
HMVP Virus Timeline: एचएमपीवी वायरस (HMPV) ने जैसे ही चीन में अपनी दस्तक दी, ये कई देशों में तेजी से फैलने लगा। भारत, मलेशिया, हांगकांग, जापान और ब्रिटेन समेत दुनियाभर के अस्पतालों को श्वसन संबंधी बीमारियों में अचानक वृद्धि के बाद हाई अलर्ट पर रखा गया। आइए जानते हैं इस वायरस की पूरी टाइमलाइन, जिसमें हम आपको बताएंगे कि कब और कहां से इसकी शुरुआत हुई, और कब इसे एक वैश्विक संकट के रूप में पहचाना गया।
2001: पहली बार नीदरलैंड में पहचान
एचएमपीवी वायरस की पहचान सबसे पहले 2001 में नीदरलैंड में बच्चों में की गई थी। हालांकि, ब्रिटेन के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, कई शोधों से पता चला है कि यह वायरस कम से कम 50 वर्षों से मानव शरीर में फैल रहा था। दरअसल, 1958 में नीदरलैंड में इसकी मौजूदगी की पुष्टि हुई थी, और इसके बाद दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इसे ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका और यूरोप में भी पहचाना।
1999-2003: पहली मौतें
एचएमपीवी से हुई पहली मौत का रिकॉर्ड स्पष्ट नहीं है, लेकिन डेली स्टार के अनुसार, यह वायरस दशकों से अस्तित्व में था। साइंस लेटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1999 से 2003 तक के बीच कई रोगियों की मौत हुई, जिनमें इस वायरस का पता चला था। इस तथ्य से यह साबित होता है कि एचएमपीवी सिर्फ एक संक्रमण नहीं, बल्कि जानलेवा भी है।
3 जनवरी 2023: चीन में नया संकट
चीन में इस वायरस ने नया संकट उत्पन्न किया। 3 जनवरी 2023 को, चीनी अधिकारियों ने “व्हाइट लंग” नामक रहस्यमय निमोनिया के मामलों के लिए निगरानी शुरू की। मौसम में बदलाव और इनडोर आयोजनों को इसके प्रसार का मुख्य कारण माना गया। इसके बाद, चीन में एचएमपीवी वायरस के मामलों में तेज वृद्धि देखने को मिली।
6 जनवरी 2023: भारत में पहला केस
भारत में एचएमपीवी वायरस का पहला केस 6 जनवरी 2023 को पुणे में बीजे मेडिकल कॉलेज और एनआईवी पुणे द्वारा पुष्टि किया गया। यह वायरस भारतीय बच्चों में पाया गया। इसी दौरान, ब्रिटेन में भी एचएमपीवी वायरस के मामलों में वृद्धि देखी गई, खासकर क्रिसमस के समय।
वर्तमान स्थिति
वर्तमान में, एचएमपीवी वायरस ने दुनियाभर के अस्पतालों को चिंतित कर दिया है, जहां श्वसन संबंधी बीमारियों से संक्रमित रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। भारत, मलेशिया, हांगकांग, जापान और ब्रिटेन समेत कई देशों में इसके केस बढ़ने के बाद स्वास्थ्य संस्थान इस पर लगातार निगरानी रख रहे हैं। इस रहस्यमय वायरस की इस समय एक गहरी जांच की आवश्यकता है, ताकि इसके प्रसार को नियंत्रित किया जा सके और इस महामारी से लोगों की जान को बचाया जा सके।
