
नई दिल्ली. Israel-Iran War Live: 2025 की गर्मी में पश्चिम एशिया एक बार फिर विश्व संकट के मुहाने पर आ खड़ा हुआ है। ईरान और इस्राइल के बीच लंबे समय से चले आ रहे छद्म युद्ध और तनाव ने अब एक विकराल रूप ले लिया है। इस बार हालात इसलिए अधिक गंभीर हैं क्योंकि अब अमेरिका भी इस युद्ध में खुलकर शामिल हो चुका है। अमेरिकी स्टील्थ बॉम्बर्स द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किया गया हमला केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति और ऊर्जा सुरक्षा पर मंडरा रहे खतरे का संकेत है। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे अब तक के सभी घटनाक्रम, वर्तमान स्थिति, वैश्विक प्रतिक्रियाएं, अमेरिका की रणनीति, होरमुज जलडमरूमध्य की अहमियत, और यह युद्ध कैसे पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है।
युद्ध की जड़ें – कैसे शुरू हुआ सब कुछ?
अप्रैल 2025: शुरुआत
- इस्राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने दावा किया कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार बना रहा है।
- अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को इस दिशा में सबूत सौंपे गए और तुरंत कार्रवाई की मांग की गई।
- ईरान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण ऊर्जा उद्देश्यों के लिए है।
मई 2025: सीरिया व इराक में झड़पें
- इस्राइल ने सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया ठिकानों को निशाना बनाया।
- जवाब में ईरान ने इराक व सीरिया में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर रॉकेट हमले किए।
- अमेरिका ने इन हमलों को सीमित उकसावे कहकर कार्रवाई नहीं की, लेकिन स्थिति पर नजर रखी।
जून में तनाव का विस्फोट-हमले, जवाबी हमले और खतरे
10 जून 2025 – तेल अवीव पर हमला
- ईरान समर्थित हिजबुल्ला ने इस्राइल की राजधानी तेल अवीव पर मिसाइल हमला किया।
- 15 से अधिक नागरिक घायल हुए।
- इस्राइल ने इसे सीधी ईरानी आक्रामकता करार देते हुए युद्ध की चेतावनी दी।
15 जून-ईरानी वैज्ञानिक की हत्या
- नतान्ज़ में एक वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक की हत्या।
- ईरान ने इसके पीछे इस्राइल की साजिश का आरोप लगाया।
- तेहरान और शीराज जैसे शहरों में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए।
18 जून-इस्फहान पर ड्रोन हमला
- इस्राइल ने इस्फहान स्थित एक परमाणु संयंत्र के पास ड्रोन से हमला किया।
- ईरान की रिवोल्यूशनरी गाड्र्स ने इसे युद्ध की घोषणा मानते हुए जवाब देने का वादा किया।
22 जून की रात – ऑपरेशन मिडनाइट होरमज
क्या हुआ?
- अमेरिका ने पहली बार युद्ध में खुली सैन्य भागीदारी करते हुए ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान में स्थित तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया।
- B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स द्वारा गिराए गए बंकर बस्टर बमों ने इन साइटों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया।
- यह ऑपरेशन पूरी तरह गुप्त रखा गया और कुछ ही घंटों में पूरा कर लिया गया।
अमेरिका का तर्क
वॉशिंगटन ने दावा किया कि ये हमले ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए ज़रूरी थे। बाइडन ने आधिकारिक बयान में कहा, दुनिया को परमाणु खतरे से मुक्त रखना चाहते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान में कहा: अब समय है ईरान में शासन परिवर्तन का।
ईरान की प्रतिक्रिया-युद्ध की घोषणा, धमकियां और चेतावनी
विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने अमेरिका को अपूरणीय परिणामों के लिए तैयार रहने को कहा। राष्ट्रपति सलाहकार वेलायती ने कहा कि च्च्जो देश अमेरिका की मदद करेगा, वह ईरान का वैध सैन्य लक्ष्य होगा। ईरानी मीडिया ने कहा कि हमलों से गंभीर नुकसान हुआ है लेकिन च्च्पुनर्निर्माण युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र में ईरानी राजदूत अमीर सईद इरावानी ने कहा कि यह हमला अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है और अमेरिका ने च्च्ईरान पर युद्ध थोप दिया है।ज्ज्
होरमुज जलडमरूमध्य की धमकी-दुनिया की ऊर्जा नस दबाने की चेतावनी
होरमुज का महत्व: होरमुज जलडमरूमध्य दुनिया के 30% समुद्री तेल व्यापार का मार्ग है। यह मार्ग सऊदी अरब, इराक, ईरान, कुवैत और यूएई से होकर गुजरता है।
अगर ईरान बंद कर दे?
- वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें 150 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं।
- भारत, चीन और यूरोपीय देश सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
- कंटेनर ट्रैफिक में बाधा, खाद्य आपूर्ति संकट, और वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ जाएगा।
वैश्विक प्रतिक्रियाएं-शांति की अपील और चिंता
- जापान: हम परमाणु प्रसार के खिलाफ हैं। अमेरिका के हमलों को जरूरी बताया लेकिन कूटनीति की वापसी की मांग की।
- जर्मनी: चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा कि यह संघर्ष कूटनीति के माध्यम से ही हल हो सकता है। सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील।
- भारत: आधिकारिक रूप से भारत ने तटस्थ रुख रखा है। विदेश मंत्रालय ने सभी भारतीयों को मध्य पूर्व की यात्रा टालने की सलाह दी है।
- भारत की चिंता का प्रमुख कारण – ऊर्जा सुरक्षा और खाड़ी क्षेत्र में 90 लाख भारतीय नागरिकों की मौजूदगी है।
अमेरिकी रणनीति और आंतरिक विभाजन
विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि हम और हमला नहीं करेंगे अगर ईरान कोई और उकसावा नहीं करता। अमेरिकी कांग्रेस में बंटवारा है, डेमोक्रेट्स शांति की वकालत कर रहे हैं, जबकि रिपब्लिकन नेतृत्व आक्रामक नीति की मांग कर रहा है। ट्रंप के शासन परिवर्तन वाले बयान को कई विशेषज्ञ तेल हितों से प्रेरित मानते हैं।
वर्ल्डवाइल्ड अलर्ट, बाजारों में गिरावट और आम नागरिकों पर असर
- अमेरिकी विदेश विभाग ने वर्ल्डवाइल्ड कौशन अलर्ट जारी किया है।
- मध्य पूर्व की हवाई उड़ानों को निलंबित किया जा रहा है।
- अमेरिकी संस्थानों, दूतावासों और स्कूलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
- वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी जा रही है- खासकर तेल, उड्डयन और पर्यटन सेक्टर में।
- डॉलर की मांग बढ़ी है, और यूरो तथा एशियाई मुद्राएं दबाव में हैं।
तीन देशों का युद्ध या तीसरे विश्व युद्ध की ओर?
- अब यह टकराव केवल ईरान और इस्राइल तक सीमित नहीं रहा।
- अमेरिका की खुली सैन्य भागीदारी ने इसे एक त्रिपक्षीय युद्ध बना दिया है।
- क्षेत्रीय शक्तियाँ जैसे लेबनान, सीरिया, इराक, और यमन पहले ही सक्रिय हो चुकी हैं।
- हिजबुल्ला, हूती, और अन्य गुट ईरान के पक्ष में मोर्चा संभाल रहे हैं।
भारत पर प्रभाव
- भारत अपनी 85 प्रतिशत तेल आवश्यकता आयात करता है,जिसमें 60 प्रतिशत आपूर्ति खाड़ी से होती है।
- तेल की कीमतें बढऩे से महंगाई, चालू खाता घाटा और रुपये की कमजोरी जैसे संकट गहराने की आशंका।
- खाड़ी में काम करने वाले भारतीयों की सुरक्षा और उनकी आय में गिरावट का खतरा भी मौजूद है।
आगे की राह-क्या कूटनीति की वापसी संभव है?
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई गई है लेकिन अभी तक कोई ठोस प्रस्ताव सामने नहीं आया।
- यूरोपीय संघ और चीन बीच-बचाव की भूमिका निभा सकते हैं।
- भारत भी “सार्क + जीसीसी मध्यस्थ मंच” का प्रस्ताव रख सकता है।
परमाणु विवाद वैश्विक संकट की ओर
ईरान-इस्राइल युद्ध अब केवल दो देशों की लड़ाई नहीं रही-यह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के सामने खड़े सबसे बड़े संकटों में से एक बन चुका है। अगर समय रहते यह संघर्ष नहीं थमा, तो यह न केवल ऊर्जा सुरक्षा बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी खतरा बन सकता है। अमेरिका द्वारा उठाया गया कदम एक निर्णायक मोड़ है जो या तो मध्यपूर्व को शांति की ओर ले जा सकता है, या परमाणु संघर्ष की ओर धकेल सकता है।
