
यरूशलम/गाज़ा. Israel-Hamas War: इजऱाइल और हमास के बीच जारी भयावह युद्ध अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। इजऱाइली डिफेंस फोर्स ने शुक्रवार को दावा किया कि उसने गाज़ा पट्टी के लगभग 65% हिस्से पर संचालनात्मक नियंत्रण हासिल कर लिया है। यह युद्ध की दृष्टि से एक बड़ी सैन्य कामयाबी मानी जा रही है, लेकिन इसके साथ ही गाज़ा में मानवीय संकट भी अब त्रासदी की सीमा लांघ चुका है। संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसी यूएनआरडब्लयूए ने चेतावनी दी है कि गाज़ा में लोग भूख और कुपोषण से सडक़ों पर बेहोश होकर गिर रहे हैं, जबकि बुनियादी दवाओं, जल और बिजली की भारी किल्लत ने वहां जीवन लगभग असंभव बना दिया है।
इजऱाइली डिफेंस फोर्स की सैन्य सफलता: गाज़ा में दो-तिहाई इलाका अब इजऱाइली नियंत्रण में
इजऱाइली सेना का कहना है कि हाल के हफ्तों में चलाए गए तीव्र सैन्य अभियानों के परिणामस्वरूप गाज़ा के 65 प्रतिशत हिस्से पर इजऱाइल ने नियंत्रण स्थापित कर लिया है। इस अभियान में 7,500 से अधिक हवाई हमले किए गए, जिनमें हमास के हथियार डिपो, सुरंग नेटवर्क, रॉकेट लॉन्चिंग साइट्स और अन्य आतंकी ढांचों को निशाना बनाया गया। आईडीएफ के प्रवक्ता ने दावा किया कि बीते सप्ताह में 100 से अधिक हमास लड़ाकों को मारा गया है, जिनमें संगठन का एक वरिष्ठ कमांडर हाकेम अल-इस्सा भी शामिल है। इस कामयाबी को इजऱाइल ने हमास की सैन्य क्षमताओं को निर्णायक रूप से ध्वस्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
गाज़ा में मानवीय संकट गहराया: भूख से गिर रहे लोग, अस्पताल बंद’
जहां इजऱाइल अपनी सैन्य सफलता का दावा कर रहा है, वहीं गाज़ा की नागरिक आबादी इतिहास के सबसे गहरे मानवीय संकट से जूझ रही है। यूएनआरडब्लयूए ने चेताया है कि इलाके में खाने-पीने की चीजों, दवाओं, साफ पानी और बिजली की भयानक कमी हो गई है। एजेंसी के मुताबिक गाज़ा के नागरिक अब सडक़ों पर भूख और कुपोषण से बेहोश होकर गिर रहे हैं। अस्पतालों में बिजली नहीं है, ईंधन खत्म हो गया है और चिकित्सा केंद्र बंद हो चुके हैं। गाज़ा में रह रहे लगभग 23 लाख लोगों में से करीब 80 प्रतिशत आबादी विस्थापन का शिकार है, जिन्हें खाना, पानी, दवा और आश्रय तक मयस्सर नहीं है। इस संकट के बीच अंतरराष्ट्रीय समुदाय का मानवीय दबाव तेजी से बढ़ रहा है।
खान यूनिस में शरणार्थी शिविर पर हमला: 19 नागरिकों की मौत
इजऱाइली वायुसेना ने शुक्रवार सुबह दक्षिणी गाज़ा स्थित खान यूनिस में एक शरणार्थी शिविर पर बमबारी की, जिसमें 19 लोगों की जान चली गई। इस हमले में विशेष रूप से अबू खादिजा परिवार का शिविर निशाना बना, जिसमें महिलाएं और बच्चे भी मारे गए। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, राहत कार्य में भी भारी बाधाएं आईं क्योंकि कई रास्ते और सडक़ें बमबारी से ध्वस्त हो चुकी थीं। इस घटना ने युद्ध के मानवीय पहलुओं को और अधिक चिंताजनक बना दिया है।
हमास का बयान: युद्धविराम प्रस्ताव पर विचार-विमर्श जारी
