
जयपुर. Heavy Rain In Rajasthan: मेवाड़ की धरती इस बार सच में धन्य हो गई है। बरसों बाद ऐसा मौका आया है जब सावन ने अपनी सारी मेहरबानी एक साथ लुटा दी है। चारों तरफ पहाडिय़ों पर काले-घने बादल डेरा डाले बैठे हैं। कहीं ठंडी पुरवाई बह रही है तो कहीं हल्की-हल्की रिमझिम से किसान, मजदूर और पशुपालक सब खिल उठे हैं। खेतों में पानी पहुंचा तो गांवों की पगडंडियों पर भी रौनक लौट आई है।
नाथद्वारा: बनास की बाढ़ ने जगाई उम्मीद
सबसे पहले बात नाथद्वारा की। यहां की जीवनरेखा मानी जाने वाली बनास नदी ने इस बार अपनी पुरानी शान दिखा दी। लगातार बारिश से नंदसमंद बांध पूरे जोर से भर गया। रात के अंधेरे में जैसे ही पांच गेट खोले गए तो सन्नाटे में पानी का शोर सुन पूरा गांव बांध किनारे इक_ा हो गया। मोबाइल की टॉर्च जलती रहीं, बच्चे वीडियो बनाते रहे और बुजुर्ग हाथ जोडकऱ बहते पानी को देख आशीर्वाद मांगते रहे । इस बार खेतों में हरियाली कम नहीं होगी।
कुंभलगढ़: लखेला तालाब के छलकने पर उत्सव सा माहौल
अब रुख करते हैं कुंभलगढ़ का: पहाडिय़ों में बसे इस ऐतिहासिक किले के नीचे फैला लखेला तालाब सालों बाद छलका है। पानी की चादर जब तालाब की दीवारों से सरकती हुई नीचे गिरी तो दूर-दूर से लोग इस नजारे को देखने उमड़ पड़े। पूरा मेला जैसा दृश्य था, बच्चे पानी में छपाक-छपाक करते रहे, युवाओं ने सेल्फी खींचीं, दुकानदारों ने चाय-पकोड़े, मक्का भुट्टे बेचकर अच्छी कमाई कर ली। किसी बुजुर्ग ने तो हंसते हुए कहा, “लखेला छलकता है तो समझो मेवाड़ में हर घर में दीवाली होती है!”
देवगढ़: कुंडेली बांध बना जीवनदायिनी
इधर देवगढ़ का कुंडेली बांध भी इस बार सच्चा वरदान बन गया है। जिसे सोपरी बांध भी कहते हैं, वो इस इलाके की नसों में जान भरता है। पिछले कुछ सालों से जैसे बांध खुद भी सूखने की कगार पर था। लेकिन इस बार बादलों ने इतना बरसाया कि कुंडेली ओवरफ्लो हो गया। मोटी पानी की परत जब बांध से फिसलती तो गांव की औरतें घड़े भरने दौड़ पड़तीं। बच्चों ने पानी में पैर डाल-डालकर उछल-कूद मचाई। गांव के बुजुर्ग दूर बैठे तसल्ली से कहते रहे अब खेत प्यासा नहीं रहेगा।
कुछ मुश्किलें भी साथ आईं
हालांकि इतनी बारिश से थोड़ी मुश्किलें भी पैदा हुई हैं। देवगढ़ से कालीघाटी जाने वाली सडक़ का एक किनारा बारिश में धंस गया है। मिट्टी बह जाने से कई जगह गड्ढे हो गए हैं। रात के अंधेरे में बाइक और जीप चालकों को डर सता रहा है कि कोई हादसा न हो जाए। गांववालों ने पंचायत को गुहार लगाई है कि सडक़ की मरम्मत तुरंत हो, वरना बरसात के दिनों में गांवों की आवाजाही ठप हो सकती है।
गोमती नदी से फिर जी उठा राजसमंद
राजसमंद जिले के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात ये है कि यहां की लाइफलाइन मानी जाने वाली गोमती नदी फिर से जिंदा हो गई है। नदी का पानी सियाणा तक पहुंच चुका है। गांवों में उम्मीद की किरण जगी है कि जल्द ही पानी राजसमंद झील में भी पहुंच जाएगा। झील का पेट भरेगा तो आसपास के गांवों के कुएं, हैंडपंप भी फिर से लबालब हो जाएंगे। किसान खुश हैं। खेतों में धान, मक्का, तिलहन की अच्छी फसल की उम्मीद बंध गई है।
प्रशासन भी चौकन्ना
बारिश के बढ़ते मिजाज को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। जल संसाधन विभाग की टीमों ने रात-रात भर पेट्रोलिंग शुरू कर दी है। गांवों में लाउडस्पीकर से लगातार मुनादी हो रही है किसी भी हालत में नदी, नालों के किनारे न जाएं, बच्चों को पानी से दूर रखें, भीड़ न लगाएं!
चौपालों में बस एक ही चर्चा
गांव-गांव की चौपालों पर इसी बात की चर्चा है कि बादलों ने इस बार किस कदर रहम दिखाया है। बुजुर्ग कह रहे हैं कि बरसों बाद ऐसा मौसम देखने को मिला है जब एक साथ नदियां उफनी हैं, तालाब छलके हैं और खेतों में नमी भर गई है। गांव की महिलाएं भी कह रही हैं अगर ऐसे ही बादल मेहरबान रहे तो इस साल अनाज की कमी कोई नहीं देखेगा।
अब देखना है कि आने वाले दिनों में इंद्रदेव कितनी और बारिश बरसाते हैं। लेकिन अभी तो हर गांव में यही कहा जा रहा है मेवाड़ पर बादलों की मेहरबानी बरकरार रहे!
‘मेवाड़ की बारिश: खास बिंदु’
- नाथद्वारा: नंदसमंद बांध के पांच गेट खुले, बनास नदी पूरे वेग में
- कुंभलगढ़: ऐतिहासिक लखेला तालाब छलका, गांवों में उत्सव जैसा माहौल
- देवगढ़: कुंडेली (सोपरी) बांध ओवरफ्लो, सूखा इलाका फिर हरा होगा
- खतरा: देवगढ़-कालीघाटी रोड धंसी, आवाजाही में दिक्कत
- गोमती नदी: पानी सियाणा तक पहुंचा, राजसमंद झील में भराव की उम्मीद
- किसानों को राहत: धान, मक्का, तिलहन की अच्छी फसल की संभावना
- प्रशासन अलर्ट: पेट्रोलिंग तेज, नदी किनारे जाने पर पाबंदी
- गांवों में चर्चा: “इंद्रदेव ने सुन ली!”
