ग्रेटर नोएडा. Jewar Airport Project: नोएडा एयरपोर्ट के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के तीसरे और चौथे चरण की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। इस चरण में लगभग 40,000 किसानों को कुल 10,000 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। यह राशि 14 गांवों के किसानों के बीच वितरित की जाएगी। किसानों की सूची तैयार कर ली गई है और अब इसे संबंधित किसानों के साथ साझा करने का काम शुरू हो गया है।
पहले और दूसरे चरण में, जहां क्रमशः 1334 और 1365 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया था, किसानों को क्रमशः 4000 करोड़ और 6200 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था। लेकिन अब तीसरे और चौथे चरण में कुल 2053 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। यह क्षेत्र पिछले चरणों से लगभग 700 हेक्टेयर अधिक है, लेकिन मुआवजा पहले के मुकाबले थोड़ा कम है, हालांकि तीन गुना अधिक दर पर इसे दिया जाएगा।
मुआवजे की दर और भूमि का उपयोग
पहले चरण में मुआवजा लगभग 1800 रुपये प्रति वर्गमीटर था, जबकि तीसरे और चौथे चरण में यह बढ़कर 4300 रुपये प्रति वर्गमीटर हो जाएगा। इस चरण में दो नए रनवे के निर्माण के अलावा, 300 हेक्टेयर भूमि एमआरओ (Maintenance, Repair and Overhaul) के लिए रिज़र्व की जाएगी, जहां विमान निर्माण से संबंधित कंपनियों की इकाइयां स्थापित की जाएंगी।
सबसे प्रभावित इलाके और किसान
यमुना प्राधिकरण के अनुसार, इस अधिग्रहण में सबसे अधिक प्रभावित गांव थोरा और रामनेर होंगे, जहां करीब 17,000 किसान होंगे। इसके अतिरिक्त नीमका शाहजहांपुर, खाजपुर, पारोही, किशोरपुर, बनवारीबांस, जेवर बांगर, मुकीमपुर शिवारा, साबौता, अहमदपुर चौरौली, दयानतपुर, रोही और बंकापुर जैसे गांवों के 25,000 से ज्यादा किसान भी प्रभावित होंगे।
विस्थापन की योजना
इस अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले 9,000 से ज्यादा किसान परिवारों के विस्थापन का मुद्दा भी उठ खड़ा हुआ है। एसएआई की रिपोर्ट के अनुसार, 10,847 बच्चों, 16,343 पुरुषों और 15,243 महिलाओं के जीवन पर इस भूमि अधिग्रहण का असर पड़ेगा। इस विस्थापन के स्थान पर चर्चा शुरू हो चुकी है, और सरकार इसे लेकर जल्द ही योजना तैयार करेगी। कुल मिलाकर, जेवर एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के तीसरे और चौथे चरण के लिए भूमि अधिग्रहण और मुआवजे की प्रक्रिया किसानों के लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आ रही है, लेकिन इसे लेकर विस्थापन और अन्य समस्याएं भी उठ रही हैं, जिनका समाधान करना जरूरी होगा।