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Rajasthan Bad Politics: “मंदिर में शुद्धिकरण या मानसिकता का प्रदूषण? अशोक गहलोत ने संघ-भाजपा को दी सीधी चुनौती!”

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Ashok Gehlot-Mohan Bhagwat
Ashok Gehlot-Mohan Bhagwat

जयपुर. Rajasthan Bad Politics: राजस्थान की राजनीति में दलित सम्मान को लेकर तूफान खड़ा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंदिर शुद्धिकरण विवाद को लेकर भाजपा और आरएसएस को जमकर घेरा है। गहलोत ने इस पूरे मामले को “मानवता पर कलंक” करार देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत को सीधी चुनौती दे डाली है – “अगर आप वाकई सभी हिंदुओं को समान मानते हैं, तो फिर छुआछूत के खिलाफ चुप क्यों बैठे हैं?”

गहलोत का हमला – “ये दलित नहीं, इंसानियत का अपमान है”

महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती पर जयपुर में मीडिया से बातचीत में गहलोत का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने कहा, “ये 21वीं सदी है और आज भी मंदिर में गंगाजल छिडककऱ दलित नेता की उपस्थिति का शुद्धिकरण किया जा रहा है – ये देश के माथे पर कलंक है।” गहलोत ने दो टूक कहा – “जो लोग इसे दलित विरोधी मानते हैं, वे गलत नहीं हैं – ये सोच ही मनुवादी मानसिकता की पहचान है।”

RSS पर सीधा सवाल – “अगर आप हिन्दू एकता की बात करते हैं, तो अब बोलिए”

गहलोत ने मोर्चा सीधा आरएसएस पर खोला। उन्होंने कहा “अगर संघ खुद को सांस्कृतिक संगठन कहता है, तो फिर इस शर्मनाक घटना पर उसका मुंह बंद क्यों है? क्या ये सांस्कृतिक चुप्पी नहीं, राजनीतिक सहमति है?” गहलोत ने मोहन भागवत को खुली चुनौती देते हुए कहा कि, “देशभर में अगर हिन्दुओं में छुआछूत की भावना है, तो ये जिम्मेदारी किसकी है? क्या आरएसएस अब भी हाथ झाडकऱ बैठी रहेगी? अगर वाकई सबको हिंदू मानते हो, तो चलाओ देशव्यापी अभियान – छुआछूत के खिलाफ!”

भाजपा पर तीखा वार – “घटनाएं उजागर करती हैं असली मानसिकता”

गहलोत यहीं नहीं रुके। उन्होंने भाजपा की चुप्पी पर भी हमला बोला “आज मंदिर में भेदभाव हो रहा है, गंगाजल से शुद्धिकरण किया जा रहा है – ये भाजपा और संघ की सोच को बेनकाब करता है। अगर वे इससे सहमत नहीं हैं, तो सामने आकर कहें कि ये गलत है। चुप्पी भी एक अपराध है।” उन्होंने कहा कि भाजपा का दलित प्रेम सिर्फ नारों तक सीमित है, असली परीक्षा तो तब होती है जब सामाजिक बराबरी की बात आती है।

जूली पर राजनीति नहीं, दलित स्वाभिमान का सवाल: कांग्रेस की नई सियासी दिशा?

इस विवाद के केंद्र में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली हैं। अलवर जिले में रामनवमी पर जब उन्होंने एक मंदिर में दर्शन किए, तो भाजपा के एक पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने मंदिर को गंगाजल से शुद्ध किया – और यहीं से सियासी आग भडक़ी। कांग्रेस अब इस मुद्दे को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने की तैयारी में है। इसे दलित आत्मसम्मान और सामाजिक न्याय से जोडकऱ भाजपा को घेरने का एक बड़ा मौका माना जा रहा है।

भाजपा बैकफुट पर – ज्ञानदेव आहूजा को निलंबन, लेकिन जवाब अधूरा

घटना के बाद भाजपा ने ज्ञानदेव आहूजा को पार्टी से सस्पेंड कर तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है, लेकिन कांग्रेस इसे “नाटक” करार दे रही है। गहलोत का कहना है, “ये दिखावे की कार्रवाई है। असली सोच तो पार्टी के डीएनए में छिपी है। जब तक ऊपर से लेकर नीचे तक लोग सार्वजनिक रूप से छुआछूत की निंदा नहीं करते, तब तक ऐसे मामलों पर पर्दा डालने से कुछ नहीं होगा।”

क्या यह मामला राजस्थान की राजनीति को हिला देगा?

राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, और दलित सम्मान का मुद्दा एक बार फिर केंद्र में आ रहा है। गहलोत का तीखा हमला, आरएसएस को दी गई खुली चुनौती और भाजपा की चुप्पी – तीनों मिलकर इस विवाद को केवल एक धार्मिक घटना नहीं रहने दे रहे। यह अब सामाजिक न्याय बनाम सांस्कृतिक संरचना की बड़ी बहस में बदल चुका है।

राजनीतिक पिच तैयार – अब गेंद मोहन भागवत के पाले में?

गहलोत ने जिस सधे हुए लेकिन आक्रामक अंदाज में आरएसएस और भाजपा को घेरा है, उससे ये साफ है कि कांग्रेस अब मंदिर विवाद को दलित सम्मान के नाम पर राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बनाना चाहती है।

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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