नई दिल्ली.Cabinet Meeting Decisions: केंद्रीय कैबिनेट की शुक्रवार को हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं, जो देश के विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। इनमें दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े कदम उठाए गए हैं।
दिल्ली-हरियाणा कनेक्टिविटी को मिलेगी नई गति
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण के तहत रिठाला-नरेला-कुंडली कॉरिडोर को मंजूरी दे दी है, जो दिल्ली और हरियाणा के बीच कनेक्टिविटी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। यह परियोजना न केवल दिल्लीवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण सौगात साबित होगी, बल्कि यह दोनों राज्यों के बीच यात्रा की सुगमता में भी अभूतपूर्व वृद्धि करेगी। इस कॉरिडोर से दिल्ली और हरियाणा के बीच आर्थिक और सामाजिक संबंधों को भी एक मजबूती मिलेगी।
चार साल में होगा पूरा, तैयार हो रहा है भविष्य का नेटवर्क
यह महत्वाकांक्षी परियोजना अगले चार वर्षों में पूरी होगी और इससे दिल्ली मेट्रो नेटवर्क और अधिक प्रभावी और सुलभ बनेगा। अब दिल्ली-हरियाणा के बीच यात्रा करना होगा और भी आसान, जिससे लोग तेजी से अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे। दिल्ली मेट्रो के चौथे फेज यानि रिठाला-नरेला-कुंडली कॉरिडोर को मंजूरी देना दिल्ली मेट्रो के विस्तार और दिल्ली-NCR क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन की सुविधा बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना दिल्ली मेट्रो नेटवर्क को और अधिक विकसित और सुलभ बनाने में मदद करेगी। आइए, इस परियोजना के बारे में विस्तार से जानते हैं:
परियोजना का उद्देश्य
दिल्ली मेट्रो का चौथा फेज, रिठाला-नरेला-कुंडली कॉरिडोर, दिल्ली के उत्तरी क्षेत्र और हरियाणा के कुछ हिस्सों को जोड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में यातायात की भीड़ को कम करना और अधिक लोगों को मेट्रो द्वारा यात्रा करने के लिए प्रेरित करना है।
रूट और विस्तार
इस परियोजना के तहत रिठाला मेट्रो स्टेशन से शुरू होकर नरेला, बवाना होते हुए कुंडली तक मेट्रो लाइन का विस्तार किया जाएगा। यह कॉरिडोर दिल्ली और हरियाणा के बीच बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। खासकर उन क्षेत्रों में जहां अब तक सार्वजनिक परिवहन की सुविधाएं सीमित थीं, वहां इस मेट्रो लाइन से सुविधा का बड़ा लाभ मिलेगा।
मुख्य विशेषताएं
- लंबाई और स्टेशन: इस कॉरिडोर की लंबाई करीब 21 किलोमीटर होगी, और इसमें कुल 16 स्टेशन होंगे। इन स्टेशनों से उत्तरी दिल्ली और हरियाणा के विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों को जोड़ा जाएगा।
- कनेक्टिविटी: यह कॉरिडोर दिल्ली मेट्रो के मौजूदा नेटवर्क से जुड़ेगा, जिससे यात्री आसानी से विभिन्न क्षेत्रों में यात्रा कर सकेंगे। इसके अलावा, यह इलाके की स्थानीय यातायात समस्याओं को कम करेगा।
- प्रौद्योगिकी: मेट्रो की सुविधाओं में उन्नत तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे यात्रा सुगम और सुरक्षित होगी। नए यात्रीगण के लिए भी स्टेशन और कोचों में विशेष सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
- समय की बचत: मेट्रो कॉरिडोर के बनने से लोगों को अपने यात्रा समय में काफी कमी महसूस होगी। खासकर उन क्षेत्रों में जहां सड़क मार्ग पर भारी ट्रैफिक रहता है, वहां मेट्रो से यात्रा करना अधिक समय-कुशल होगा।
- पर्यावरणीय प्रभाव: मेट्रो के उपयोग से प्रदूषण में भी कमी आएगी, क्योंकि लोग निजी वाहनों का उपयोग कम करेंगे, जिससे वायुमंडल में प्रदूषण का स्तर घटेगा।
परियोजना की वित्तीय लागत
इस परियोजना की अनुमानित लागत हजारों करोड़ रुपये हो सकती है। दिल्ली मेट्रो ने इस परियोजना के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से वित्तीय सहायता की अपेक्षा की है। इसके साथ ही, मेट्रो नेटवर्क का विस्तार करने के लिए जरूरी भूमि अधिग्रहण और निर्माण कार्यों के लिए भी संसाधन जुटाए गए हैं।
भविष्य की योजनाएं
दिल्ली मेट्रो के चौथे फेज के बाद, मेट्रो नेटवर्क के और विस्तार की योजनाएँ भी तैयार हैं। दिल्ली मेट्रो के और अधिक कॉरिडोर बनाए जाने से दिल्ली के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में बेहतर यातायात व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी।
यह परियोजना दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों के लिए एक बड़ी सफलता साबित हो सकती है, जो शहर की बढ़ती आबादी और यातायात की समस्याओं के समाधान के रूप में कार्य करेगी।
शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देशभर में शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़े कदम उठाए हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 85 नए केंद्रीय विद्यालयों (KVs) और 28 नए नवोदय विद्यालयों की स्थापना को मंजूरी दी है। इन नए स्कूलों के खुलने से देश भर में करीब 82,000 छात्रों को गुणवत्तापूर्ण और सस्ती शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
केंद्रीय विद्यालयों का विस्तार और नवोदय विद्यालयों की स्थापना
मंत्रिमंडल ने एक मौजूदा केंद्रीय विद्यालय के विस्तार को भी मंजूरी दी है। इस योजना के तहत, 2025-26 तक आठ वर्षों की अवधि में 85 नए केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना की जाएगी। इसके लिए कुल 5,872.08 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
केंद्रीय विद्यालयों की बढ़ती संख्या
हाल ही में जारी बयान के मुताबिक, देशभर में अब तक 1,256 केंद्रीय विद्यालय काम कर रहे हैं, जिनमें तीन विदेशों (मॉस्को, काठमांडू और तेहरान) में भी स्थित हैं। इन विद्यालयों में 13.56 लाख छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जो भारतीय शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता को दर्शाता है। इन फैसलों से यह स्पष्ट होता है कि मोदी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और नागरिकों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
