
नई दिल्ली. Israel-Iran War Update: ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे घातक संघर्ष में सोमवार रात एक बड़ा मोड़ आया, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच संघर्षविराम की घोषणा की। हालांकि इस घोषणा के बावजूद जमीनी हालात और बयानबाज़ी से संकेत मिलता है कि हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। इस लेख में जानिए इस संघर्ष के ताजा घटनाक्रम, अमेरिकी मध्यस्थता की भूमिका, तेहरान और बिएर शेवा में हुए हमलों की विस्तृत जानकारी और आगे की संभावनाओं का विश्लेषण।
ईरानी मिसाइल हमले में इस्राइल में तीन नागरिकों की मौत
सबसे ताजा और चौंकाने वाली खबर इस्राइल के दक्षिणी शहर बिएर शेवा से सामने आई है, जहां ईरान द्वारा दागी गई मिसाइल एक रिहायशी इमारत से टकरा गई। इस हमले में तीन नागरिकों की मौत हो गई, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। इस्राइली बचाव एजेंसी मगन डेविड एडोम के अनुसार, “घटनास्थल पर पहुंची एम्बुलेंस टीमों ने तीन मृतकों को बाहर निकाला, जबकि दो अन्य को तुरंत अस्पताल भेजा गया।”
ईरान से मिसाइल हमले की पुष्टि, इस्राइली रक्षा प्रणाली सक्रिय
इस्राइली सेना (आईडीएफ) ने आधिकारिक बयान में पुष्टि की है कि सोमवार सुबह ईरान से दागे गए कई मिसाइलों को देश की ओर आते हुए ट्रैक किया गया था। इस्राइली रक्षा प्रणाली आयरन डोम को तुरंत सक्रिय किया गया। आईडीएफ का बयान: कुछ देर पहले ईरान से इस्राइल की ओर मिसाइल लॉन्च किए गए। कई इलाकों में सायरन बजे और हमारी रक्षा प्रणाली तुरंत सक्रिय हुई। हम स्थिति पर निगरानी बनाए हुए हैं।
ईरानी विदेश मंत्री की टिप्पणी: अंतिम क्षण तक जारी रही सैन्य कार्रवाई
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में संकेत दिया कि ईरान की सैन्य कार्रवाई अब समाप्त हो चुकी है। ईरान की सैन्य कार्रवाई अंतिम क्षण तक जारी रही। हम अपनी सशस्त्र सेनाओं को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने देश की रक्षा और जवाबी कार्रवाई में निर्णायक भूमिका निभाई। उनकी इस टिप्पणी से संकेत मिलता है कि ईरान अब संघर्ष विराम की ओर बढ़ रहा है, हालांकि तेहरान में इस्राइली हमलों की खबरें एक अलग ही तस्वीर पेश करती हैं।
डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से बना संघर्ष विराम
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार देर रात संघर्षविराम की घोषणा करते हुए कहा कि वह आशा करते हैं कि यह स्थायी होगा। ट्रंप ने कहा कि ईरान और इस्राइल के बीच संघर्ष अब थम चुका है। हमने काफी प्रयास किए हैं कि दोनों पक्षों में शांति स्थापित हो सके। यह केवल एक शुरुआत है, पर मुझे विश्वास है कि यह स्थायी शांति की दिशा में पहला कदम है। हालांकि, व्हाइट हाउस ने इस पर कोई औपचारिक प्रेस वार्ता नहीं की। दिनभर सभी संचार केवल ट्रंप के सोशल मीडिया अकाउंट से ही हुए। सूत्रों के अनुसार, ट्रंप ने संघर्षविराम को लेकर कांग्रेस के कई सदस्यों और खाड़ी देशों के नेताओं से भी टेलीफोन पर बातचीत की, जिससे यह समझौता संभव हो सका।
तेहरान पर इस्राइली हमले की खबरें
ईरानी राज्य मीडिया ने दावा किया है कि सोमवार रात को इस्राइल ने तेहरान पर ताजा मिसाइल हमले किए हैं। इस हमले की पुष्टि हालांकि अभी तक इस्राइली सरकार ने नहीं की है। तेहरान स्थित सूत्रों के अनुसार, राजधानी के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में धमाकों की आवाज़ें सुनी गईं और कई क्षेत्रों में बिजली गुल हो गई। सरकारी टेलीविजन ने इसे “इस्राइल की उकसावे वाली कार्रवाई” करार दिया है।
इस संघर्ष का अब तक का घटनाक्रम
- 24 जून, सुबह 7:35 ईरानी विदेश मंत्री ने “सैन्य कार्रवाई के अंत” की घोषणा की।
- 24 जून, सुबह 8:11 इस्राइली सेना ने ईरानी मिसाइल हमले की पुष्टि की, रक्षा प्रणाली सक्रिय।
- 24 जून, सुबह 9:17 बिएर शेवा में ईरानी मिसाइल हमले में तीन की मौत, दो घायल।
- 23 जून, रात डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्षविराम की घोषणा की।
- 23 जून, देर रात ईरानी मीडिया: इस्राइल ने तेहरान पर हमला किया।
क्या यह संघर्षविराम टिकेगा?
