नई दिल्ली. COW Politics: कर्नाटक में गायों और गौशालाओं को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने पूर्व बीजेपी सरकार के 50 करोड़ रुपये के बजट से 100 गौशालाएं बनाने के प्रस्ताव को संशोधित करते हुए इस पर एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्य में 100 नई गौशालाएं बनाने के बजाय मौजूदा गौशालाओं की स्थिति सुधारने के लिए 10.50 करोड़ रुपये का उपयोग किया जाएगा।
कांग्रेस सरकार का तर्क: गौशालाओं में मवेशियों की कमी
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का कहना है कि कई नई गौशालाओं में मवेशियों की कमी है, जिससे नए निर्माण की बजाय पहले से मौजूद गौशालाओं को ठीक किया जाए। सरकार का मानना है कि इस राशि का सही इस्तेमाल प्रदेश में पहले से स्थापित गौशालाओं की सुविधा सुधारने में होगा, ताकि वे बेहतर तरीके से काम कर सकें और गायों के पालन पोषण के लिए एक स्थिर वातावरण बना सकें।
केंद्रीय मंत्री एचके पाटिल ने बैठक के बाद बताया कि 16 गौशालाओं का निर्माण पूरा हो चुका है और 35 अन्य गौशालाओं का कार्य जारी है। हालांकि, कई नई गौशालाओं में मवेशियों की कमी का सामना हो रहा है, और इस कारण सरकार ने मौजूदा संरचनाओं को सुदृढ़ करने का निर्णय लिया है।
बीजेपी का हमला: ‘गाय की पूजा करने वालों की भावनाओं को ठेस’
बीजेपी ने इस कदम की तीखी आलोचना की है और इसे गाय की पूजा करने वालों की भावनाओं से खिलवाड़ करार दिया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि कांग्रेस का यह दावा कि गौशालाओं में गायें नहीं हैं, बस एक बहाना है। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर कांग्रेस सरकार का इरादा सचमुच नेक होता, तो गौशालाएं पहले से ही सक्रिय रूप से काम कर रही होतीं। विजयेंद्र ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने इस फैसले के जरिए उन करोड़ों लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचाई है, जो गायों की पूजा करते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस हमेशा गोमांस खाने वालों के मुद्दों को लेकर चिंतित रहती है, और यह सरकार कभी भी गायों और गौशालाओं के लिए प्रतिबद्ध नहीं हो सकती। बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार गाय के मामले में ढुलमुल रवैया अपना रही है, जबकि बीजेपी सरकार गौशालाओं को लेकर अपनी योजनाओं को लेकर गंभीर थी।
देश भर में ‘गाय’ को लेकर राजनीति
गाय और गौशालाओं को लेकर राजनीति केवल कर्नाटक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में एक अहम मुद्दा बन चुका है। चुनावों के समय अधिकांश राजनीतिक दल गाय के नाम पर वोट बटोरने की कोशिश करते हैं। महाराष्ट्र में 2019 विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने गाय को राज्यमाता का दर्जा दे दिया था। इस फैसले को लेकर भी जमकर राजनीति हुई थी, हालांकि लंपी वायरस ने उस वक्त गायों के लिए किए गए कई बड़े वादों की पोल खोल दी थी।
2022 में लंपी बीमारी ने पूरे देश में गायों और अन्य मवेशियों को बुरी तरह प्रभावित किया था, जिसमें लाखों जानवरों की जान चली गई। इस महामारी ने राजनीतिक दलों द्वारा किए गए वादों की सच्चाई को उजागर कर दिया था। इसके बावजूद, चुनावों के समय राजनीतिक दल गायों के लिए नई योजनाओं की घोषणा करते हैं, जिससे यह मुद्दा हमेशा जीवित रहता है।
हमारे शास्त्रों में कहा गया है – गाव: सर्वसुख प्रदा:’।
लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री आवास परिवार में एक नए सदस्य का शुभ आगमन हुआ है।
प्रधानमंत्री आवास में प्रिय गौ माता ने एक नव वत्सा को जन्म दिया है, जिसके मस्तक पर ज्योति का चिह्न है।
इसलिए, मैंने इसका नाम ‘दीपज्योति’… pic.twitter.com/NhAJ4DDq8K
— Narendra Modi (@narendramodi) September 14, 2024
प्रधानमंत्री मोदी और गाय पर उनकी पकड़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गायों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को कभी न कभी सार्वजनिक रूप से दिखाया है। पिछले साल एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर उन्होंने एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें उन्होंने दीपज्योति नामक बछड़े से परिचय कराया। इस वीडियो में मोदी बछड़े के साथ नजर आ रहे थे और इसे एक प्यारी और संरक्षित गाय के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम देश भर में उनके गाय प्रेम को दर्शाने के लिए देखा गया।
आगे क्या होगा?
कर्नाटक में गायों के मामले को लेकर राजनीति और बढ़ने की संभावना है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला अब तेज हो गया है और आगामी चुनावों में यह मुद्दा और भी बड़ा बन सकता है। राजनीतिक दलों के लिए यह एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन चुका है, और देखा यह जाएगा कि कौन सी पार्टी गायों के मुद्दे पर अपनी नीति को जनता तक सही तरीके से पहुंचा पाती है। देश में गायों के प्रति प्रेम और संरक्षण का मुद्दा जितना राजनीतिक है, उतना ही समाजिक और धार्मिक भी है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी का गाय के संरक्षण और गौशालाओं के निर्माण की दिशा में वास्तविक प्रभाव दिखाई देता है।