हमास ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि उसने युद्धविराम के लिए मध्यस्थ देशों से प्राप्त प्रस्ताव पर फिलीस्तीनी गुटों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। बयान में कहा गया, हम सभी ताकतों और आंदोलनों के नेताओं से इस प्रस्ताव पर चर्चा कर रहे हैं। अंतिम निर्णय इन्हीं विचारों के आधार पर मध्यस्थों को दिया जाएगा। हालांकि, हमास की मुख्य मांग यह है कि इजऱाइल गाज़ा में भविष्य में कोई सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा और हमले स्थायी रूप से बंद होंगे। इसके बिना वह किसी प्रस्ताव को स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
अमेरिका की मध्यस्थता से आया युद्धविराम प्रस्ताव, लेकिन राह मुश्किल
प्राप्त जानकारी के अनुसार, युद्धविराम प्रस्ताव अमेरिका, मिस्र और कतर की मध्यस्थता से तैयार किया गया है। इस प्रस्ताव में तीन प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
- बंधकों की रिहाई-गाज़ा में हमास द्वारा पकड़े गए इजऱाइली नागरिकों को छोड़ा जाए।
- मानवीय सहायता की बहाली-गाज़ा में खाद्य, चिकित्सा और बिजली की आपूर्ति तुरंत शुरू हो।
- स्थायी युद्धविराम – इजऱाइल भविष्य में गाज़ा में सैन्य कार्रवाई न करने की गारंटी दे।
हालांकि रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्ताव के कई हिस्सों पर अभी भी बातचीत जारी है और अंतिम सहमति नहीं बनी है। इजऱाइल के सुरक्षा सलाहकारों के अनुसार, वे हमास को कोई खुली छूट नहीं देना चाहते जिससे वह फिर से अपनी सैन्य संरचना तैयार कर सके।
कूटनीतिक और मानवीय गतिरोध: अब युद्ध नहीं, समाधान चाहिए
यह संघर्ष अब केवल इजऱाइल-हमास के बीच सैन्य टकराव नहीं रहा, बल्कि यह एक गंभीर अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक संकट का रूप ले चुका है। अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र, मिस्र और कतर जैसे देश प्रयास कर रहे हैं कि युद्ध को रोका जाए और गाज़ा में राहत कार्यों की बहाली हो सके। लेकिन इजऱाइल की सुरक्षा चिंताएं और हमास की शर्तें इस प्रक्रिया को जटिल बना रही हैं। इजऱाइल का कहना है कि जब तक गाज़ा से रॉकेट फायरिंग की क्षमता पूरी तरह समाप्त नहीं होती, तब तक अभियान बंद नहीं किया जाएगा।
क्या अब रुक जाएगा युद्ध या और गहराएगी त्रासदी?
गाज़ा का 65 प्रतिशत हिस्सा इजऱाइल के नियंत्रण में आ जाने के बाद एक बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इजऱाइल अब अपने अभियान को विराम देगा? या फिर वह पूरा गाज़ा नियंत्रण में लेने के लिए अंतिम सैन्य चरण शुरू करेगा। दूसरी ओर, हमास का कहना है कि युद्धविराम तभी मान्य होगा जब ठोस सुरक्षा गारंटी दी जाए। लेकिन इस बीच, गाज़ा के नागरिकों की हालत हर घंटे बद से बदतर होती जा रही है। अब युद्ध का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि कूटनीतिक प्रयास कितने प्रभावशाली होते हैं, और क्या मानवता की पुकार, युद्ध की राजनीति को चुप करा सकेगी?
युद्ध के बीच गाज़ा की पुकार: हमें जिंदा रहने दो
इजऱाइल की सैन्य सफलता और हमास की रणनीतिक जटिलताओं के बीच जो सबसे अधिक पीडि़त है, वह है गाज़ा की आम जनता। भूख, भय, बीमारी और बेबसी ने गाज़ा को मानवता का कब्रिस्तान बना दिया है। अब सवाल यह नहीं है कि कौन जीतेगा-इजऱाइल या हमास? असली सवाल यह है कि क्या इस युद्ध में मानवता हार जाएगी?
