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India Future War Development: भारत के फ्यूचर वार गेम्स: वो 5 घातक हथियार जो दुश्मन के होश उड़ा देंगे

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India Future War Development Photo AI Genreted
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नई दिल्ली. India Future War Development: दुनिया की सैन्य शक्ति संतुलन जिस तेजी से बदल रही है, उसमें भारत भी पीछे नहीं रहना चाहता। चीन और पाकिस्तान जैसे दोहरे मोर्चे से घिरे भारत के लिए जरूरी हो गया है कि वह भविष्य के युद्धों के लिए खुद को पहले से कहीं ज्यादा तैयार रखे। इसीलिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन समेत देश की तमाम एजेंसियां और निजी कंपनियां मिलकर ऐसे घातक हथियार और अत्याधुनिक तकनीक विकसित कर रही हैं, जो आने वाले वर्षों में युद्ध की परिभाषा ही बदल देंगे। मिसाइलों से लेकर लेजर वेपन और स्मार्ट रॉकेट सिस्टम तक भारत अपनी सैन्य शक्ति को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी कर चुका है। आइए जानते हैं उन 5 प्रमुख फ्यूचर वेपन सिस्टम  के बारे में, जिन पर भारत में तेजी से काम हो रहा है।

1. हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-II: दुनिया की सबसे तेज मिसाइलों में शुमार

भारत-रूस की साझेदारी से बनी ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल पहले ही दुश्मन के लिए खौफ बन चुकी है। अब इसका अगला वर्जन, ब्रह्मोस-II , हाइपरसोनिक गति से दुश्मन पर कहर बरपाने को तैयार हो रहा है।

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  • गति और मारक क्षमता: नई ब्रह्मोस-II की गति मैक 7 से 8 (करीब 8,600 से 9,800 किमी/घंटा) होगी। यह रफ्तार इसे दुनिया की सबसे तेज सामरिक मिसाइलों की सूची में डाल देगी।
  • रेंज: इसके पहले संस्करण की तुलना में रेंज भी बढ़ाई जा रही है- अनुमानित 600 से 1,000 किमी तक।
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: यह जमीन, समुद्र, पनडुब्बी और एयर प्लेटफॉर्म से दागी जा सकेगी।
  • तकनीक: इसमें स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा, जो इसे हवा में हाइपरसोनिक ग्लाइडिंग क्षमता देगा।
  • टाइमलाइन: DRDO ने इसके कई प्रोटोटाइप तैयार कर लिए हैं और परीक्षण जारी हैं। माना जा रहा है कि 2026 तक यह भारतीय सेनाओं में शामिल हो जाएगी।
2. पिनाका-4: लंबे रेंज वाला गाइडेड रॉकेट सिस्टम

भारतीय सेना के मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्च पिनाका ने करगिल युद्ध में अपनी मारक क्षमता साबित की थी। अब इसका अपग्रेडेड वर्जन पिनाका-4, भविष्य के युद्धों में दुश्मन की चिंता बढ़ाने वाला है।

  • रेंज: पिनाका-4 की रेंज मौजूदा वर्जन से तीन गुना ज्यादा, करीब 300 किमी तक होगी।
  • फायर पावर: यह हर 4 सेकंड में एक रॉकेट दाग सकता है और एक रेजिमेंट से एक साथ दर्जनों रॉकेट दागे जा सकते हैं।
  • गति: रॉकेट की गति मैक 4.7 यानी करीब 5,800 किमी/घंटा होगी। इसे इंटरसेप्ट करना लगभग नामुमकिन होगा।
  • डिप्लॉयमेंट प्लान: भारतीय सेना की योजना 2030 तक ऐसे 22 पिनाका रेजिमेंट तैनात करने की है, जिससे दुश्मन की किसी भी अग्रिम चौकी को मिनटों में तबाह किया जा सके।
3. दुर्गा-II: आसमान में दुश्मन को राख कर देगा लेजर वेपन

ड्रोन, स्वार्म ड्रोन और छोटे क्रूज मिसाइलों से बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत ने डायरेक्टेड एनर्जी वेपन तकनीक पर काम तेज कर दिया है।

क्या है दुर्गा-द्वितीय?

यह एक हाई-एनर्जी लेजर वेपन सिस्टम है, जिसे छोटे ड्रोन, दुश्मन के टोह लेने वाले ्रङ्क और अन्य हवाई खतरों को आसमान में ही खत्म करने के लिए डिजाइन किया गया है।

  • तैनाती: दुर्गा-द्वितीय को सैन्य वाहनों, युद्धपोतों और एयर डिफेंस सिस्टम में इंटीग्रेट किया जाएगा।
  • तकनीकी ताकत: यह दुश्मन की महंगी मिसाइल या ड्रोन को बिना गोला-बारूद खर्च किए सिर्फ ऊर्जा से खत्म कर देगा।
  • अपेक्षित समय: रक्षा सूत्रों के मुताबिक, दुर्गा-द्वितीय की पूर्ण तैनाती 2026 तक संभावित है।
4. तेजस MK1A: स्वदेशी फाइटर जेट जो देसी  राफेल कहलाएगा

