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ISRO’s historic achievement: 100वां मिशन सफल, नेविगेशन सैटेलाइट लॉन्च कर रचा नया इतिहास

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ISRO’s historic achievement: 100th mission successful, created new history by launching navigation satellite

श्रीहरिकोटा.ISRO’s historic achievement:  भारत ने अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने 100वें मिशन को सफलता के साथ अंजाम दिया। इस ऐतिहासिक मिशन के तहत इसरो ने नेविगेशन सैटेलाइट एनवीएस-02 (NVS-02) का सफल प्रक्षेपण किया, जो भारत के स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम “नाविक” (Navigation with Indian Constellation – NavIC) को और मजबूत बनाएगा।

श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण

इस मिशन का सफल प्रक्षेपण बुधवार सुबह 6:23 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के द्वितीय लॉन्च पैड से किया गया। GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) रॉकेट की यह 17वीं उड़ान थी, जिसमें क्रायोजेनिक इंजन के साथ 19 मिनट की यात्रा के बाद सैटेलाइट को सफलतापूर्वक जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित कर दिया गया।

100वें मिशन पर इसरो प्रमुख की प्रतिक्रिया

इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन, जिनके नेतृत्व में यह पहला मिशन था, ने सफलता पर खुशी जताते हुए कहा: “मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि 2025 का हमारा पहला मिशन पूरी तरह सफल रहा। यह इसरो का 100वां मिशन है, जो हमारे लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।”

कैसे काम करेगा यह सैटेलाइट?

NVS-02 सैटेलाइट भारतीय उपमहाद्वीप और इसके आसपास 1,500 किमी तक के क्षेत्र में सटीक स्थिति, समय और गति की जानकारी प्रदान करेगा। यह नेविगेशन उपग्रह नाविक (NavIC) श्रृंखला का दूसरा उपग्रह है और इसकी खासियतें हैं:

  • सटीक GPS सेवाएं: भारत में बने उपकरणों के लिए बेहतर नेविगेशन और लोकेशन ट्रैकिंग।
  • एविएशन और समुद्री नेविगेशन: हवाई जहाज और जहाजों के लिए सटीक दिशानिर्देश।
  • आपदा प्रबंधन: भूकंप, बाढ़ और अन्य आपदाओं के दौरान सटीक लोकेशन डेटा।
  • मोबाइल और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): स्मार्ट डिवाइसेज़ में बेहतर लोकेशन बेस्ड सर्विसेज।
नाविक सिस्टम: भारत का अपना GPS

नाविक (NavIC) प्रणाली अमेरिका के GPS, रूस के GLONASS, यूरोप के Galileo और चीन के BeiDou की तरह भारत का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम है। इसमें दूसरी पीढ़ी के पांच उपग्रह शामिल हैं – NVS-01, NVS-02, NVS-03, NVS-04 और NVS-05। इनका निर्माण बेंगलुरु स्थित यू आर राव सैटेलाइट सेंटर में किया गया है।

NVS-02 सैटेलाइट की विशेषताएं

  • वजन: 2,250 किलोग्राम
  • फ्रीक्वेंसी बैंड: L1, L5 और S बैंड
  • नई तकनीक: ‘ट्राई-बैंड एंटीना’
भारत के लिए बड़ी उपलब्धि

इसरो ने हाल ही में अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक का भी सफल परीक्षण किया था, जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को मानवयुक्त मिशनों और गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए तैयार करेगा। यह मिशन गगनयान और अन्य भविष्य की योजनाओं के लिए एक बड़ा कदम है।

आगे की राह

ISRO अब 2025 में कई और बड़े मिशनों की तैयारी कर रहा है, जिसमें चंद्रयान-4, आदित्य-L2, गगनयान और मंगलयान-2 शामिल हैं। भारत अब अंतरिक्ष महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है!

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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