
जोधपुर. Jodhpur DRDO: क्या आप जानते हैं कि अब युद्ध के मैदान में भारतीय सेना के टैंक, तोप और अन्य हथियार दुश्मन की नजरों से ओझल हो जाएंगे? जी हां, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने एक ऐसी अद्भुत कैमोफ्लेज तकनीक विकसित की है जो भारतीय हथियारों को दुश्मनों के लिए पूरी तरह से अदृश्य बना देगी। DRDO की जोधपुर स्थित रक्षा प्रयोगशाला ने आर्मी के हथियारों और वाहनों के लिए विशेष तरह का पेंट और स्टीकर तैयार किए हैं। ये स्टीकर हाई रेजोल्यूशन कैमरे के थर्मल और इन्फ्रा रेड सेंसर को धोखा दे देते हैं, जिससे हथियार दुश्मन के लिए किसी साधारण वस्तु की तरह दिखाई देने लगती है।
पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में टी-90 टैंक पर परीक्षण
इस तकनीक का सफल परीक्षण जैसलमेर के पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में टी-90 टैंक पर किया गया है। परीक्षण में यह पाया गया कि इस तकनीक से लैस टैंक, हाई रेजोल्यूशन कैमरे में भी एक सामान्य वस्तु की तरह दिखाई दे रहा था। यह तकनीक भारतीय सेना की क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी। अब दुश्मन भारतीय सेना के ठिकानों का पता लगाने में सक्षम नहीं होंगे। इस तकनीक के विकास के साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास ऐसी अत्याधुनिक तकनीक है।
तैयार किए 5 तरह के स्टीकर
रक्षा प्रयोगशाला ने विशेष एल्गोरिदम की मदद से पांच सैन्य रंग शेड में बहु-स्पेक्ट्रल छलावरण स्टीकर तैयार किए हैं। इसमें रेत की तरह, वनस्पति के रंग, भूरे रंग, सफेद रंग और एक अन्य रंग का स्टीकर शामिल हैं। इन स्टीकर को टैंक अथवा आर्मी के अन्य सामान पर लगाने से यह एनआईआर और टीआईआर सेंसर के डिटेक्शन रेंज को कम करने में अत्यधिक प्रभावी हैं।
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सैन्य अभियानों में मिलेगी मदद
गौरतलब है कि दुश्मन देश के सैटेलाइट, एरियन व्हीकल और ग्राउण्ड पर ऊंचाई पर कैमरे लगाकर सैन्य हथियारों की संख्या और उनके प्रकार को डिटेक्ट करके सामने वाले की क्षमता व स्थिति की सटीक जानकारी लेते रहते हैं। सैटेलाइट पर लगे थर्मल व इन्फ्रा रैड कैमरे विभिन्न वस्तुओं का सिग्नेचर लेते हैं। इससे सैन्य अभियानों में मदद मिलेगी।
