटिल चुनौती प्रस्तुत करता है। इजऱाइल की विदेश नीति और शांति की दिशा में यह युद्ध एक रुकावट का काम कर सकता है, क्योंकि कई पश्चिमी देशों में गाजा हमलों को लेकर इजऱाइल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसके बावजूद, लेइटर का मानना है कि अगर सीरिया और लेबनान इजऱाइल के साथ संबंधों को सामान्य करते हैं, तो यह स्थिति में सुधार ला सकता है और मध्य पूर्व में स्थिरता की संभावना को बढ़ावा दे सकता है।
इजऱाइल के लिए गाजा संघर्ष के बीच सीरिया और लेबनान के साथ अब्राहम समझौतों की संभावना एक सकारात्मक संकेत है। यह दोनों देशों के साथ रिश्तों में सुधार और शांति स्थापित करने की दिशा में एक नई पहल हो सकती है। हालांकि, इसके लिए इन देशों में आंतरिक राजनीतिक बदलावों और अंतरराष्ट्रीय दबावों का महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। सऊदी अरब की भूमिका भी अहम रहेगी, क्योंकि अगर सऊदी अरब इजऱाइल के साथ संबंधों को सामान्य करता है, तो यह पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में शांति और स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।
(स्रोत: एआई, bharatupdate9.comइसकी पुष्टि नहीं करता है)
