
Fighter Jet: पाकिस्तान एयर फ़ोर्स की नई लड़ाकू विमान बेड़ा संरचना, जिसमें चीन के J-10C, जेएफ-17 और J-35 जैसे अत्याधुनिक विमान शामिल हैं, भारत के लिए एक अप्रत्यक्ष लाभ साबित हो सकती है। हालांकि यह दिखने में पाकिस्तान के वायुसेना के लिए एक ताकतवर कदम हो सकता है, विशेषज्ञों का कहना है कि इसके परिणामस्वरूप भारतीय वायुसेना को कोई बड़ी चुनौती नहीं होने वाली है। आइए जानते हैं कि कैसे ये विमान भारत के लिए एक अवसर बन सकते हैं।
पाकिस्तान एयर फ़ोर्स का नया 3-स्तरीय लड़ाकू विमान बेड़ा
पाकिस्तान एयर फ़ोर्स ने हाल ही में अपने लड़ाकू विमान बेड़े को एक 3-स्तरीय संरचना में पुनर्गठित किया है। इस संरचना के तहत:
- JF-17 ब्लॉक 3 (लोवर/मिड-टीयर) – यह पाकिस्तान और चीन के संयुक्त प्रयास से निर्मित हल्का, सिंगल-इंजन, मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है। इसे पुराने लड़ाकू विमानों जैसे मिरेज 3 और F-7P की जगह लाने के लिए डिजाइन किया गया है। पाकिस्तान के पास फिलहाल करीब 50 जेएफ-17 ब्लॉक 3 विमानों का बेड़ा है, और इसे 100 तक बढ़ाने की योजना है।
- J-10C (मिड/अपर टीयर) – यह चीन द्वारा पूरी तरह से निर्मित एक 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जो अत्याधुनिक एवियोनिक्स, AESA रडार और PL-15 जैसे लंबी दूरी के मिसाइलों से लैस है। पाकिस्तान ने अब तक करीब 25 जे-10C विमान खरीदे हैं।
- J-35 (अपर-टीयर) – जे-35 एक पाँचवीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान है, जिसे चीन ने विकसित किया है। इसमें स्टील्थ तकनीक का उपयोग किया गया है, लेकिन यह पूरी तरह से स्टील्थ नहीं है। इसे पाकिस्तान ने चीन से खरीदा है, और पाकिस्तानी विशेषज्ञों का दावा है कि इससे पाकिस्तान की वायुसेना की ताकत में काफी वृद्धि होगी।
पाकिस्तानी विमानों के सामने आने वाली चुनौतियां
हालांकि पाकिस्तान का यह 3-स्तरीय विमान बेड़ा प्रभावशाली प्रतीत होता है, लेकिन इसमें कई चुनौतियाँ हैं। सबसे पहले, जेएफ-17 ब्लॉक 3 विमानों की ऑपरेशनल दर केवल 60-65 प्रतिशत के आसपास है। पाकिस्तान एरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स (क्क्रष्ट) में इन विमानों के लिए उत्पादन लाइन सेट की गई है, लेकिन फिर भी महत्वपूर्ण घटकों जैसे इंजन (RD-93 MA) और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए पाकिस्तान को चीन पर निर्भर रहना पड़ता है, जो कभी-कभी विमानों की मरम्मत में देरी का कारण बन सकता है। इसके अलावा, चीन पर अमेरिका की कई प्रतिबंधों का असर पाकिस्तान पर भी पड़ सकता है, जिससे पाकिस्तान को स्पेयर पार्टस की उपलब्धता में दिक्कत हो सकती है।
भारतीय वायुसेना को क्या लाभ हो सकता है?
भारत के लिए यह स्थिति एक रणनीतिक लाभ हो सकती है। पाकिस्तान द्वारा तीन अलग-अलग प्रकार के लड़ाकू विमानों को संचालित करना, जो सभी एक ही देश (चीन) पर निर्भर हैं, एक बहुत बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। सबसे बड़ी समस्या स्पेयर पाट्र्स और इंजनों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने की होगी। उदाहरण के लिए, चीन खुद जेएफ-17 के इंजन के लिए रूस पर निर्भर है, जो एक अन्य जटिलता पैदा करता है।
दूसरी ओर, भारत के पास एक मजबूत और विविधतापूर्ण लड़ाकू विमान बेड़ा है, जिसमें 250 से अधिक सु-30एमकेआई विमान, 36 राफेल विमान और जल्द ही तेजस एमके 1 विमानों की संख्या बढऩे वाली है। इसके अलावा, भारत 114 लड़ाकू विमानों की खरीद का भी इरादा रखता है। इस प्रकार, भारतीय वायुसेना की क्षमता पाकिस्तान की वायुसेना से कहीं अधिक है, और उसे किसी भी समय पाकिस्तान के विमानों को परास्त करने की क्षमता प्राप्त है।
