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Bharat Band 2025: 25 करोड़ से अधिक मजदूरों की हड़ताल, सरकारी नीतियों के खिलाफ सडक़ों पर उमड़ा जनसैलाब

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Bharat Band 2025
Bharat Band 2025

नई दिल्ली. Bharat Band 2025:  9 जुलाई 2025 को भारत इतिहास के एक और बड़े जन आंदोलन का साक्षी बन रहा है। यह सामान्य विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक सुनियोजित, राष्ट्रव्यापी भारत बंद है। जिसमें 25 करोड़ से अधिक मजदूरों, किसानों और श्रमिक संगठनों की भागीदारी का दावा किया जा रहा है। हड़ताल का नेतृत्व देश की 10 से अधिक केंद्रीय ट्रेड यूनियनें कर रही हैं, जिन्हें संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि मजदूर संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है। इस बंद का उद्देश्य केंद्र सरकार की उन नीतियों का विरोध करना है जिन्हें मजदूर संगठनों ने “श्रमिक विरोधी, किसान विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक” करार दिया है।

बंद का मुख्य उद्देश्य: सरकार से क्या चाहते हैं हड़ताली संगठन?

हड़ताल के पीछे प्रमुख मांगें एक 17 सूत्रीय ज्ञापन के रूप में सरकार को सौंपी गई हैं। इन मांगों में शामिल हैं:

  • नए रोजगार सृजन की योजना
  • खाली सरकारी पदों पर तुरंत भर्ती
  • शहरी रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत
  • लेबर कोड्स में संशोधन के खिलाफ विरोध
  • निजीकरण की प्रक्रिया रोकना
  • एमएसपी की कानूनी गारंटी
  • पीएफ और ईएसआई में सुधार
  • महंगाई पर नियंत्रण के लिए ठोस उपाय
किन क्षेत्रों में होगा सबसे अधिक प्रभाव?

यह भारत बंद सिर्फ श्रमिकों तक सीमित नहीं, बल्कि इसका असर वित्तीय, औद्योगिक और परिवहन प्रणाली पर भी पड़ रहा है। देश के कई राज्यों में जनजीवन आंशिक या पूर्ण रूप से प्रभावित होने की संभावना है। प्रमुख प्रभावित क्षेत्र:

बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं:

  • बैंकों में कामकाज बाधित
  • चेक क्लियरेंस रुके
  • नकद जमा और निकासी प्रभावित

डाक और कोरियर सेवाएं

  • पोस्ट ऑफिस आंशिक रूप से बंद
  • डिलीवरी में विलंब
  • कूरियर सेवाएं धीमी

कोयला और औद्योगिक उत्पादन

  • खदानों में उत्पादन रुक सकता है
  • स्टील और भारी उद्योगों में मजदूरों की अनुपस्थिति

परिवहन और यातायात

  • कुछ राज्यों में बसें बंद
  • रूट डायवर्जन लागू
  • ट्रैफिक जाम की आशंका

शिक्षा और सरकारी संस्थान

  • कुछ राज्यों में सरकारी दफ्तरों में कम उपस्थिति
  • शिक्षकों के संगठन भी हड़ताल में शामिल
  • परीक्षाएं टाली जा सकती हैं
किसान संगठनों की भागीदारी: यह सिर्फ मजदूर आंदोलन नहीं

संयुक्त किसान मोर्चा ने भी खुलकर समर्थन किया है और इसे किसानों की लड़ाई भी बताया है। संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, सरकार की नीतियों से केवल मज़दूर ही नहीं, किसान भी पीडि़त हैं। खासकर न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, खाद के दाम, बिजली बिल और निजीकरण जैसे मुद्दों पर। ग्रामीण भारत के हजारों गांवों में प्रदर्शन, जुलूस और चक्काजाम की सूचना है। पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे राज्यों में भारी भागीदारी देखी जा रही है।

दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे महानगरों में क्या असर?

दिल्ली

  • मेट्रो सेवाएं सामान्य पर ट्रैफिक जाम की आशंका
  • प्रमुख मार्गों पर प्रदर्शन संभव
  • सरकारी दफ्तरों में कम उपस्थिति
  • दिल्ली पुलिस और ट्रैफिक विभाग ने विशेष निगरानी की व्यवस्था की

मुंबई

  • लोकल ट्रेन सेवाएं अभी सामान्य
  • बेस्ट बसों पर आंशिक असर
  • मजदूर संगठनों का शहर के कुछ इलाकों में प्रदर्शन

