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Indian Air force:भारतीय वायुसेना ने 15 साल पहले सेवा से सेवानिवृत्त MiG-23 फाइटर जेट्स को अभी भी किया संरक्षित, जानिए इसके कारण और उपयोग

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MIG–23

नई दिल्ली.Indian Air force: भारतीय वायुसेना (IAF) ने पिछले दशकों में कई महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों को सफलता पूर्वक अंजाम दिया है, और अपनी ताकत बढ़ाने के लिए समय-समय पर नये और अत्याधुनिक लड़ाकू विमान शामिल किए हैं। इनमें से कुछ विमान, जैसे कि डसॉ राफेल, सुखोई Su-30MKI, मिग-29, डसॉ मिराज 2000, और स्वदेशी HAL तेजस, भारतीय वायुसेना की वायु शक्ति को और मजबूत बनाते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि 15 साल पहले सेवा से सेवानिवृत्त होने के बावजूद भारतीय वायुसेना के पास अभी भी मिग-23 फाइटर जेट्स का एक बड़ा भंडार है? ये विमान भारतीय वायुसेना के Maintenance Command के तहत संरक्षित किए गए हैं, और ये एक लंबी अवधि के लिए रिजर्व के रूप में रखे गए हैं।

मिग-23: एक ऐतिहासिक विमान

मिग-23 एक तीसरी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे सोवियत संघ के मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया था। यह विमान अपनी परिवर्तनीय जियोमेट्री (स्वेप्ट विंग) के लिए प्रसिद्ध है, जो उड़ान के दौरान प्रदर्शन को अनुकूलित करता है। इसकी अधिकतम गति 2,500 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुँचती है, और यह अपनी उन्नत राडार तकनीक और मिसाइल क्षमताओं के लिए भी जाना जाता है।

भारत ने मिग-23 को 2007 में सेवा से हटा लिया था, और इसके बाद धीरे-धीरे मिग-23BN और मिग-23MF वेरिएंट्स को भी सेवानिवृत्त कर दिया गया। हालांकि, इन विमानों को पूरी तरह से खत्म नहीं किया गया है, बल्कि भारतीय वायुसेना ने इन्हें संरक्षण में रखा है, ताकि इन्हें विभिन्न उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सके।

क्यों रखा गया है मिग-23 को संरक्षित?

इन विमानों को कई कारणों से रखा गया है। सबसे पहले, ये विमानों के हिस्सों का रिजर्व स्रोत हो सकते हैं, जो नए विमानों की मरम्मत या उनके पुर्जों की कमी को पूरा करने में सहायक हो सकते हैं। इसके अलावा, इन विमानों को प्रशिक्षण, परीक्षण और अनुसन्धान के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

प्रशिक्षण और तकनीकी विकास के लिए उपयोग
इन संरक्षित मिग-23 विमानों का उपयोग तकनीकी कर्मचारियों, इंजीनियरों, डिजाइनरों और पायलटों को प्रशिक्षण देने के लिए किया जा सकता है। वे इन विमानों पर काम करके विभिन्न मरम्मत विधियों, असेंबली प्रक्रियाओं और नए तकनीकी परीक्षणों को लागू कर सकते हैं, जो नए विमानों के संचालन और रखरखाव को अधिक प्रभावी बनाएंगे। इसके अलावा, मिग-23 का उपयोग नए हथियारों, एवियोनिक्स और उपकरणों के परीक्षण के लिए भी किया जा सकता है, बिना वर्तमान कार्यात्मक विमानों को जोखिम में डाले।

मिग-23 की विशेषताएं

1. गति: मिग-23 की अधिकतम गति 2,500 किमी/घंटा तक होती है, जो इसे एक तेज और उच्च गति वाला विमान बनाता है।
2. राडार: यह सोवियत संघ का पहला लड़ाकू विमान था, जिसमें लुक-डाउन/शूट-डाउन राडार की तकनीक थी।
3. मिसाइल क्षमता: मिग-23 को बीवीआर (बियॉन्ड विजुअल रेंज) मिसाइलों से लैस किया गया था, जो इसे युद्ध में अधिक प्रभावी बनाते थे।
4. उत्पादन: 5,000 से अधिक मिग-23 विमानों का निर्माण हुआ था, जो इसे इतिहास का सबसे ज्यादा उत्पादन वाला वेरिएबल-स्वेप विंग विमान बनाता है।

मिग-23 के भंडारण से भारतीय वायुसेना को तकनीकी प्रशिक्षण, पुर्जों की उपलब्धता और नए विमानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिल सकती हैं। यह विमान अब भले ही सेवा से बाहर हो गए हों, लेकिन उनका महत्व और उपयोग अब भी वायुसेना की समग्र ताकत और क्षमता को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

 

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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