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Rajasthan Big News: राजस्थान की स्वच्छता में नई उड़ान, डूंगरपुर को सुपर स्वच्छता लीग और जयपुर को प्रोमिसिंग स्वच्छ शहर का सम्मान

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Rajasthan Big News
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जयपुर. Rajasthan Big News: राजस्थान ने स्वच्छता के क्षेत्र में इस वर्ष राष्ट्रीय मंच पर एक नया इतिहास रच दिया है। गुरुवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य स्वच्छ भारत मिशन 2.0 पुरस्कार वितरण समारोह में जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने डूंगरपुर और जयपुर को सम्मानित किया तो पूरे राजस्थान के लिए यह गौरव का क्षण बन गया।

डूंगरपुर को सुपर स्वच्छता लीग का गौरव

डूंगरपुर को ‘सुपर स्वच्छता लीग’ श्रेणी में राष्ट्रपति ने सम्मानित किया। यह उपलब्धि यूँ ही नहीं मिली- इसके पीछे डूंगरपुर नगर परिषद, कर्मचारियों और स्थानीय नागरिकों की निरंतर मेहनत और जागरूकता का बड़ा योगदान है। इस श्रेणी में वही शहर शामिल होते हैं जो लगातार तीन वर्षों में कम से कम एक बार टॉप 3 में रहे हों और वर्तमान में अपनी श्रेणी के 200 सर्वश्रेष्ठ शहरों में स्थान बनाए हुए हों। डूंगरपुर की ओर से यह पुरस्कार नगरीय विकास एवं आवासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) झाबर सिंह खर्रा, सभापति अमृतलाल कलासुआ और आयुक्त सांवरलाल अबासरा ने प्राप्त किया।

जयपुर को प्रोमिसिंग स्वच्छ शहर का दर्जा

राजधानी जयपुर भी इस दौड़ में पीछे नहीं रहा। जयपुर ग्रेटर को ‘प्रोमिसिंग स्वच्छ शहर’ का पुरस्कार मिला है। यानी एक ऐसा शहर, जिसने स्वच्छता में सुधार की दिशा में प्रेरक कार्य किए हैं और भविष्य में और बेहतर प्रदर्शन का वादा करता है। यह पुरस्कार झाबर सिंह खर्रा, महापौर सौम्या गुर्जर और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) राजस्थान के निदेशक जुईकर प्रतीक चन्द्रशेखर ने ग्रहण किया।

सुधरी रैंकिंग, बढ़ी ओडीएफ सर्टिफिकेशन

राजस्थान की यह सफलता केवल डूंगरपुर और जयपुर तक सीमित नहीं है। पहली बार प्रदेश के तीन बड़े शहर उदयपुर, जयपुर ग्रेटर और जयपुर हेरिटेज देश के टॉप 20 स्वच्छ शहरों में शामिल हुए हैं। इतना ही नहीं, उदयपुर, राजाखेड़ा, जयपुर ग्रेटर और जयपुर हेरिटेज को जीएफसी यानी गैरेबेज फ्री सिटी थ्री स्टार रेटिंग भी मिली है। इसका मतलब है कि यह शहर कचरा प्रबंधन में देश के श्रेष्ठतम मानकों के करीब पहुँच चुके हैं। राजस्थान के 12 शहर उदयपुर, जयपुर ग्रेटर, जयपुर हेरिटेज, बीकानेर, भीलवाड़ा, अलवर, जोधपुर (नॉर्थ व साउथ), कोटा (नॉर्थ व साउथ), अजमेर और सीकर भी टॉप 100 में जगह बनाने में सफल रहे हैं। इससे यह साबित होता है कि राजस्थान अब सफाई के मामले में किसी भी राज्य से पीछे नहीं है।

ओडीएफ से जीएफसी की तरफ

राजस्थान में ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) शहरों की संख्या भी दोगुनी होकर 17 से 38 हो गई है। यानी ज्यादा से ज्यादा लोग अब साफ-सफाई की ओर गंभीरता से कदम बढ़ा रहे हैं। ढेलावास, जयपुर एसटीपी को अमृत योजना के तहत बेस्ट प्रैक्टिस के तौर पर मान्यता दी गई है।

सफलता के सूत्र: जनसहभागिता और मजबूत नेतृत्व

राज्य मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत’ के सपने, मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व और हर नगर निकाय की मेहनत का परिणाम है। राजस्थान अब सफाई के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और आने वाले वर्षों में स्वच्छता की इस दौड़ में और आगे बढ़ेगा।

स्वच्छ सर्वेक्षण क्या है?