संघर्षविराम की घोषणा से एक ओर जहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने राहत की सांस ली है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी सच्चाई इससे बिल्कुल भिन्न नजर आ रही है। ईरान की तरफ से मिसाइल दागे जाना और इस्राइल का कथित जवाबी हमला -ये संकेत देते हैं कि संघर्ष अभी पूर्णत: थमा नहीं है। अमेरिका द्वारा मध्यस्थता और ट्रंप की सीधी संलिप्तता इसे अस्थायी रूप से शांत करने में सफल रही है, लेकिन राजनयिक बातचीत और ठोस समझौतों के बिना इस शांति को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
वैश्विक प्रतिक्रिया और रणनीतिक प्रभाव
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपात बैठक बुलाई है।
- यूरोपीय यूनियन ने संघर्षविराम की सराहना की है लेकिन दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है।
- सऊदी अरब, तुर्की, रूस और चीन ने अलग-अलग बयान जारी कर इस स्थिति पर नजर रखने की बात कही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह संघर्षविराम सफल रहा तो यह ट्रंप की विदेश नीति के लिए बड़ी जीत होगी। वहीं, ईरान और इस्राइल दोनों के भीतर कट्टरपंथी गुट इस समझौते से असहज नजर आ रहे हैं।
आगे क्या?
- संयुक्त राष्ट्र की ओर से संघर्षविराम की निगरानी के लिए निरीक्षक भेजे जा सकते हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका आने वाले दिनों में दोनों पक्षों के साथ अलग-अलग शांति वार्ता की योजना बना रहा है।
- तेहरान और यरुशलम में स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है, जिससे संघर्षविराम के स्थायित्व पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ईरान-इस्राइल के बीच कई वर्षों से छुपी चली आ रही दुश्मनी अब एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है। ट्रंप की मध्यस्थता से आई यह अस्थायी शांति स्वागत योग्य है, लेकिन इस क्षेत्र में स्थायी समाधान के लिए गहन कूटनीतिक प्रयासों और आपसी विश्वास बहाली की जरूरत है।
दो विचारधाराओं की टकराहट
ईरान और इस्राइल के बीच चल रहा तनाव एक सीधा सैन्य संघर्ष नहीं था, बल्कि दशकों तक चला एक छद्म युद्ध था, जो 2020 के बाद और फिर 2024-2025 में सीधे सैन्य टकराव में बदलता गया।
- ईरान: एक शिया इस्लामी गणराज्य, जो इस्राइल को ‘नाजायज ज़ायोनी शासनÓ कहकर उसकी वैधता को अस्वीकार करता रहा है।
- इस्राइल: एक यहूदी राष्ट्र, जो खुद को पश्चिम एशिया में एकमात्र लोकतांत्रिक शक्ति मानता है और ईरान को अपने अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बताता है।
1979: इस्लामी क्रांति और दुश्मनी की शुरुआत
ईरान और इस्राइल के संबंध 1979 तक अच्छे माने जाते थे। इस्राइल ईरान को सैन्य उपकरण बेचता था और दोनों अमेरिका के सहयोगी थे। लेकिन फिर आया खोमैनी के नेतृत्व में इस्लामी क्रांति। इस क्रांति के बाद ईरान ने इस्राइल से संबंध तोड़ दिए। खोमैनी ने इस्राइल को “शैतान का बच्चा” कहा और फिलिस्तीनियों का समर्थन शुरू किया। ईरान ने हमास, हिजबुल्ला और अन्य चरमपंथी संगठनों को समर्थन देना शुरू किया।
1982 से 2000: हिज़बुल्ला का उदय और लेबनानी मोर्चा
- ईरान ने लेबनान में हिज़बुल्ला को खड़ा किया, जो इस्राइल के खिलाफ छापामार युद्ध लड़ता रहा।
- 1982 में इस्राइल ने लेबनान पर आक्रमण किया था, जिसके बाद ईरान ने हिजबुल्ला को समर्थन देना तेज किया।
- 1990 के दशक में हिज़बुल्ला ने इस्राइल पर कई बार रॉकेट हमले किए।
- यह वह दौर था जब ईरान छाया में रहकर इस्राइल से युद्ध लड़ रहा था।
2000 के बाद: परमाणु विवाद और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति
- 2002: ईरान के गुप्त परमाणु कार्यक्रम का खुलासा
- नतांज और अराक़ परमाणु संयंत्रों की जानकारी दुनिया के सामने आई।
- इस्राइल ने इसे अपने अस्तित्व के लिए सीधा खतरा बताया।
2006-2015: इस्राइल और अमेरिका के साइबर हमले
