sanskritiias

FIT NEWS: लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे (एफआईटी) की शुरुआत के बाद मुद्रास्फीति में कमी आई: संजय मल्होत्रा

Share this post

Governor Sanjay Malhotra

मुंबई. FIT NEWS: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (एफआईटी) ढांचे की शुरुआत के बाद से औसत मुद्रास्फीति में गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई का स्तर भी अधिकांशतः निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप बना रहा है। यह बयान उन्होंने मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद दिए गए निर्णयों के संदर्भ में दिया।
एफआईटी का प्रभाव: भारतीय अर्थव्यवस्था में बदलाव
संजय मल्होत्रा ने कहा कि लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे की शुरुआत 2016 में हुई थी, और इसके बाद 2021 में इसकी समीक्षा की गई थी। एफआईटी का मुख्य उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाना और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना था, जिससे उपभोक्ताओं और व्यापारियों को समान रूप से लाभ हो सके। मल्होत्रा ने इस ढांचे को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, “एफआईटी की शुरुआत के बाद औसत मुद्रास्फीति में गिरावट आई है और सीपीआई मुद्रास्फीति ज्यादातर लक्ष्य के अनुरूप रही है।”
हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ मौकों पर महंगाई ने ऊपरी सहनशीलता सीमा को पार किया। इसका मतलब यह है कि कई बार महंगाई का स्तर निर्धारित सीमा से ऊपर चला गया, लेकिन मल्होत्रा ने इसे इस ढांचे की लचीलापन के कारण समग्र आर्थिक प्रभावों को नियंत्रित करने के संदर्भ में व्याख्यायित किया। उन्होंने कहा कि, “हम उभरती हुई विकास-मुद्रास्फीति गतिशीलता का जवाब देते हुए, ढांचे में निहित लचीलेपन का उपयोग करके व्यापक आर्थिक परिणामों में सुधार करना जारी रखेंगे।”
लचीलेपन और डेटा का महत्व
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक अब नए डेटा के उपयोग में प्रगति कर रहा है, जिससे प्रमुख मैक्रोइकॉनोमिक वैरिएबल्स के पूर्वानुमान और नाउकास्टिंग में सुधार हो सके। उनका कहना था कि, “हम इसे अधिक मजबूत मॉडल विकसित करके और पूर्वानुमान प्रणालियों में सुधार करके एफआईटी ढांचे को और अधिक परिष्कृत करने का प्रयास करेंगे।” यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक दीर्घकालिक सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य नीति निर्धारण में और अधिक डेटा-आधारित निर्णय लेना है।
नियामक बदलाव और वित्तीय स्थिरता
मल्होत्रा ने बैंकों के लिए तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) और ऋण हानि प्रावधान (ECL) ढांचे में प्रस्तावित नियामक परिवर्तनों की भी जानकारी दी। ये परिवर्तन बैंकों के कामकाजी ढांचे और वित्तीय स्थिरता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से किए गए हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक वित्तीय सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण के साथ-साथ, अर्थव्यवस्था के समग्र हित में नियामक ढांचे को मजबूत करने और सुधारने का प्रयास करता रहेगा। उन्होंने कहा, “हम अर्थव्यवस्था के समग्र हित में विवेकपूर्ण और आचरण संबंधी नियामक ढांचे को मजबूत, युक्तिसंगत और परिष्कृत करना जारी रखेंगे। आर्थिक स्थिरता और दक्षता के बीच संतुलन बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है।”
नियमों के कार्यान्वयन पर जोर
मल्होत्रा ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक सभी नियामक बदलावों के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और संवेदनशीलता बनाए रखेगा। उन्होंने कहा, “हम नियम बनाने में हितधारकों के सुझावों को गंभीरता से लेंगे। कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले, हम उन पर विचार करेंगे। इसके अलावा, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि नियमों का कार्यान्वयन सुचारू रूप से हो और जहां बड़ा प्रभाव पड़ता है, वहां कार्यान्वयन चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा।”
इसका मतलब यह है कि रिजर्व बैंक सभी नियमों को लागू करते वक्त उद्योग के विभिन्न पक्षों के विचारों को शामिल करेगा, ताकि नए नियमों का समग्र प्रभाव सकारात्मक हो और कोई भी पक्ष इससे प्रभावित न हो। संजय मल्होत्रा का यह बयान भारतीय रिजर्व बैंक के दृषटिकोन को दर्शाता है, जिसमें न केवल मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना बल्कि समग्र वित्तीय स्थिरता और उपभोक्ता संरक्षण भी महत्वपूर्ण है। रिजर्व बैंक का प्रयास है कि लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे को निरंतर सुधारते हुए, भारतीय अर्थव्यवस्था को एक स्थिर और मजबूत रास्ते पर बनाए रखा जाए।
Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

Leave a Comment

ख़ास ख़बरें

ताजातरीन

best news portal development company in india