
नई दिल्ली. Iran-Israel War: मध्य-पूर्व में हालिया वर्षों में जो घटनाएँ घटी हैं, उनका चरम रूप 2025 में एक भयानक युद्ध के रूप में सामने आया है। यह संघर्ष इस्लामिक गणराज्य ईरान और यहूदी राष्ट्र इजऱाइल के बीच वैचारिक, धार्मिक और सामरिक विरोध का परिणाम है, जो अब वैश्विक अस्थिरता का कारण बन चुका है। यह लेख न केवल इस युद्ध के कारणों और घटनाओं का विश्लेषण करता है, बल्कि इसके सामाजिक, आर्थिक, तकनीकी और कूटनीतिक प्रभावों को भी विस्तार से प्रस्तुत करता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: वैचारिक विरोध की गहराई
1979 की ईरानी क्रांति और वैचारिक दूरी
ईरान में 1979 में अयातुल्ला खुमैनी के नेतृत्व में इस्लामिक क्रांति हुई। इसके बाद ईरान एक धर्म आधारित शासन में परिवर्तित हो गया और पश्चिमी समर्थक शाही व्यवस्था को समाप्त कर दिया। क्रांति के बाद से ही ईरान ने इजऱाइल को ज़ायोनी शासन करार देते हुए इसे एक अवैध और दमनकारी राष्ट्र घोषित किया। ईरान ने फिलिस्तीनी संघर्ष का खुला समर्थन करते हुए हमास और हिज़बुल्लाह जैसे संगठनों को समर्थन देना शुरू कर दिया।
छद्म युद्ध और प्रभुत्व की होड़
पिछले दो दशकों में ईरान ने क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए सीरिया, लेबनान और इराक में अपने समर्थक समूहों को सैन्य और वित्तीय सहायता दी। इजऱाइल के लिए यह बढ़ता प्रभाव चिंता का कारण रहा है। लेबनान में हिज़बुल्लाह द्वारा इजऱाइल पर बार-बार रॉकेट हमलों ने पहले से ही तनावपूर्ण माहौल को और उग्र बना दिया।
2025: प्रत्यक्ष युद्ध का आरंभ
इस्फहान पर इजऱाइली हमला
अप्रैल 2025 में इजऱाइल ने ईरान के इस्फहान स्थित परमाणु प्रतिष्ठानों और रिवोल्यूशनरी गाड्र्स के सैन्य ठिकानों पर एक साथ कई हवाई हमले किए। इस ऑपरेशन को “ऑपरेशन ब्लैक शील्ड” नाम दिया गया। इन हमलों में लगभग 37 वैज्ञानिक और 15 वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मारे गए।
ईरान की जवाबी कार्रवाई
ईरान ने इसके जवाब में एक समन्वित और बहु-आयामी हमला किया। लगभग 200 बैलिस्टिक मिसाइलें, 100 ड्रोन और 50 क्रूज़ मिसाइलें इजऱाइल के विभिन्न सैन्य और नागरिक लक्ष्यों पर छोड़ी गईं। हाइफ़ा के बंदरगाह, तेल अवीव के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और यरुशलम के प्रशासनिक केंद्र पर भारी क्षति पहुंची।
हताहत और विस्थापन
- मृतक: 1200 से अधिक (इजऱाइल: 720, ईरान: 480)
- घायल: 7000+
- विस्थापित: 12,000 से अधिक लोग
- बुनियादी सेवाएं प्रभावित: 3 प्रमुख जल संयंत्र और 4 पावर स्टेशन नष्ट
आधुनिक युद्ध की रणनीति
एआई व ड्रोन का व्यापक उपयोग
