
पटना/दिल्ली. Bihar Politics: बिहार की सियासी जमीन फिर से तप रही है और कांग्रेस अब कोई भी ‘पोलिटिकल मिस्टेक’ दोहराने के मूड में नहीं है। दिल्ली और हरियाणा में गठबंधन की खिचड़ी अधपकी रह गई थी, लेकिन इस बार बिहार में कांग्रेस पूरी तैयारी से उतरने जा रही है। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और तेजस्वी यादव 15 अप्रैल को दिल्ली में एक अहम बैठक कर रहे हैं, जहां महागठबंधन का ‘फुल प्रूफ’ प्लान तैयार होगा।
कांग्रेस-आरजेडी की बैठक में तय होगा चुनावी रोडमैप
यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के निवास पर होगी, जिसमें राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, कन्हैया कुमार सहित कई बड़े नेता शामिल होंगे। इस बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति के साथ-साथ सीट बंटवारे, साझा एजेंडा और मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर तस्वीर साफ हो सकती है।
दिल्ली-हरियाणा से सीखा सबक, अब नहीं करेंगे गलती
हरियाणा में आप पार्टी से गठबंधन अधर में लटक गया था और दिल्ली में इंडिया गठबंधन के दो घटक दल कांग्रेस व आप पार्टी अलग-अलग मैदान में उतरे। नतीजा? दोनों को झटका लगा और बीजेपी ने बाजी मार ली। कांग्रेस अब तय कर चुकी है कि बिहार में वही गलती दोहराना सियासी ‘आत्महत्या’ होगी।
बिहार में कमजोर है कांग्रेस की जड़, इसलिए तेजस्वी जरूरी
2020 के चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 19 पर जीत हासिल की। आरजेडी ने हार का ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ा। ऐसे में कांग्रेस को अब न सिर्फ गठबंधन मज़बूत करना है, बल्कि खुद को भी मज़बूत साबित करना है। तेजस्वी यादव की लोकप्रियता और राजनीतिक पकड़ को नजऱअंदाज़ करना कांग्रेस के लिए आत्मघाती हो सकता है।
सीएम फेस पर फंसा पेंच, क्या मानेगी कांग्रेस?
महागठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर असमंजस बरकरार है। कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी यादव के नाम पर मुहर नहीं लगाई है, जबकि आरजेडी उन्हें ही आगे बढ़ाना चाहती है। ऐसे में 15 अप्रैल की बैठक में इस मुद्दे पर कोई बड़ा फैसला हो सकता है।
