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Hyperloop Update: दिल्ली से मुंबई सिर्फ 2 घंटे में! हाइपरलूप तकनीक का उड़ान से भी तेज़ सफर, जानें कैसे

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नई दिल्ली. Hyperloop Update:  आधुनिक परिवहन में एक नई क्रांति लाने के उद्देश्य से, virgin Group  ने Hyperloop तकनीक पर 2014 से काम करना शुरू किया था। इस तकनीक का सपना एलोन मस्क ने 2013 में देखा था। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें यात्री या माल के पॉड्स बेहद तेज़ गति से कम दबाव वाले, वैक्यूम जैसी नलियों में यात्रा करेंगे, जिससे घर्षण और वायुरोधन (एयर रेजिस्टेंस) में भारी कमी आएगी।

क्या है Hyperloop?

Hyperloop एक भविष्यवादी परिवहन तकनीक है, जिसमें ट्रेन एक विशेष वैक्यूम ट्यूब के अंदर तेज़ गति से यात्रा करती है। यह प्रणाली यात्रियों को तेज़ और सुरक्षित यात्रा का अनुभव देने का वादा करती है। रिपोट्र्स के अनुसार, इस प्रणाली में ट्रेनें 1,100 किमी/घंटा की गति से चल सकती हैं, जबकि बुलेट ट्रेन की अधिकतम गति 450 किमी/घंटा होती है।

इस तकनीक की मदद से, यात्री महज़ 30 मिनट में अपनी यात्रा पूरी कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर इसे पूरे देश में लागू किया गया तो दिल्ली से जयपुर या मुंबई से पुणे जैसी दूरी केवल आधे घंटे में तय की जा सकती है।

हाइपरलूप कैसे काम करता है?

Hyperloop पॉड्स वैक्यूम जैसी नलियों में यात्रा करते हैं। चूंकि ये पॉड्स नली में चल रहे हैं, वायुगतिकीय खींच (एरोडायनमिक ड्रैग) बहुत कम होता है। virgin Hyperloop पॉड्स में मैग्नेटिक लेविटेशन और प्रोपल्शन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे गति में और भी तेजी आएगी। पॉड्स में लगे इलेक्ट्रोमैग्नेट्स पॉड को उठाने और उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने का कार्य करेंगे। ये पॉड्स ट्रेन की तरह एक साथ चल सकते हैं, लेकिन चूंकि ये आपस में जुड़े नहीं होते, इसलिए ये अलग-अलग रास्तों पर भी जा सकते हैं।

हाइपरलूप के फायदे
  • पर्यावरण पर कम असर: virgin Hyperloop का दावा है कि इसका पर्यावरण पर अन्य परिवहन प्रणालियों के मुकाबले कम प्रभाव पड़ेगा।
  • उड़ान जैसी गति, रेल जैसी आरामदायक यात्रा:  Hyperloop यात्रियों को एयरलाइन की गति और रेल की त्र-फोर्स का अनुभव देगा, साथ ही मेट्रो जैसी आरामदायक यात्रा भी।
  • तेज़ गति: यह पॉड्स 1000 किमी/घंटा की गति तक पहुँच सकते हैं, और यह सब वैक्यूम वातावरण में बिना किसी परेशानी के।
  • कहीं भी निर्माण: Hyperloop की संरचनाओं को ज़मीन के ऊपर या नीचे बनाया जा सकता है, जिससे खतरनाक क्रॉसिंग्स से बचा जा सकता है।
  • पर्यावरणीय देरी नहीं: यह एक बंद प्रणाली है, जिससे मौसम की देरी से बचा जा सकता है और इसका कोई बाहरी प्रभाव नहीं होता।
  • उन्नत संचार प्रणाली: Hyperloop का पूर्ण रूप से स्वचालित प्रणाली है, जिसमें सेंसर और वास्तविक समय में डेटा संचारित किया जाता है।
Hyperloop की सुरक्षा
  • आपातकालीन निकासी: Hyperloop नलियों में हर 75 मीटर पर आपातकालीन निकासी गेट्स होंगे, ताकि यात्रियों को जरूरत पडऩे पर सुरक्षित रूप से बाहर निकाला जा सके।
  • एयरलॉक प्रणाली: Hyperloop सिस्टम में एयरलॉक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे पॉड को वैक्यूम वातावरण से बाहर निकालने और अंदर लाने में कोई परेशानी नहीं होगी।
  • केंद्रीय कमांड और नियंत्रण: पूरे नेटवर्क में सुरक्षित और विश्वसनीय यात्रा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय नियंत्रण प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा।
दिल्ली से मुंबई, मात्र 1 घंटे में

virgin Hyperloop के परीक्षण सफल होने के बाद, दिल्ली से मुंबई (1153 किमी) की यात्रा सिर्फ 1 घंटा 22 मिनट में पूरी की जा सकती है। यह समय वाकई में अविश्वसनीय है और अगर इसे देशभर में लागू किया जाता है, तो यात्री महज़ कुछ घंटों में दूर-दराज के स्थानों तक पहुँच सकते हैं। Hyperloop एक नई तकनीक है, जो भविष्य में हमारी यात्रा को बदल कर रख देगी, और यह भारतीय परिवहन उद्योग के लिए एक नई दिशा दिखा सकती है।

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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