ईरान ने शाहेद-149, अब्दाली क्रूज़ मिसाइल और ईरान-हड्सन स्वार्म ड्रोन जैसे उन्नत हथियारों का इस्तेमाल किया, जिनमें एआई आधारित लक्ष्य निर्धारण प्रणाली लगी थी। इजऱाइल ने इसका जवाब अपनी स्काईलाइट मिसाइल डिटेक्शन प्रणाली, एल्टेरा रडार और “थंडरशील्ड” नामक लेजर आधारित इंटरसेप्टर से दिया।
साइबर युद्ध और सूचना युद्ध
- इजऱाइल की वित्तीय प्रणाली पर हमला: टेल बैंक, पे ईजेड जैसी प्रमुख सेवाएं कुछ घंटों तक ठप
- ईरान की एयर ट्रैफिक प्रणाली को डिस्टर्ब किया गया, जिससे तीन नागरिक विमान गलत ट्रैक पर चले गए
- सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाओं की बाढ़, जिससे जनता में भय और भ्रम फैला
आर्थिक परिदृश्य पर असर
इजऱाइल की अर्थव्यवस्था पर भारी मार
- जीडीपी: $520 बिलियन
- अनुमानित क्षति: $55.6 बिलियन (₹25.68 लाख करोड़)
- 60 प्रतिशत स्टार्टअप्स ने अस्थायी रूप से परिचालन बंद किया
- 80प्रतिशत गैर-आवश्यक उद्योग बंद
- टूरिज़्म: 95प्रतिशत बुकिंग रद्द
- शेयर बाज़ार में 11प्रतिशत गिरावट
ईरान की अर्थव्यवस्था और प्रतिबंधों की मार
- तेल निर्यात पर नए प्रतिबंध
- रियाल की वैल्यू में 18प्रतिशत गिरावट
- घरेलू मुद्रास्फीति दर 32प्रतिशत तक पहुंची
- रोजग़ार संकट गहरा, 6 लाख श्रमिक अस्थायी रूप से बेरोजग़ार
भारत और एशियाई देशों की भूमिका
- भारत ने 30,000 मजदूर भेजने की योजना को सक्रिय किया
- श्रमिक सुरक्षा, भुगतान और समायोजन पर राजनीतिक बहस तेज
- नेपाल और श्रीलंका से भी 5000+ श्रमिक इजऱाइल पहुँचे
सामाजिक और मानवीय संकट
- विस्थापन और शिविरों की दुर्दशा
- 12,000 लोग आंतरिक रूप से विस्थापित
- गर्मी, पानी की कमी और बीमारियों ने हालत बदतर की
- इजऱाइल के साउथ डिस्ट्रिक्ट और ईरान के खुज़ेस्तान प्रांत में हालात गंभीर
शिक्षा पर असर
- स्कूल और कॉलेज पूरी तरह बंद
- डिजिटल शिक्षा तक पहुंच सिर्फ 45त्न छात्रों को
- परीक्षा, स्कॉलरशिप और विश्वविद्यालय प्रवेश में असमंजस
- मानसिक स्वास्थ्य आपातकाल
- पीटीएसडी के मामलों में 60 प्रतिशत वृद्धि
- महिलाओं और बच्चों पर गहरा असर
- विश्व स्वास्थ्य संगठन और सूनिसेफ की आपात मानसिक स्वास्थ्य इकाइयाँ सक्रिय
वैश्विक प्रभाव
- ऊर्जा आपूर्ति पर संकट
- तेल की कीमतें $98 से $126 प्रति बैरल
- गैस की आपूर्ति में 18 प्रतिशत गिरावट
- यूरोप, भारत, जापान में ऊर्जा दरें आसमान छूने लगीं
- ऊर्जा ट्रांजिट मार्गों पर सुरक्षा खतरा
वैश्विक मंदी की आहट
- आईएमएफ: वैश्विक विकास दर घटकर 1.8त्न
- एफआईआई और एफडीआई का पलायन बढ़ा
- जोखिम वाली मुद्रा (रुपया, लिरा, रैंड) में भारी गिरावट
- रूस-यूक्रेन संघर्ष से मिलती-जुलती चुनौतियाँ
- आपूर्ति श्रृंखला बाधित
- वैश्विक खाद्य कीमतों में 12 प्रतिशत वृद्धि
