
Maha Kumbh 2025: 2025 का महाकुंभ 13 जनवरी से प्रयागराज में आयोजित होने जा रहा है, जिसमें लगभग 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने और पुण्य लाभ के लिए संगम तट पर पहुंचेगे। महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है और इस बार यह धार्मिक अनुष्ठान और आस्था का सबसे बड़ा समागम बनने वाला है। इस दौरान श्रद्धालु केवल स्नान ही नहीं, बल्कि दान, विशेष रूप से अन्नदान, भी करेंगे। हर बार की तरह इस महाकुंभ में विभिन्न संस्थाएं भंडारे आयोजित करने के लिए आ रही हैं, जिनमें से ओम नमः शिवाय संस्था की पहल सबसे प्रमुख है।
भंडारे की विशाल व्यवस्था: साधु-संतों के कैंप में लाखों लोगों के लिए खाना
महाकुंभ के दौरान साधु-संतों और विभिन्न संस्थाओं के कैंपों में लाखों श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था की जाती है। इन भंडारों में विशाल किचन तैयार किए जाते हैं, जहां हजारों लोग काम करते हैं। ओम नमः शिवाय संस्था के किचन में चौबीसों घंटे रसोइये भोजन तैयार करते हैं, और सैकड़ों लोग प्रसाद वितरण में जुटे रहते हैं। यहां के विशाल बर्तन देखकर कोई भी चौंक सकता है।
25 लाख श्रद्धालुओं को भोजन कराने का संकल्प
दीपक सिंह, जो इस भंडारे की व्यवस्था देखते हैं, बताते हैं कि उनका यह भंडारा पिछले 40 वर्षों से लगातार चल रहा है। इस बार महाकुंभ में लगभग 25 लाख श्रद्धालुओं को भोजन प्रदान करने का संकल्प लिया गया है। यह भंडारा मेले की शुरुआत से ही चलता रहेगा, और हर प्रकार की आपदा में यह भंडारा श्रद्धालुओं की मदद के लिए आगे रहता है। यहां तक कि लॉकडाउन के दौरान भी इस भंडारे ने अपनी सेवाएं दी थीं।
700 से 800 सदस्य कर रहे 24 घंटे काम
दीपक सिंह आगे कहते हैं, “मेला शुरू भी नहीं हुआ और हम पिछले 20 दिनों से लोगों को भोजन खिला रहे हैं। हमारा भंडारा 24 घंटे चलता है। हमारे पास 700 से 800 सदस्य हैं, जो सात से आठ जगहों पर इस भंडारे की व्यवस्था करेंगे। यहां पर सारी मशीनें और सेटअप तैयार हैं, ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।”
शुद्धता और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान
भंडारे में विशेष ध्यान रखा जाता है कि भोजन की शुद्धता और गुणवत्ता में कोई समझौता न हो। दीपक सिंह बताते हैं, “हमारा गुरु हमेशा यही कहते हैं कि हमें शुद्धता का पूरा ध्यान रखना है। इस बार हमारा उद्देश्य 25 लाख श्रद्धालुओं को भोजन देना है, और हम इसे पूरा करेंगे।”
रोजाना हजारों लोगों को भोजन की सेवा
महाकुंभ शुरू होने से पहले भी यह भंडारा रोजाना हजारों श्रद्धालुओं को भोजन प्रदान कर रहा है। यहां बड़ी-बड़ी कढ़ाइयों में रोटियां, आटा और सब्जियां तैयार की जाती हैं। प्रत्येक चरण में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है, ताकि कोई भी श्रद्धालु भोजन से जुड़ी समस्या का सामना न करे।
सेवाभाव में निहित आनंद: रजनी अग्रवाल की बात
इस भंडारे में काम कर रही एक सेविका, रजनी अग्रवाल, जो अयोध्या से आई हैं, बताती हैं, “हमारे गुरु के सानिध्य में यह काम सेवा भाव से करते हैं, और इस सेवा से हमें जो आनंद मिलता है, वह शब्दों में नहीं कहा जा सकता।” महाकुंभ के इस भंडारे का उद्देश्य न केवल श्रद्धालुओं को आहार प्रदान करना है, बल्कि यह एक तरह से उनके आत्मिक कल्याण का भी माध्यम बनता है। 2025 में जब लाखों लोग संगम तट पर पुण्य लाभ के लिए जुटेंगे, तब इन विशाल भंडारों से उनके लिए एकमात्र लक्ष्य होगा – शुद्ध भोजन और सेवा भाव में समर्पण।
