नई दिल्ली. Loksabha Session: गुरुवार को लोकसभा में अमेरिका से लौटे अप्रवासियों के मुद्दे पर विपक्षी दलों के हंगामे ने कार्यवाही को दो बार स्थगित करवा दिया। सुबह 11 बजे सदन की बैठक शुरू होते ही विपक्षी सदस्य अमेरिका से जबरन भेजे गए भारतीयों के मुद्दे पर नारेबाजी करने लगे। इस हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कीर्ति झा आजाद का नाम पुकारा, और नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने जवाब देना शुरू किया, लेकिन विपक्ष की नारेबाजी लगातार बढ़ती गई।
क्या था हंगामे का कारण?
विपक्षी दलों ने सरकार से मांग की थी कि वह अमेरिका से लौटे अप्रवासियों के मुद्दे पर संसद में बयान दे, लेकिन सरकार ने इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इस पर विपक्षी सदस्य और भी आक्रामक हो गए और नारेबाजी करने लगे, जिससे सदन में पूरी तरह से शोर-शराबा मच गया।
पीठासीन अधिकारी का बयान और कार्यवाही स्थगन
सदन की कार्यवाही को नियंत्रित करने की कोशिशों के बावजूद विपक्षी सदस्य शांत नहीं हुए। पीठासीन अधिकारी दिलीप सैकिया ने शोर-शराबे के बीच कहा कि विपक्ष द्वारा जो कार्यस्थगन प्रस्ताव दिए गए थे, उन पर अध्यक्ष ने कोई निर्णय नहीं लिया है। इसके बाद उन्होंने कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने की अपील की, लेकिन विपक्ष ने इसका कोई असर नहीं लिया। इस स्थिति में सैकिया ने स्पष्ट किया कि विपक्षी सदस्य क्या सदन की कार्यवाही को नहीं चलाना चाहते हैं? और फिर उन्होंने घोषणा की कि सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी जाती है।
अध्यक्ष का आग्रह और विपक्ष की नाराज़गी
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष से बार-बार अपील की कि वे सदन की कार्यवाही में सहयोग करें और अपनी चिंता सरकार तक पहुंचाने का एक उचित तरीका अपनाएं। उन्होंने कहा, “विदेश नीति का मुद्दा है, और यह सरकार के संज्ञान में है। इस प्रकार के व्यवधान से सदन की कार्यवाही में कठिनाई उत्पन्न होती है, जो उचित नहीं है।” लेकिन विपक्ष ने उनकी अपील का कोई असर नहीं लिया, जिससे कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।
क्या होगा आगे?
लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे स्थगित होने के बाद, अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि क्या विपक्ष सरकार से अप्रवासियों के मुद्दे पर जवाब प्राप्त कर सकेगा या यह हंगामा लगातार जारी रहेगा।