- 2010 में स्टक्सनेट नामक वायरस से ईरान के परमाणु संयंत्रों को नुकसान पहुंचाया गया।
- यह हमला अमेरिका और इस्राइल की संयुक्त साइबर रणनीति का हिस्सा था।
2011-2020: छद्म युद्ध के और गहरे निशान
सीरिया: मुख्य युद्धभूमि
- ईरान ने सीरिया के बशर अल-असद को समर्थन देकर वहां अपनी सैन्य मौजूदगी मजबूत की।
- इस्राइल ने सीरिया में ईरानी ठिकानों पर 200 से अधिक हवाई हमले किए।
- ये हमले सीधे तौर पर ईरान-इस्राइल की छाया लड़ाई का हिस्सा थे।
जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या (2020)
- अमेरिका द्वारा बगदाद एयरपोर्ट पर ईरान के आईआरजीसी कमांडर जनरल सुलेमानी की हत्या की गई।
- इस्राइल ने इस हत्या का समर्थन किया, जिससे दोनों देशों में कटुता और बढ़ गई।
2021-2023: साइबर युद्ध और हॉर्मुज़ तनाव
- ईरान ने इस्राइल की बिजली कंपनियों, जल प्रबंधन तंत्र और परिवहन प्रणाली पर साइबर हमले किए।
- इस्राइल ने जवाब में ईरान की तेल टैंकर प्रणाली और नौवहन प्रणाली को बाधित किया।
2024: खुला युद्ध शुरू होने की भूमिका
घटनाएं जो युद्ध की तरफ ले गईं
- मार्च 2024: इस्राइल ने सीरिया में ईरानी हथियार काफिले को निशाना बनाया- आईआरजीसी के कई जवान मारे गए।
- अप्रैल 2024: तेहरान में रहस्यमयी धमाका-ईरान ने इस्राइल को दोषी ठहराया।
- मई 2024: इस्राइल की हाइफा बंदरगाह पर रॉकेट हमला- जवाब में इस्राइल ने दमिश्क और तेहरान के सैन्य ठिकानों पर हमले किए।
- जून 2024: हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य पर ईरानी नौसेना और इस्राइली नौसेना में टकराव।
2025: खुली जंग की शुरुआत
अप्रैल 2025: इस्राइल ने आईआरजीसी मुख्यालय पर मिसाइल हमले किए।
मई 2025
- ईरान ने पहली बार तेल अवीव पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं।
- इस्राइल ने जवाब में तेहरान के रडार सिस्टम और कमांड सेंटर को निशाना बनाया।
जून 2025: पूर्ण सैन्य संघर्ष
- ईरान ने हैफा और बिएर शेवा पर कई मिसाइलें दागीं — दर्जनों नागरिक हताहत।
- इस्राइल ने एफ-35 विमानों से ईरानी सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए।
- अमेरिका, रूस, चीन समेत अन्य देशों ने इस संघर्ष पर गहरी चिंता जताई।
डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता और संघर्षविराम
2025 के मध्य में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्षविराम की पहल की। उन्होंने:
- ईरान और इस्राइल दोनों के नेताओं से संपर्क साधा।
- रूस, तुर्की, चीन और यूएन को भी विश्वास में लिया।
- आखिरकार जून 2025 में एक संघर्षविराम की घोषणा की गई।
- हालांकि अभी भी स्थिति पूरी तरह शांत नहीं है।
अब तक का सामरिक मूल्यांकन
- पहलू: ईरान इस्राइल
- समर्थन प्राप्त: हिजबुल्ला, हौथी, सीरियाई सरकार अमेरिका, यूएई, सऊदी
- सैन्य ताकत: क्षेत्रीय मिसाइल, ड्रोन्स, समुद्री ताकत स्न-35, आयरन डोम, डॉल्फिन पनडुब्बी
- साइबर क्षमताएं: बैंकों और अवसंरचना पर हमले परमाणु संयंत्रों पर वायरस
- रणनीति: क्षेत्रीय घेराव, छद्म युद्ध बिंदु हमले, प्रतिघात
भविष्य की आशंकाएं
संघर्षविराम अस्थायी साबित हो सकता है, क्योंकि ईरान की क्षेत्रीय रणनीति और इस्राइल की ‘पूर्व-हमला नीतिÓ में कोई बदलाव नहीं आया है। परमाणु हथियारों को लेकर नई शंका फिर से खड़ी हो रही है। अगर ईरान परमाणु क्षमता प्राप्त करता है, तो इस्राइल के लिए खतरा कई गुना बढ़ जाएगा।
यह केवल संघर्ष नहीं, दो विचारधाराओं का युद्ध है
ईरान-इस्राइल युद्ध कोई साधारण सैन्य संघर्ष नहीं है। यह राजनीति, धर्म, विचारधारा और अस्तित्व की लड़ाई है। दोनों देश अपने-अपने उद्देश्यों में अड़े हुए हैं: ईरान इस्राइल को खत्म करना चाहता है और फिलिस्तीन की आजादी का पक्षधर है। इस्राइल ईरान को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है और किसी भी क़ीमत पर इसे रोकना चाहता है। शांति तब तक संभव नहीं जब तक दोनों पक्षों में कूटनीतिक संतुलन, क्षेत्रीय विश्वास और बाहरी शक्तियों की सधी हुई मध्यस्थता न हो।
