
मुंबई. Indian Stock Market: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकिंग तंत्र में तरलता बढ़ाने की घोषणा और आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में देश की जीडीपी वृद्धि दर के मजबूत अनुमान के चलते घरेलू शेयर बाजार में बीते सप्ताह जोरदार तेजी देखने को मिली। आरबीआई के फैसलों और सरकार द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट का बाजार पर महत्वपूर्ण असर पड़ेगा। इस सप्ताह के अंत में केंद्रीय बजट की घोषणाओं, आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के परिणाम और जनवरी महीने में वाहन बिक्री के आंकड़ों के परिणामों पर ध्यान रहेगा।
बीते सप्ताह की बाजार गतिविधियां
बीते सप्ताह, बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 1,315.5 अंक यानी 1.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 77,505.96 अंक पर पहुंच गया। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 389.95 अंक चढ़कर 24,382.15 अंक पर बंद हुआ। इस दौरान, 01 फरवरी को संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश किया था, जिससे बाजार में हलचल रही और एक विशेष सत्र के दौरान बाजार का प्रदर्शन देखा गया।
मझौली और छोटी कंपनियों का मिलाजुला रुख
समीक्षाधीन सप्ताह में, बीएसई की दिग्गज कंपनियों के विपरीत मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में मिश्रित रुख देखने को मिला। मिडकैप इंडेक्स 168.65 अंक यानी 0.4 प्रतिशत बढ़कर 42,884.28 अंक पर बंद हुआ। वहीं, स्मॉलकैप इंडेक्स में केवल 7.71 अंक की मामूली गिरावट आई और यह 50,099.80 अंक पर सपाट रहा।
बजट और आरबीआई के फैसलों से बाजार पर प्रभाव
विश्लेषकों के अनुसार, आगामी सप्ताह में केंद्रीय बजट की घोषणाओं का असर साफ तौर पर दिखाई देगा, खासकर आर्थिक सुधार, बुनियादी ढांचे में निवेश और कर नीतियों से संबंधित प्रावधानों पर। इन फैसलों से बाजार की धारणा प्रभावित हो सकती है। वहीं, आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक 05 से 07 फरवरी के बीच होने वाली है, जहां ब्याज दरों में कटौती या अन्य तरलता बढ़ाने के उपायों का ऐलान किया जा सकता है। इन फैसलों का बाजार की दिशा पर गहरा असर पड़ेगा।
वाहन बिक्री आंकड़े और अंतर्राष्ट्रीय बाजार
जनवरी 2025 के वाहन बिक्री आंकड़े भी बाजार के रुख को प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि यह उपभोक्ता मांग और विकास दर का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। इसके अलावा, वैश्विक बाजारों की स्थितियों, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक घटनाओं का भी असर घरेलू बाजारों पर पड़ सकता है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा पूंजी निकासी को लेकर भी निवेशकों की नजर रहेगी। पिछले कुछ महीनों में एफपीआई ने बड़े पैमाने पर पूंजी निकासी की है, हालांकि जनवरी के अंत में उन्होंने इंडेक्स फ्यूचर्स में अपनी शॉर्ट पोजिशन कम की है, जिससे संभावना जताई जा रही है कि उनकी निकासी की गति धीमी हो सकती है।
डेरिवेटिव्स बाजार और प्रमुख सेक्टर्स
अगले सप्ताह डेरिवेटिव्स बाजार के संकेत भी अहम हो सकते हैं। वित्तीय सेवाओं और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में उच्च ओपन इंटरेस्ट देखने को मिल रहा है, जो इन क्षेत्रों में बढ़ती गतिविधि का संकेत देता है। चूंकि इन दोनों क्षेत्रों का निफ्टी में करीब 50 प्रतिशत का योगदान है, इनकी गति का बाजार पर भी महत्वपूर्ण असर पड़ेगा।