स्वच्छ सर्वेक्षण भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) का सालाना मूल्यांकन कार्यक्रम है। यह दुनिया का सबसे बड़ा शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण माना जाता है, जिसमें देश के हज़ारों शहरों को साफ-सफाई, कचरा प्रबंधन, सार्वजनिक शौचालयों, नागरिक भागीदारी और अन्य मानकों पर आंका जाता है। इसकी शुरुआत 2016 में हुई थी और तब से हर साल यह सर्वेक्षण होता आ रहा है। इसका उद्देश्य नगर निकायों को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के माध्यम से बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करना है।

कैसे होता है स्वच्छ सर्वेक्षण?

स्वच्छ सर्वेक्षण कई चरणों में होता है:

  • स्व-मूल्यांकन: नगर निगम या नगर परिषद खुद अपनी रिपोर्ट तैयार करती है। इसमें सफाई, कचरा संग्रहण, प्रोसेसिंग आदि का विवरण होता है।
  • ऑनलाइन फीडिंग: नगर निकाय अपनी जानकारी स्वच्छ भारत मिशन के पोर्टल पर अपलोड करते हैं।
  • थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन: स्वतंत्र एजेंसियां शहरों में जाकर ग्राउंड पर ऑडिट करती हैं। कितने घरों से कचरा उठ रहा है, गीला-सूखा कचरा अलग हो रहा है या नहीं, सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति कैसी है आदि।
  • जनमत संग्रह : आम नागरिकों से ऑनलाइन और फिजिकल माध्यम से फीडबैक लिया जाता है।
  • डाटा एनालिटिक्स और अंक देना: सब डेटा एकत्र कर स्कोर बनाया जाता है और रैंक तय होती है।
स्वच्छ सर्वेक्षण के प्रमुख मापदंड

स्वच्छ सर्वेक्षण में आम तौर पर 6 मुख्य मापदंड होते हैं —

  • सर्विस लेवल प्रोग्रेस: नगर निकाय ने कचरा संग्रहण, प्रोसेसिंग और निस्तारण में क्या प्रगति की है।
  • स्वच्छता की स्थिति: शहर कितना साफ है। सडक़ें, नालियां, सार्वजनिक स्थल, बस स्टैंड आदि।
  • जन भागीदारी: आम नागरिक सफाई में कितना सहयोग कर रहे हैं- व, स्कूल, एनजीओ की भागीदारी।
  • क्लीनिंग तकनीक और नवाचार: नई तकनीकें, डिजिटल मैनेजमेंट, स्मार्ट डस्टबिन आदि।
  • ओपन डेफेकेशन फ्री स्थिति: शौचालयों की संख्या, उपयोग और रखरखाव।
  • सिटीजन फीडबैक: आम लोगों के मोबाइल या पोर्टल के माध्यम से राय ली जाती है। कुल स्कोर में इसका अहम हिस्सा होता है।
क्यों जरूरी है स्वच्छ सर्वेक्षण?

स्वच्छ सर्वेक्षण न केवल शहरों की रैंक तय करता है बल्कि नागरिकों में जागरूकता भी बढ़ाता है। इससे नगर निकायों को अपनी कमियां समझने और सुधार की दिशा में काम करने में मदद मिलती है। यही वजह है कि आज राजस्थान जैसे राज्य में छोटे शहर डूंगरपुर से लेकर बड़े शहर जयपुर तक राष्ट्रीय स्तर पर चमक रहे हैं।

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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