sanskritiias

Donald Trump News: ट्रंप और शी के बीच जल्द हो सकती है बड़ी बातचीत: व्यापार तनाव कम करने की कोशिशें तेज़, व्हाइट हाउस ने की पुष्टि

Share this post

Donald Trump
Donald Trump

वाशिंगटन/बीजिंग. Donald Trump News:  अमेरिका और चीन के बीच फिर से व्यापारिक बातचीत की संभावनाएं तेज हो गई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इस सप्ताह एक अहम फोन कॉल हो सकता है। व्हाइट हाउस ने सोमवार को इसकी पुष्टि की। यह बातचीत ऐसे समय पर हो रही है जब हाल ही में ट्रंप ने चीन पर व्यापार समझौते के प्रावधानों का पालन न करने का आरोप लगाया था।

व्हाइट हाउस की आधिकारिक पुष्टि

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने संवाददाताओं को बताया कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच बातचीत “बहुत जल्द” हो सकती है। लेविट ने कहा, “मैं पुष्टि कर सकती हूं कि इस सप्ताह दोनों नेताओं के बीच बातचीत संभव है। और हमेशा की तरह, जब विदेशी नेताओं से कॉल होती है, हम उसका विवरण साझा करेंगे।” (स्रोत: एबीसी न्यूज)

यह तीसरी बार है जब किसी वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने इस बात के संकेत दिए हैं कि ट्रंप और शी के बीच सीधी बातचीत हो सकती है। इससे पहले अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट और वाणिज्य सचिव द्वारा भी ऐसे ही संकेत दिए जा चुके हैं।

मुख्य मुद्दा: खनिज संसाधनों पर विवाद

इन चर्चाओं की पृष्ठभूमि में एक बड़ा विवाद है विशेष रूप से “क्रिटिकल मिनरल्स” यानी दुर्लभ खनिज संसाधनों को लेकर। अमेरिका का आरोप है कि चीन ने इन खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे वैश्विक सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है। ट्रंप प्रशासन इसे व्यापारिक असंतुलन और रणनीतिक खतरे के रूप में देखता है।

ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने रविवार को सीबीएस के “फेस द नेशन” कार्यक्रम में कहा था कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच जल्द बातचीत होगी। उन्होंने इस विवाद को “बहुत संवेदनशील” बताया और यह भी जोड़ा कि “हमने जिनेवा में कुछ प्रगति की है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है।”

जिनेवा में हुई थी अस्थायी सुलह

बीते महीने स्कॉट बेसेन्ट ने जिनेवा में चीन के साथ व्यापार वार्ता का नेतृत्व किया था। उस बैठक में एक 90 दिन की अस्थायी राहत पर सहमति बनी थी, जिसके तहत दोनों देशों ने भारी टैरिफों (आयात शुल्क) को फिलहाल टालने का निर्णय लिया था। इस घोषणा के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में उछाल देखा गया था।

लेकिन जानकारों का मानना है कि यह राहत सिर्फ सतही है। क्योंकि इस समझौते में उन बुनियादी मुद्दों का समाधान नहीं किया गया, जिनके चलते ट्रंप प्रशासन ने पहले चीन पर टैरिफ लगाए थे-जैसे चीन की सरकारी नियंत्रित अर्थव्यवस्था, सब्सिडी आधारित उत्पादन मॉडल और अमेरिकी प्रौद्योगिकी तक पहुंच बनाने की चीनी कोशिशें।

चीन का रूख: “हालिया संपर्क नहीं हुआ”

ट्रंप ने बीते शुक्रवार को बयान दिया था कि उन्हें उम्मीद है शी जिनपिंग से “बहुत जल्द” बातचीत होगी। लेकिन इसके उलट चीन का कहना है कि अप्रैल से अब तक दोनों नेताओं के बीच कोई सीधा संपर्क नहीं हुआ है। यह विरोधाभासी स्थिति यह दिखाती है कि दोनों पक्षों के बीच भरोसे की खाई अब भी गहरी है। बीजिंग स्थित सूत्रों के अनुसार, चीन फिलहाल अपनी निर्यात रणनीति को लेकर किसी भी प्रकार की रियायत देने को तैयार नहीं है, खासकर तब जब अमेरिका अपनी घरेलू राजनीतिक परिस्थितियों के चलते बार-बार दबाव बना रहा है।

कानूनी मोर्चे पर भी घमासान

व्यापार युद्ध के इस दौर में कानूनी लड़ाई भी तेज हो गई है। पिछले बुधवार को अमेरिकी व्यापार न्यायालय ने फैसला सुनाया कि ट्रंप ने राष्ट्रीय आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए कुछ टैरिफ लागू किए थे, जो उनकी संवैधानिक सीमाओं से बाहर जाते हैं। लेकिन अगले ही दिन संघीय अपीलीय न्यायालय ने इस निर्णय को पलट दिया, जिससे टैरिफ फिलहाल बने रहेंगे। अदालत ने इस मामले में दोनों पक्षों को जून की शुरुआत तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

राजनीतिक मायने: चुनावी साल में तनाव

यह बातचीत ऐसे समय पर होने जा रही है जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का माहौल बन रहा है। ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं और चीन के खिलाफ सख्त रवैया उनके अभियान का अहम हिस्सा है। ऐसे में ट्रंप किसी भी बातचीत को “मजबूती से अमेरिकी हितों के पक्ष में” दिखाना चाहेंगे। वहीं चीन भी अपने भीतर की आर्थिक चुनौतियों और वैश्विक छवि को लेकर सतर्क है। वह बातचीत तो चाहता है, लेकिन दबाव में आकर कोई निर्णय लेने को तैयार नहीं दिख रहा।

क्या होगी अगली चाल?

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह बातचीत केवल औपचारिक संवाद होगी या वास्तव में किसी नए समझौते की नींव रखेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस बार दोनों पक्षों में वास्तविक मुद्दों पर बात होती है-जैसे खनिज निर्यात, बौद्धिक संपदा की सुरक्षा और सरकारी सब्सिडी-तो आने वाले महीनों में कोई बड़ा समझौता सामने आ सकता है। लेकिन यदि यह वार्ता केवल प्रतीकात्मक रही, तो व्यापार युद्ध की वापसी तय मानी जा रही है।

अमेरिका और चीन के बीच संभावित वार्ता वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। व्यापार युद्ध के इस दौर में यह बातचीत न केवल टैरिफ राहत ला सकती है, बल्कि वैश्विक व्यापार संतुलन की दिशा भी तय करेगी। हालांकि, दोनों देशों की जिद और आंतरिक राजनीति इस राह को आसान नहीं बनने देंगी। अब निगाहें इस सप्ताह होने वाली उस बहुप्रतीक्षित कॉल पर टिकी हैं-जो दो महाशक्तियों के भविष्य की दिशा तय कर सकती है।

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

Leave a Comment

ख़ास ख़बरें

ताजातरीन

best news portal development company in india