- रक्षा खर्च में 9 प्रतिशत की औसत वृद्धि (ओईसीडी डेटा)
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत की भूमिका
संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक संगठनों की प्रतिक्रिया
- यूएनएससी में दो बार विशेष बैठकें
- रूस-चीन का संयुक्त बयान: युद्धविराम तत्काल लागू हो
- अमेरिका की भूमिका अस्पष्ट: इजऱाइल के साथ लेकिन शांतिप्रिय प्रयासों की बात
- यूएनएचआरसी ने “इमरजेंसी रिस्पॉन्स फंड” बनाया
भारत का संतुलित हस्तक्षेप
- ऑपरेशन शांतिपथ: 4700 भारतीयों की सुरक्षित वापसी
- भारतीय नौसेना और वायुसेना की संयुक्त कार्रवाई
- एमईए ने हेल्पलाइन नंबर और ई-विजिट पोर्टल सक्रिय किया
- भारत की संसद में सर्वसम्मत प्रस्ताव: शांति का आग्रह
- संभावित समाधान और भविष्य की दिशा
सैन्य समाधान की सीमाएँ
- पिछले अनुभव: 2006 लेबनान युद्ध, 2014 गाज़ा संघर्ष
- सैन्य विजय = अस्थायी समाधान
- अस्थायी युद्धविराम के बाद फिर से हिंसा भडकऩे का इतिहास
क्षेत्रीय संवाद और मध्यस्थता
- तुर्की, सऊदी, मिस्र जैसे देशों की पहल ज़रूरी
- ओआईसी, जीसीसी और अरब लीग को कार्यवाही तेज करनी होगी
- ईरान और इजऱाइल के बीच ‘ट्रैक-2 डिप्लोमेसी’ की शुरुआत
संयुक्त राष्ट्र की निर्णायक भूमिका
- युद्धविराम की निगरानी के लिए ‘मिडल ईस्ट मिशन फोर्स’
- युद्ध अपराधों की जाँच हेतु विशेष ट्रिब्यूनल की माँग
- मानवीय सहायता के लिए ‘ब्लू कॉरिडोर’ की स्थापना
- वैश्विक नागरिक समाज और मीडिया की भूमिका
- मानवाधिकार संगठनों का स्वतंत्र डेटा संग्रह
अब तक युद्ध में क्या-क्या हुआ — एक समेकित घटनाक्रम
- (1979-2024): 1979 में ईरानी क्रांति के बाद ईरान ने इजऱाइल को च्च्ज़ायोनी शासनज्ज् मानते हुए अस्वीकार किया।
- ईरान ने हमास, हिज़बुल्लाह और अन्य समूहों को समर्थन देना शुरू किया।
- इजऱाइल ने ईरान के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव और परमाणु कार्यक्रम को खतरा माना।
- पिछले दशक में लेबनान, सीरिया और इराक में छद्म युद्ध चलते रहे।
2025: प्रत्यक्ष युद्ध की शुरुआत
- अप्रैल 2025: ऑपरेशन ब्लैक शील्ड: इजऱाइली वायुसेना ने ईरान के इस्फहान में परमाणु ठिकानों और रिवोल्यूशनरी गाड्र्स के अड्डों पर हमला किया।
- लगभग 37 वैज्ञानिक और 15 उच्च अधिकारी मारे गए।
- यह हमला एक निर्णायक मोड़ बन गया।
ईरान की जवाबी कार्रवाई
- 200 बैलिस्टिक मिसाइलें, 100 ड्रोन और 50 क्रूज़ मिसाइलें इजऱाइल पर दागी गईं।
- तेल अवीव, यरुशलम, हाइफ़ा में भारी क्षति।
- आयरन डोम कुछ मिसाइलें रोक सका, लेकिन रक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे।
मानव क्षति
- मृतक: 1200+ (इजऱाइल: 720, ईरान: 480)
- घायल: 7000+
- विस्थापित: 12,000 से अधिक
