
पंजाब. Haryana-punjab Water Disput: चिंगारी वहीं से उठी, जहां से दोनों राज्यों की प्यास बुझती है – भाखड़ा डैम से। लेकिन अब पानी की एक-एक बूंद को लेकर लड़ाई संसद से लेकर सडक़ों तक पहुंच गई है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा को पानी दिए जाने के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने नंगल डैम पर पंजाब पुलिस की तैनाती का आदेश दिया, ताकि भाखड़ा डैम से छोड़ा गया पानी हरियाणा न पहुंच सके। मान का कहना है कि पंजाब के हिस्से की “डकैती” अब नहीं चलेगी। यह विवाद तब गहराया जब हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 28 अप्रैल को भाखड़ा डैम से 8,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की मांग की। यह पानी पीने और सिंचाई के लिए मांगा गया था। पंजाब ने इसका तीखा विरोध किया।
आधी रात का पानी और दोपहर की रोक
मामला और उलझ गया जब भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (क्चक्चरूक्च) ने हरियाणा को पानी देने का निर्णय ले लिया। रात 12:30 बजे पानी छोड़ा गया, लेकिन पंजाब ने दोपहर 3:30 बजे नंगल डैम पर इसे रोक दिया। कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने दावा किया कि पानी रोकने का फैसला राज्य हित में लिया गया। AAP मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने नंगल डैम जाकर उस कमरे को बंद करवा दिया जहां से पानी नियंत्रित किया जाता है। वहीं पर AAP कार्यकर्ताओं ने धरना भी दिया।
केंद्र ने ली कमान, 2 मई को बुलाई बड़ी बैठक
जल विवाद बढ़ता देख केंद्र सरकार हरकत में आई है। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और राजस्थान के मुख्य सचिवों की बैठक 2 मई को दिल्ली में बुलाई है ताकि कोई समाधान निकाला जा सके।
विशेष सत्र और सर्वदलीय बैठक का ऐलान
मुख्यमंत्री मान ने ऐलान किया कि इस मुद्दे पर 5 मई को पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। साथ ही 3 मई को सर्वदलीय बैठक कर सभी राजनीतिक दलों को भरोसे में लेने की कोशिश होगी। मान ने सवाल उठाया कि जब क्चक्चरूक्च में पंजाब की 60त्न हिस्सेदारी है, तो बिना पंजाब की मर्जी के पानी कैसे छोड़ा जा सकता है?
“गुंडागर्दी और तानाशाही”: मान का सीधा हमला
मुख्यमंत्री ने हरियाणा और राजस्थान पर हमला बोलते हुए कहा कि ये बीजेपी शासित राज्य “गुंडागर्दी और तानाशाही” के सहारे पंजाब से जबरन पानी लेना चाहते हैं। उन्होंने चेताया कि पंजाब को धान की बुआई के लिए खुद पानी चाहिए, ऐसे में एक बूंद भी नहीं दी जाएगी।
पुराना विवाद, नई चिंगारी
1966 में हरियाणा का पंजाब से अलग राज्य बनने के साथ ही सतलुज-ब्यास नदी जल बंटवारा विवाद शुरू हुआ। 15 मई 1976 को क्चक्चरूक्च की स्थापना हुई, जिसने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के बीच जल बंटवारे को नियोजित किया।
1981 में हुआ समझौता, जिसमें जल आवंटन इस प्रकार था:
- पंजाब – 4.22 मिलियन एकड़ फीट(MAF)
- हरियाणा – 3.50 मिलियन एकड़ फीट (MAF)
- राजस्थान – 8.60 मिलियन एकड़ फीट (MAF)
अब मामला यह है
- हरियाणा मांग रहा है – 8,500 क्यूसेक
- पंजाब भी मांग रहा है – 8,000 क्यूसेक
- और जून तक ये मांग 23,000 क्यूसेक तक पहुंच सकती है।
कौन सही, कौन गलत?
- पंजाब का दावा: हरियाणा पहले ही अपने हिस्से से ज्यादा – 104% पानी इस्तेमाल कर चुका है।
- हरियाणा का तर्क: उनकी मांग भाखड़ा डैम के कुल पानी का केवल 0.0001% है।
