
India pakistan War: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरे भारत में आक्रोश की लहर है। देश की सेनाएं हाई अलर्ट पर हैं और रणनीतिक बैठकों का दौर जारी है। उधर पाकिस्तान भी यह मान चुका है कि भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई कभी भी हो सकती है। इस हालात में एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है—अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ता है तो वैश्विक ताकतें किस ओर झुकेंगी?
अमेरिका: रणनीतिक साझेदारी के तले तटस्थता
अतीत में अमेरिका पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक सहयोग देता रहा है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में समीकरण बदल चुके हैं। चीन को काउंटर करने के लिए अमेरिका को अब भारत की ज्यादा जरूरत है। भारत-अमेरिका रक्षा, तकनीक और खुफिया साझेदारी नए मुकाम पर है। हालांकि, युद्ध की स्थिति में अमेरिका खुलकर किसी का पक्ष नहीं लेगा—पर पर्दे के पीछे भारत को खुफिया सहयोग देने की संभावना काफी मजबूत है।
रूस: परंपरागत समर्थन, लेकिन यूक्रेन युद्ध में उलझा
भारत के सबसे भरोसेमंद सहयोगी रूस ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का साथ दिया है। लेकिन इस बार रूस खुद यूक्रेन युद्ध में उलझा है। इसके बावजूद रूस भारत को सैन्य उपकरणों, तकनीकी सहायता और कूटनीतिक समर्थन दे सकता है। सीधे सैन्य हस्तक्षेप की संभावना नहीं के बराबर है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भारत को रूस की पीठ ठोकेगी।
चीन: पाकिस्तान का छुपा सेनापति
अगर भारत-पाक युद्ध होता है तो सबसे जटिल भूमिका चीन की होगी। चीन लंबे समय से पाकिस्तान को सैन्य, तकनीकी और खुफिया मदद देता आया है। युद्ध की स्थिति में वह सीधे मैदान में नहीं उतरेगा, लेकिन डिजिटल युद्ध, सैटेलाइट इंटेलिजेंस और हथियारों के जरिए पर्दे के पीछे से पाकिस्तान को मजबूत करने की कोशिश जरूर करेगा।
फ्रांस: रक्षा सहयोगी से कूटनीतिक समर्थन तक
यूरोप में भारत का सबसे भरोसेमंद सहयोगी फ्रांस, युद्ध की स्थिति में कूटनीतिक और रक्षा स्तर पर भारत का खुला समर्थन कर सकता है। राफेल डील और समुद्री रक्षा सहयोग के जरिए दोनों देशों के बीच रिश्ते और गहरे हुए हैं। फ्रांस भारत को उन्नत सैन्य उपकरण और खुफिया जानकारी मुहैया करा सकता है।
ब्रिटेन: निंदा तो होगी, पर दूरी बनी रहेगी
ब्रिटेन ने पहलगाम हमले की कड़ी आलोचना की है, लेकिन वह युद्ध की स्थिति में तटस्थ रुख अपनाएगा। हालांकि, वह संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर भारत का समर्थन कर सकता है—खासतौर पर आतंकवाद के खिलाफ।
तुर्की: पाकिस्तान का रणनीतिक साझीदार
तुर्की ने हाल के वर्षों में पाकिस्तान के साथ अपने सैन्य संबंध मजबूत किए हैं। आधुनिक ड्रोन से लेकर तकनीकी सहयोग तक, तुर्की युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान की पीठ बन सकता है। साथ ही, तुर्की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान के पक्ष में आ सकता है।
मुस्लिम देश: भावनाएं धर्म से नहीं, रणनीति से तय होंगी
मध्य-पूर्व के देश-सऊदी अरब, यूएई, कतर और ईरान-पहलगाम हमले की निंदा कर चुके हैं और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता दिखाई है। बीते कुछ वर्षों में भारत ने खाड़ी देशों के साथ आर्थिक और रणनीतिक रिश्ते मजबूत किए हैं। यही वजह है कि युद्ध की स्थिति में ये देश तटस्थ रह सकते हैं या सीमित स्तर पर भारत का समर्थन कर सकते हैं। धार्मिक भावनाओं की बजाय इनका रुख अब कूटनीति और राष्ट्रीय हितों से तय होता है।
