
जयपुर. Legal Mining In Rajasthan: राजस्थान की धरती खनिज संपदा से समृद्ध रही है, लेकिन वैध खनन को लेकर लंबे समय से कई तरह की चुनौतियां सामने आती रही हैं। इन्हीं चुनौतियों को कम करने और राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा देने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत राज्य के हजारों क्वारी लाइसेंस धारकों और अप्रधान खनिज लीज धारकों को खनन पट्टों की अवधि बढ़ाने के लिए अब 30 सितंबर 2025 तक ऑनलाइन आवेदन करने की छूट दी गई है। यह निर्णय सिर्फ खनन पट्टों की अवधि वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे राज्य सरकार की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा देने की मंशा भी साफ झलकती है। मुख्यमंत्री के इस फैसले से न केवल राज्य सरकार के खजाने में राजस्व का प्रवाह बढ़ेगा, बल्कि अवैध खनन पर भी लगाम लगेगी। Quarry License Extension 2025
क्यों लिया गया यह निर्णय?
मुख्यमंत्री के समक्ष हाल ही में कई जनप्रतिनिधियों ने यह मुद्दा रखा था कि खान एवं भूविज्ञान विभाग के डीएमजी ऑनलाइन सिस्टम पर क्वारी लाइसेंस के डाटा का अपडेट नहीं होने के कारण कई लाइसेंसधारक पहले निर्धारित तारीख 31 मार्च 2025 तक अवधि वृद्धि का आवेदन नहीं कर पाए। इसके चलते न सिर्फ लाइसेंसधारकों को परेशानी हो रही थी बल्कि खनन गतिविधियां भी प्रभावित हो रही थीं। सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए तत्काल प्रभाव से राजस्थान अप्रधान खनिज रियायत नियमावली-2017 के नियम 9 (3ए) और 10 (3ए) में संशोधन करने का निर्णय लिया। इस संशोधन के बाद अब लगभग 2500 क्वारी लाइसेंस धारकों को राहत मिल सकेगी और उनकी खनन गतिविधियां बिना किसी अवरोध के जारी रह सकेंगी।
क्या होगा फायदा?
- राजस्व में होगा इजाफा: खनन पट्टों की अवधि बढऩे से वैध खनन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे राज्य सरकार को ज्यादा राजस्व प्राप्त होगा।
- अवैध खनन पर लगाम: जब वैध खनन की प्रक्रिया सरल होगी तो अवैध खनन की प्रवृत्ति पर भी प्रभावी अंकुश लगेगा।
- व्यावहारिक समस्याओं का समाधान: क्वारी लाइसेंसों के डेलिनियेशन की प्रक्रिया में आ रही व्यावहारिक दिक्कतें भी अब दूर हो जाएंगी।
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस: खनिज क्षेत्र में व्यापार करना आसान होगा और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।
नियमों का सरलीकरण भी हुआ
राज्य सरकार ने नियमों को सरल बनाते हुए अप्रधान खनिज लीज अवधि में वृद्धि के अधिकार अब संबंधित खनिज अभियंता व सहायक अभियंता को दे दिए हैं। अब लीज धारकों को अलग-अलग स्तर पर आवेदन करने की जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा। इतना ही नहीं, अप्रधान खनिज के खनन पट्टों और क्वारी लाइसेंस की अवधि वर्ष 2040 तक बढ़ाए जाने के बाद देय प्रीमियम राशि को एकमुश्त चुकाने की बाध्यता भी खत्म कर दी गई है। अब यह राशि अधिकतम पांच किश्तों में जमा कराई जा सकेगी। इससे छोटे खनन उद्यमियों को बड़ी राहत मिलेगी।
आगे क्या उम्मीद?
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के इस फैसले को खनिज क्षेत्र के विशेषज्ञ और लाइसेंस धारक बेहद सकारात्मक कदम मान रहे हैं। इससे राज्य में खनिज आधारित उद्योगों को स्थिरता और विश्वास मिलेगा। साथ ही स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। खनिज क्षेत्र से जुड़े जानकारों का मानना है कि यह फैसला राज्य सरकार के खनिज नीति को मजबूत करेगा और आने वाले वर्षों में राजस्थान को खनिज उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी बनाए रखने में सहायक सिद्ध होगा। राजस्थान में खनिज क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। मुख्यमंत्री के हालिया फैसले से यह उम्मीद बंधी है कि वैध खनन को बढ़ावा मिलेगा, अवैध खनन पर लगाम लगेगी और हजारों खनन उद्यमियों को राहत मिलेगी। सरकार का यह निर्णय एक बार फिर इस बात को साबित करता है कि राज्य सरकार खनिज क्षेत्र में पारदर्शिता, सरलता और व्यापारिक सुगमता को प्राथमिकता देती है। आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम पूरे राज्य को देखने को मिलेंगे।
यह फैसला क्यों जरूरी था?
