
जयपुर. ACB Action in Rajasthan: राजस्थान के बांसवाड़ा में रविवार की सुबह कुछ अलग ही थी। जब आम लोग चाय की चुस्कियों में व्यस्त थे, तभी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीमों ने पीएचईडी विभाग के अधीक्षण अभियंता अशोक कुमार जांगिड़ के घर-दफ्तर पर धावा बोल दिया। ये छापा ‘ऑपरेशन बेखौफ’ के तहत मारा गया – और सच में, ये नाम इस मिशन के लिए बिलकुल फिट बैठता है।
11.50 करोड़ की आय, जबकि वैध सैलरी से 161 प्रतिशत ज़्यादा
एसीबी की अब तक की जांच से जो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, उन्होंने सबको हैरान कर दिया। सरकारी नौकरी में रहते हुए अशोक कुमार ने 11.50 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति इक_ा कर डाली। यानी उनकी कुल कमाई के मुकाबले यह संपत्ति 161 प्रतिशत ज़्यादा है – और ये आंकड़े एसीबी के गोपनीय सत्यापन के बाद सामने आए हैं।
एक साथ 19 ठिकानों पर छापा, 250 अधिकारियों का एक्शन
छापेमारी सिर्फ बांसवाड़ा तक सीमित नहीं रही। एसीबी की टीमें एक साथ जयपुर, पावटा कोटपुतली, मौजमाबाद, उदयपुर, अजमेर, टोंक, जैसलमेर समेत करीब 19 स्थानों पर पहुंचीं। खनिज विभागों और उप-पंजीयन कार्यालयों पर भी छापे मारे गए। इस पूरे ऑपरेशन में करीब 250 अधिकारियों-कर्मचारियों ने हिस्सा लिया – ये एसीबी का अब तक का सबसे बड़ा और सुनियोजित अभियान माना जा रहा है।
54 अचल संपत्तियां पूरे राजस्थान में फैला ‘संपत्ति साम्राज्य’
अशोक जांगिड़, उनकी पत्नी सुनिता शर्मा और बेटे निखिल जांगिड़ के नाम पर कुल 54 अचल संपत्तियां दर्ज हैं। जयपुर, अजमेर, उदयपुर, मालपुरा, श्रीमाधोपुर, पावटा, जैसलमेर – ऐसा लगता है मानो पूरा राजस्थान ही इनकी जायदाद से भरा पड़ा है। इनमें से सिर्फ निखिल जांगिड़ के नाम 32 संपत्तियां हैं। ये संपत्तियां कॉमर्शियल, खनिज लीज, इंडस्ट्री और आवासीय श्रेणी की हैं।
क्रेशर से लेकर डंपर तक – बेटे के नाम करोड़ों के उद्योग
जांच में सामने आया कि निखिल जांगिड़ के नाम खनिज लीजें हैं, जिनमें क्रेशर, पोकलेन मशीन, एलएंडटी मशीन, आईआर ब्लास्टिंग मशीन, डंपर जैसे बड़े-बड़े औद्योगिक संसाधन शामिल हैं। यानी एक सरकारी इंजीनियर ने बेटे के नाम से पूरा इंडस्ट्रियल सेटअप खड़ा कर दिया – और वो भी सब कुछ काली कमाई से!
22 बैंक खाते, 21 लाख कैश – और बच्चों की पढ़ाई पर खर्च 30 लाख!
एसीबी की पड़ताल में सामने आया कि जांगिड़ परिवार के पास कुल 22 बैंक अकाउंट्स हैं, जिनमें करीब 21 लाख रुपए मिले। साथ ही उनके बेटे और बेटी की पढ़ाई, कोचिंग, और उच्च शिक्षा पर करीब 30 लाख रुपए खर्च किए गए हैं।
जनवरी में ही बांसवाड़ा ज्वॉइन किया – अब सीधे एसीबी के रडार पर
गौर करने वाली बात ये है कि अशोक जांगिड़ ने जनवरी 2025 में ही बांसवाड़ा पोस्टिंग ज्वॉइन की थी। इतने कम समय में इतनी भारी-भरकम जांच, इस बात की ओर इशारा करती है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कहीं गहरी हैं। फिलहाल उनके कार्यालय से कोई खास दस्तावेज नहीं मिले हैं, लेकिन छापेमारी अभी जारी है और एसीबी की टीमें इस केस को लेकर काफी गंभीर दिख रही हैं।