इजऱाइल-हमास युद्ध: कारणों की गहराई से पड़ताल
1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: 1948 से चली आ रही जड़ें
- 1948 में इजऱाइल की स्थापना के साथ ही अरब-इजऱाइल संघर्ष की नींव पड़ी।
- फिलिस्तीनियों को अपना घर-बार छोडऩा पड़ा, जिसे वे नक़बा (विपत्ति) कहते हैं।
- 1948, 1967 और 1973 की अरब-इजऱाइल लड़ाइयों के बाद फि़लिस्तीनी इलाकों (गाज़ा, वेस्ट बैंक) में कब्ज़ा बढ़ा।
- 1967 के “छह दिवसीय युद्ध” के बाद इजऱाइल ने गाज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक पर कब्ज़ा कर लिया।
2. हमास का उदय और संघर्ष की नई दिशा (1987 से)
- 1987 में पहली इंतिफादा (फि़लिस्तीनी विद्रोह) के दौरान हमास का गठन हुआ।
- हमास एक इस्लामी संगठन है, जो इजऱाइल को एक अवैध यहूदी राज्य मानता है।
- इसका लक्ष्य है फि़लिस्तीन की “मुक्ति”, जिसके लिए ये हथियारबंद संघर्ष को अपनाता है।
3. गाज़ा पट्टी में हमास का नियंत्रण (2006-07)
- 2006 में हुए चुनावों में हमास ने जीत दर्ज की और 2007 में गाजा पर पूरी तरह नियंत्रण कर लिया।
- इसके बाद इजऱाइल और मिस्र ने गाज़ा की नाकेबंदी (ड्ढद्यशष्द्मड्डस्रद्ग) कर दी, जिससे वहां मानवीय संकट गहरा गया।
- इजऱाइल हमास को आतंकवादी संगठन मानता है (जैसे अमेरिका और यूरोपीय संघ भी)।
वर्तमान युद्ध के प्रत्यक्ष कारण (2023-2024)
1. 7 अक्टूबर 2023: अपरंपरागत हमला
- 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजऱाइल पर अचानक और बड़े पैमाने पर रॉकेट हमला किया।
- हजारों रॉकेट और ग्राउंड फाइटर्स ने दक्षिणी इजऱाइल में प्रवेश कर 1200 से अधिक लोगों की हत्या की और 250 से अधिक बंधक बनाए।
- इस हमले को इजऱाइल के लिए 9/11 जैसे आघात के रूप में देखा गया।
- इसके जवाब में इजऱाइल ने गाज़ा पर व्यापक सैन्य आक्रमण शुरू किया।
2. बंधक संकट और मानवाधिकार मुद्दे
- हमास ने दर्जनों इजऱाइली नागरिकों और सैनिकों को बंधक बना लिया।
- इजऱाइल के जवाबी हमलों में हजारों फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
- संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने मानवीय सहायता की कमी और भुखमरी पर चिंता जताई।
गहराई से देखने पर संघर्ष के अन्य प्रमुख कारण
1. यरुशलम और अल-अक्सा मस्जिद विवाद
- यरुशलम दोनों समुदायों – यहूदी और मुस्लिम – के लिए अत्यंत पवित्र है।
- अल-अक्सा मस्जिद (हरम अल शरीफ) को लेकर झड़पें बार-बार होती हैं।
- 2021 और 2022 में रमज़ान के दौरान पुलिस और फि़लिस्तीनियों के बीच हुई झड़पों ने तनाव को बढ़ाया।
2. इजऱाइली बस्तियों का विस्तार
- इजऱाइल ने वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियों का विस्तार किया है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध मानी जाती हैं।
- इन बस्तियों से फिलिस्तीनी भूमि में कटौती होती है और संघर्ष बढ़ता है।
- 3. गाज़ा की घेराबंदी और आर्थिक संकट
गाज़ा को 2007 से नाकेबंदी झेलनी पड़ रही है, जिससे वहाँ बेरोजग़ारी, बिजली संकट, खाद्य संकट और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। - हमास इसे “इजऱाइली दमन” बताता है और हथियार उठाने का औचित्य देता है।
4. विदेशी समर्थन और क्षेत्रीय राजनीति
- हमास को ईरान, क़तर और कुछ अन्य मुस्लिम देशों से समर्थन मिलता है (वैचारिक और हथियारबंद दोनों)।
- वहीं, इजऱाइल को अमेरिका और पश्चिमी देशों से सैन्य व कूटनीतिक समर्थन मिलता है।
- यह संघर्ष अब सिर्फ इजऱाइल-फिलिस्तीन का नहीं, बल्कि क्षेत्रीय व वैश्विक शक्ति संघर्ष बन चुका है।
क्या यह सिर्फ इजऱाइल-हमास का युद्ध है?
- नहीं। यह लड़ाई अब निम्नलिखित रूपों में बदल चुकी है:
- इजऱाइल बनाम हमास
- इजऱाइल बनाम ईरान समर्थित मिलिशिया (जैसे हिज़्बुल्लाह, हौथी)
- यहूदी राष्ट्रवाद बनाम मुस्लिम अस्मिता
- पश्चिमी दुनिया बनाम इस्लामी विरोधाभाव
- स्थानीय भू-राजनीति बनाम वैश्विक कूटनीति
समाधान के रास्ते कहां हैं?
1. दो-राष्ट्र समाधान
- संयुक्त राष्ट्र और अधिकांश देशों का मानना है कि समाधान का एकमात्र रास्ता है – दो स्वतंत्र राष्ट्र (इजऱाइल और फि़लिस्तीन)।
- परंतु इजऱाइली सरकार में कट्टर दक्षिणपंथी ताकतें इसका विरोध करती हैं।
- हमास भी इजऱाइल को मान्यता नहीं देता।
2. अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की भूमिका
- अमेरिका, यूरोपीय संघ, मिस्र, क़तर और तुर्की जैसे देश युद्धविराम के लिए पहल कर चुके हैं।
- लेकिन कोई स्थायी समाधान तभी संभव है जब विश्व समुदाय दबाव बनाए और दोनों पक्ष बातचीत करें।