अब सवाल यह उठता है कि सरकार को यह फैसला क्यों लेना पड़ा? दरअसल, खान एवं भूविज्ञान विभाग के डीएमजी ऑनलाइन सिस्टम में डाटा अपडेट नहीं हो पाने से हजारों लाइसेंस धारक पिछड़ गए थे। इसके चलते वैध खनन पर भी असर पडऩे लगा था। कई जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष यह विषय रखा कि अगर इन लोगों को राहत नहीं दी गई तो एक तरफ वैध खनन रुक जाएगा और दूसरी तरफ अवैध खनन को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए सरकार ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए यह फैसला लिया।
किन्हें मिलेगा फायदा?
- क्वारी लाइसेंस धारक: राज्य में हजारों छोटे-बड़े क्वारी ऑपरेटर हैं, जो कंक्रीट, बजरी, पत्थर और अन्य निर्माण सामग्री का उत्खनन करते हैं। इन्हें अब अपनी अवधि बढ़ाने के लिए अतिरिक्त समय मिल गया है।
- अप्रधान खनिज लीज धारक: ये वो खनिज हैं जो बड़ी खानों में नहीं आते-जैसे पत्थर, बजरी, मौरंग आदि। ऐसे लीज धारकों को भी राहत दी गई है।
- राज्य सरकार: जब वैध खनन बढ़ेगा, तो सरकार को रॉयल्टी के रूप में ज्यादा राजस्व मिलेगा। यह पैसा विकास कार्यों में लगेगा।
कैसे बदले जाएंगे नियम?
राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इसके लिए नियमों में संशोधन किया जाएगा। अप्रधान खनिज रियायत नियमावली-2017 के नियम 9(3ए) और 10(3ए) में बदलाव कर दिए जाएंगे, ताकि भविष्य में तकनीकी अड़चनें लाइसेंस धारकों को परेशान न कर सकें।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर जोर
राजस्थान सरकार का यह कदम सिर्फ एक तिथि बढ़ाने तक सीमित नहीं है। इसके पीछे सरकार की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस नीति भी छुपी हुई है। सरकार चाहती है कि खनन क्षेत्र में कारोबारियों को बेवजह के कागजी कामकाज और विभागों के चक्कर न काटने पड़ें। इसलिए, अब अप्रधान खनिज लीज अवधि बढ़ाने के अधिकार सीधे खनिज अभियंता और सहायक अभियंता को दे दिए गए हैं। मतलब, आवेदक को जिला स्तर पर अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे।
प्रीमियम राशि भी आसान
पहले क्या होता था?
अगर किसी खनिज लीज धारक को अपनी अवधि 2040 तक बढ़ानी होती थी तो उसे पूरी प्रीमियम राशि एकमुश्त जमा करनी पड़ती थी। कई छोटे खनन उद्यमियों के लिए यह संभव नहीं था। अब सरकार ने इसमें भी राहत दी है- अब प्रीमियम राशि को 5 किश्तों में जमा कराया जा सकता है। यह राहत छोटे उद्यमियों को वित्तीय दबाव से बचाएगी और उनकी लीज बिना बाधा बढ़ती रहेगी।
अवैध खनन पर भी लगेगी लगाम
यह निर्णय केवल लाइसेंस धारकों के हित में नहीं है। इसका दूसरा बड़ा मकसद अवैध खनन को रोकना भी है। जब वैध खनन के लाइसेंस सरलता से बढ़ेंगे तो अवैध उत्खनन करने वालों के लिए गुंजाइश कम रह जाएगी। विभाग को भी मॉनिटरिंग आसान होगी।
क्या होगा इसका बड़ा असर?
- राजस्व में बढ़ोतरी: जैसे-जैसे वैध खनन बढ़ेगा, वैसे-वैसे सरकार की आय में इज़ाफा होगा।
- रोजगार सृजन: खनन क्षेत्र सीधे और अप्रत्यक्ष तौर पर लाखों लोगों को रोजगार देता है। अवधि बढऩे से रोजगार स्थिर रहेंगे।
- निर्माण उद्योग को फायदा: निर्माण कार्यों में उपयोग होने वाली बजरी, पत्थर जैसी सामग्री आसानी से और सस्ते दाम पर मिलेगी। इससे महंगाई पर भी रोक लगेगी।
राजस्थान क्यों है खनिज संपदा में आगे?
क्या आप जानते हैं?
राजस्थान में लगभग 79 प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। इनमें जिंक, तांबा, जिप्सम, चूना पत्थर, संगमरमर, ग्रेनाइट, बजरी, पत्थर और मौरंग जैसी चीजें शामिल हैं। राज्य सरकार हर साल हजारों करोड़ रुपये खनन रॉयल्टी से कमाती है। यही वजह है कि खनन नीति को सरल और पारदर्शी रखना सरकार की प्राथमिकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
खनन क्षेत्र से जुड़े जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री का यह कदम लंबी अवधि में राजस्थान को खनन के क्षेत्र में और मजबूत करेगा। इससे छोटे उद्यमियों को राहत मिलेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था को स्थिरता भी मिलेगी।