- जल संयंत्र और पावर स्टेशन: 7 महत्वपूर्ण केंद्र नष्ट
तकनीकी और साइबर युद्ध
- ईरान: शाहेद-149 ड्रोन, अब्दाली क्रूज़ मिसाइल, ्रढ्ढ-नियंत्रित हथियार
- इजऱाइल: स्काईलाइट, एल्टेरा रडार, थंडरशील्ड लेजर सिस्टम
- साइबर हमले: बैंकिंग सिस्टम, एयर ट्रैफिक, अस्पतालों की सेवाएँ प्रभावित
- सूचना युद्ध: सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरों की बाढ़
आर्थिक प्रभाव
- इजऱाइल: $55.6 बिलियन से अधिक आर्थिक क्षति
- 80% व्यवसाय बंद, टूरिज़्म पूरी तरह ठप
- विदेशी निवेश में भारी गिरावट
ईरान: नए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध
- रियाल की वैल्यू में 18 प्रतिशत गिरावट
- 6 लाख श्रमिकों का रोजगार छिन गया
भारत व अन्य एशियाई देश:
- 30,000+ श्रमिकों की आपात तैनाती
- सामाजिक और राजनीतिक विवाद
सामाजिक संकट
- शरणार्थी संकट: 12,000+ विस्थापित नागरिक, शिविरों में बदतर हालात
- शिक्षा बाधित: स्कूल और कॉलेज बंद, ऑनलाइन शिक्षा 45 प्रतिशत तक सीमित
- मानसिक स्वास्थ्य संकट: पीटीएसडी, अवसाद में 60 प्रतिशत वृद्धि, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ की टीमों की तैनाती
वैश्विक प्रभाव
- तेल की कीमत: $98 से $126 प्रति बैरल
- गैस आपूर्ति में: 18 प्रतिशत गिरावट
- एलएनजी कीमतें: 28प्रतिशत तक बढ़ीं
- विश्व मंदी की चेतावनी: आईएमएफ ने वैश्विक विकास दर 1.8 प्रतिशतआंकी
- खाद्य कीमतों में 12त्न वृद्धि, चिप्स और रक्षा सामग्री की आपूर्ति बाधित
कूटनीतिक हलचल
- यूएनएससी: दो बार आपात बैठकें; रूस-चीन युद्धविराम पक्ष में, अमेरिका इजऱाइल के साथ
- यूएनएचआरसी: इमरजेंसी फंड का गठन
भारत
- ‘ऑपरेशन शांतिपथ’ से 4700 भारतीयों की वापसी
- संसद द्वारा पारित शांति प्रस्ताव
- हेल्पलाइन और वीज़ा सहायता पोर्टल की स्थापना
अवशेष चुनौतियां और अगला मोर्चा
- युद्ध अब भी जारी है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में युद्धविराम की कोशिशें
- पश्चिम एशिया में नई ध्रुवीकरण की शुरुआत
- वैश्विक कूटनीति असमंजस में: कोई स्पष्ट समाधान नहीं
- नागरिक समाज और वैश्विक संस्थाओं पर बढ़ता दबाव
एक युद्ध, अनेक चेतावनियाँ
ईरान-इजऱाइल युद्ध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आज के युग में युद्ध केवल सैन्य सीमाओं तक सीमित नहीं रहते। यह ऊर्जा, साइबरस्पेस, आर्थिक नीतियों और वैश्विक जनभावनाओं को भी प्रभावित करते हैं। जब तक वैश्विक समुदाय समावेशी, बहुपक्षीय और संवाद-आधारित दृष्टिकोण को प्राथमिकता नहीं देगा, तब तक ऐसे संघर्ष बार-बार जन्म लेते रहेंगे। इस युद्ध ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि युद्ध में कोई विजेता नहीं होता — केवल मानवता हारती है।
