
जयपुर. Jaipur fire accident: जयपुर में हुए गैस टैंकर विस्फोट ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस दर्दनाक हादसे में अब तक 14 लोगों की जान जा चुकी है, और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो ने इस त्रासदी को और भी भयावह बना दिया है। वीडियो में एक मोटर मैकेनिक, जो खुद आग की लपटों में घिरा हुआ था, मदद की गुहार लगाते हुए 600 मीटर तक पैदल चलता हुआ दिखाई दे रहा है, जबकि आसपास खड़े लोग सिर्फ उसका वीडियो बनाते रहे, मदद नहीं की।
कभी न भूलने वाली त्रासदी: राधेश्याम की जलती हुई यात्रा
यह हादसा शुक्रवार सुबह हुआ था, जब 32 वर्षीय राधेश्याम चौधरी, जो जयपुर की नेशनल बियरिंग्स कंपनी में मोटर मैकेनिक थे, अपनी मोटरसाइकिल से घर से निकले थे। जैसे ही विस्फोट हुआ, राधेश्याम आग की लपटों में फंस गए और वह भागने की कोशिश करने लगे। हालांकि, आग ने उन्हें पकड़ लिया, लेकिन वह 600 मीटर तक आग में जलते हुए चलने में सफल रहे। इस दौरान उनकी मदद के बजाय, लोग सिर्फ वीडियो रिकॉर्ड करते रहे। राधेश्याम का भाई, अखेराम, जब घटना के बारे में जानकर हीरापुरा बस टर्मिनल पहुंचे, तो उन्हें अपने भाई की जलती हुई हालत में सड़क पर पड़ा हुआ पाया। अखेराम ने बताया, “मुझे बताया गया कि वह विस्फोट स्थल से लगभग 600 मीटर दूर मदद की गुहार लगा रहा था। लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया, लोग बस वीडियो बना रहे थे।”
अस्पताल जाते वक्त बयान देने की कोशिश
राधेश्याम चौधरी को उनकी हालत में अस्पताल पहुंचाने के लिए उनके भाई और पड़ोसी ने गाड़ी से अस्पताल जाने का फैसला लिया, क्योंकि उन्हें लगा कि एंबुलेंस का इंतजार करना बेकार होगा। अस्पताल जाते समय राधेश्याम होश में थे और उन्होंने अपने भाई को घटना की पूरी जानकारी दी।
अंतिम समय में भी बचने की उम्मीद थी, लेकिन…
राधेश्याम की हालत गंभीर थी, और उन्हें जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में भर्ती किया गया। उनके भाई को उम्मीद थी कि वह बच जाएंगे, लेकिन 85% जलने के कारण राधेश्याम की जान नहीं बच सकी। राधेश्याम उन 14 लोगों में शामिल थे, जिन्होंने इस भयावह हादसे में अपनी जान गंवाई।
सवाल खड़े करते हुए
इस घटना ने सवाल उठाए हैं कि जब किसी इंसान की जान खतरे में हो, तो क्या हमें सिर्फ वीडियो रिकॉर्ड करने से रोकने की जिम्मेदारी नहीं बनती? क्या इंसानियत पहले नहीं होनी चाहिए, बजाय इसके कि हम किसी की दर्दनाक स्थिति को सोशल मीडिया पर वायरल करने के लिए प्रयोग करें? यह हादसा न सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि हमारे समाज के उस पहलू को भी उजागर करता है, जहां इंसानियत के मुकाबले सोशल मीडिया और वर्चुअल लाइक और फॉलोवर्स की प्राथमिकता बढ़ती जा रही है।
