
नई दिल्ली. Indian Politics: संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह का भीमराव अंबेडकर के संदर्भ में दिया गया बयान अब राजनीतिक तूफान का कारण बन गया है। शाह ने कहा, “आजकल आंबेडकर-आंबेडकर का नाम जपना फैशन बन गया है। अगर लोग भगवान का इतना नाम लेते, तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।” इस बयान ने विपक्षी दलों को बुरी तरह से उकसाया, और एक बार फिर कांग्रेस समेत कई अन्य दलों ने शाह से माफी की मांग की है।
विपक्ष का आक्रोश, कांग्रेस का तीखा हमला
अमित शाह के इस बयान के बाद पूरे विपक्ष ने उन्हें घेर लिया। कांग्रेस ने इसे दलित समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बयान करार दिया और पार्टी नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी ने शाह से माफी की मांग की। ममता बनर्जी, मायावती और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं ने भी इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस के सांसदों ने संसद में भी भीमराव अंबेडकर के बैनरों के साथ प्रदर्शन किया और लोकसभा तथा राज्यसभा की कार्यवाही को स्थगित कर दिया।
संसद में हंगामा, सड़क पर भी विरोध
इस विवाद ने केवल संसद तक सीमित नहीं रहा, बल्कि देशभर में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी। दिल्ली, बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी विरोध प्रदर्शन तेज हो गए। आम आदमी पार्टी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए भाजपा मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन का ऐलान किया और दिल्ली के आगामी चुनावों में इसे प्रमुख मुद्दा बनाने की बात की।
भा.ज.पा. का पलटवार, किरेन रिजिजू का जवाब
भा.ज.पा. ने इस मामले में अपनी सफाई दी और विपक्ष पर पलटवार किया। भाजपा सांसद किरेन रिजिजू ने आरोप लगाया कि कांग्रेस बार-बार बाबा साहेब अंबेडकर के नाम का दुरुपयोग करती है। रिजिजू ने खुद को अंबेडकर के बताए मार्ग पर चलने वाला बौद्ध बताते हुए भाजपा के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि 1951 में अंबेडकर के इस्तीफे के 71 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक बौद्ध को मंत्री बनाया और उनके सम्मान में 5 तीर्थ स्थल और 450 फुट ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया गया।
अमित शाह की सफाई: क्या शांत होगा विवाद?
विवाद को बढ़ता देख, गृह मंत्री अमित शाह ने मीडिया से बात करने का निर्णय लिया और खुद अपनी स्थिति स्पष्ट की। इस बयान के बाद शाह ने विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया, और कहा कि उनका बयान गलत तरीके से पेश किया गया। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी चर्चा की।
यह विवाद भाजपा और कांग्रेस के बीच एक नई राजनीतिक लड़ाई को जन्म दे चुका है। आगामी चुनावों में इसका क्या असर पड़ेगा, यह समय ही बताएगा। अब देखना होगा कि अमित शाह की सफाई से यह मामला शांत होता है या फिर और बढ़ता है।