कोलकाता

  • वामपंथी संगठनों के समर्थन से व्यापक बंद
  • सरकारी दफ्तरों और स्कूलों में छुट्टी
  • राज्य सरकार का सतर्क रवैया
कौन-कौन हैं आंदोलन में शामिल?
  • इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस
  • ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस
  • हिंद मजदूर सभा
  • सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस
  • ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर
  • ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर
  • स्व-रोजगार महिला संघ
  • ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस
  • लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन
  • यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस
दिल्ली-एनसीआर में रहने वालों के लिए सतर्कता
  • ऑनलाइन बैंकिंग का उपयोग करें
  • डाक, ट्रांसपोर्ट, कोरियर सेवाओं से जुड़ा कार्य टालें
  • डीएमआरसी और ट्रैफिक पुलिस के सोशल मीडिया पर नजर रखें
  • स्कूल, कॉलेज, ऑफिस जाने से पहले ट्रैफिक अपडेट लें
  • वैकल्पिक रूट या वाहन योजना पहले से बनाएं
हड़ताल की पृष्ठभूमि: कब और कैसे बनी भूमिका?

पिछले एक वर्ष से देश में बेरोजगारी, महंगाई और सरकारी निजीकरण की नीतियों को लेकर असंतोष बढ़ रहा है। खासतौर पर रेलवे, बीमा, एलआईसी, कोयला खदान और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ आवाज़ें तेज़ हुई हैं। लेबर कोड के चार नए कानूनों के लागू होने के बाद कर्मचारी हितों की अनदेखी का आरोप लगा। इसके साथ ही ग्रामीण भारत में भी मनरेगा बजट कटौती, खेती की लागत में वृद्धि और न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनिश्चितता ने किसान संगठनों को भी आंदोलित किया।

इन सभी मुद्दों को मिलाकर एक साझा संघर्ष मंच बना-जिसमें मज़दूर और किसान दोनों ही एकजुट हुए।

बंद से आर्थिक असर: अनुमान और चिंता
  • लगभग 15,000 करोड़ के दैनिक व्यापारिक नुकसान का अनुमान
  • शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव संभव
  • सरकारी विभागों में कामकाज ठप होने से नीतिगत निर्णयों में देरी
  • परिवहन अवरोध से माल आपूर्ति बाधित
एकजुट आवाज या केवल असुविधा?

भारत बंद 2025 केवल एक दिन की हड़ताल नहीं बल्कि देश की श्रमशक्ति और कृषकवर्ग की गहरी नाराजगी की अभिव्यक्ति है। यदि यह आंदोलन लंबे समय तक जारी रहता है या व्यापक जनसमर्थन पाता है, तो यह भविष्य में नीतिगत बदलावों की राह प्रशस्त कर सकता है। हालांकि, आम नागरिकों के लिए यह एक असुविधाजनक दिन भी है। खासकर नौकरीपेशा, छात्र, छोटे व्यापारियों और यात्रियों के लिए दिन भर की गतिविधियों पर असर पड़ सकता है।

दिल्ली मेट्रो पर प्रभाव

कोई आधिकारिक रुकावट नहीं हुई- दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने अभी तक भारत बंद के चलते किसी भी रूट को प्रभावित करने, बंद करने या डायवर्ट करने की घोषणा नहीं की है।

  • सेवाओं में सामान्य परिचालन जारी-निली, पीली, लाल और गुलाबी और अन्य लाइनों पर ट्रेनें नियमित समय पर चल रही हैं, और डीएमआरसी का मानना है कि मेट्रो सामान्य रूप से चल रही है।
  • ट्रैफिक समस्यायें संभावित-हालांकि मेट्रो सिस्टम चल रहा है, लेकिन सडक़ मार्गों पर ट्रैफिक जाम, प्रदर्शन, रूट ब्लॉकेज या पुलिस बैरियर की वजह से यात्रियों को स्टेशन तक पहुँचने में देरी हो सकती है
  • यात्री विशेष सावधानी बरतें- डीएमआरसी और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने यात्रियों को सलाह दी है कि वे सोशल मीडिया या हेल्पलाइन चैनलों के माध्यम से रियल-टाइम ट्रैफिक अपडेट्स देखें और यात्रा में पर्याप्त समय छोडकऱ निकलें
इन बातों का रखें ध्यान
  • यात्रा से पहले समय निकालें-रूट डायवर्जन या जाम की जानकारी के लिए रियल-टाइम अपडेट देखें।
  • अल्टरनेट रूट रखें-अगर स्टेशन तक रेलवे या बस सेवा बाधित हो, तो टैक्सी या ऐप-कैब विकल्प तैयार रखें।
  • समय का ध्यान रखें- कार्यालय या अन्य कार्यक्रम में देरी से पहुंचने की संभवनाओं के मद्देनजऱ अतिरिक्त समय निर्धारित करें।
Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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