स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान तेजस अब अपने अपग्रेडेड वर्जन MK1A के साथ भारतीय वायुसेना की रीढ़ बनने जा रहा है।

  • आधुनिक हथियार: tejas MK1A बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइलों से लैस होगा, जो दुश्मन के विमानों को रडार पर नजर आने से पहले ही भेद सकता है।
  • तकनीकी खूबियां: यह हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों प्रकार के हमले कर सकता है।
  • कब मिलेगा: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित तेजस MK1A इस साल भारतीय वायुसेना को मिलने वाला है। पहले बैच में करीब 12 तेजस MK1A शामिल किए जाएंगे।
  • ताकत: इसे पाकिस्तान के F-16 से ज्यादा एडवांस माना जा रहा है। इसमें एईएसए रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट और इन-फ्लाइट रीफ्यूलिंग की सुविधा होगी।
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5. अग्नि-V MIRV: एक मिसाइल, कई तबाही

भारत की लंबी दूरी की इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-V पहले ही 8,000 किमी से अधिक रेंज में मार करने में सक्षम है। लेकिन अब इसमें MIRV तकनीक जोड़ी जा रही है।

MIRV क्या करेगा?

एक मिसाइल से कई वॉरहेड छोड़े जा सकेंगे। इसका मतलब, अगर दुश्मन के पांच अलग-अलग ठिकाने हैं, तो पांच अलग मिसाइलें नहीं, सिर्फ एक अग्नि-V ही काफी होगी।

  • दायरा: एशिया के साथ-साथ यूरोप और अफ्रीका के भी कई हिस्से इसकी जद में रहेंगे।
  • रणनीतिक लाभ: यह भारत की स्ट्रेटेजिक डिटरेंस यानी परमाणु प्रतिरोधक ताकत को कई गुना बढ़ा देगा।
  • स्टेटस: इस पर डीआरडीओ का काम अंतिम चरण में बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि अगले कुछ सालों में MIRV से लैस अग्नि-वी को भारतीय रणनीतिक बल कमान में शामिल कर लिया जाएगा।
भविष्य के युद्ध के लिए तैयार भारत

भविष्य के युद्ध सिर्फ मैदान में सैनिकों के भरोसे नहीं लड़े जाएंगे, बल्कि नई तकनीकों और स्मार्ट हथियारों के दम पर दुश्मन को चौंकाया जाएगा। भारत ने यह समझ लिया है और इसलिए सेना को अत्याधुनिक बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। आज हाइपरसोनिक मिसाइल से लेकर लेजर वेपन तक भारत हर मोर्चे पर तकनीकी बढ़त लेने की कोशिश कर रहा है। ये हथियार सिर्फ जंग की दिशा नहीं, बल्कि उसका अंजाम भी तय करेंगे।

1. हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-II के ग्लोबल कॉन्टेक्स्ट में
  • हाइपरसोनिक हथियार फिलहाल अमेरिका, रूस और चीन के पास ही सीमित हैं। चीन ने DF-ZF नामक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल तैनात कर रखा है। रूस की अवांगार्ड प्रणाली भी इसी श्रेणी में आती है। ब्रह्मोस-II के ऑपरेशनल होने से भारत इस हाइपरसोनिक क्लब में शामिल होने वाला तीसरा देश होगा।
  • स्रोत: SIPRI और दर्दो की प्रेस रिलीज़।
2. पिनाका का निर्यात भी होगा
  • पिनाका रॉकेट सिस्टम को DRDO और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स व लार्सन एंड टुब्रो ने मिलकर विकसित किया है। भारत अब इस प्रणाली को वियतनाम, अर्मेनिया और कुछ अफ्रीकी देशों को भी निर्यात करने पर विचार कर रहा है।
  • स्रोत: दर्दो की वा​र्षिक रिपोर्ट 2024 और रक्षा मंत्रालय की एक्सपोर्ट पॉलिसी दस्तावेज़।
3. दुर्गा-II लेजर के परीक्षण
  • दुर्गा-II के शुरुआती ट्रायल 2020 में डिफेंस साइंस सेंटर, दिल्ली में हुए थे। इसकी रेंज 2 किमी से बढ़ाकर अब 5-10 किमी तक ले जाने की योजना है।
  • स्रोत: DRDO तकनीकी पेपर और िडसा की रिपोर्ट।
4. तेजस MK1A का प्रोडक्शन
  • हिन्दूस्तान एयरोनोटिकल लिमिटेड (HAL) हर साल औसतन 16 तेजस एमके1ए बनाएगा। कुल 83 तेजस एमके1ए का ऑर्डर भारतीय वायुसेना ने दिया है, जिसकी कुल लागत करीब 48,000 करोड़ रुपये है।
  • स्रोत: HALकी वा​र्षिक रिपोर्ट 2024 और रक्षा मंत्रालय का संसद में बयान।
5. अग्नि-V और MIRV
  • भारत की MIRV तकनीक के विकास में रक्षा अनुसंधान संगठन ने मिशन शक्ति (एंटी सैटेलाइट टेस्ट) से सीखी गई रिएंट्री व्हीकल तकनीक का भी इस्तेमाल किया है।
  • स्रोत: रक्षा मंत्रालय और बार्क की रिपोट्र्स।
Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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