
प्रयागराज, महाकुंभ नगर. Mahakumbh 2025: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को महाकुंभ के इस ऐतिहासिक अवसर पर परिवार सहित प्रयागराज पहुंचे। उनके इस दौरे ने महाकुंभ के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और भी उजागर किया। शाह अपने पूर्व निर्धारित समय के अनुसार सुबह लगभग 11 बजे प्रयागराज हवाई अड्डे पर पहुंचे, जहां उनका स्वागत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। इसके बाद, शाह हेलीकॉप्टर से डीपीएस हेलीपैड पहुंचे और वहां से अरैल घाट पर क्रूज में सवार होकर संगम तट के लिए रवाना हो गए।
संगम तट पर आस्था की डुबकी
अमित शाह ने अपने महाकुंभ यात्रा के दौरान साधु-संतों से मुलाकात की और संगम के तट पर स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना भी की। उन्होंने विशेष रूप से लेटे हनुमान जी और अक्षय वट का दर्शन कर पूजा की। इस दौरान, उन्होंने पंक्षियों को दाना भी खिलाया, जो उनके साधु-संतों और प्रकृति के प्रति आस्था का प्रतीक था। उनके साथ उनके परिवार के सदस्य भी थे, जो इस धार्मिक यात्रा का हिस्सा बने।
धार्मिक एकता और अखंडता का संदेश
शाह ने इस दौरे को विशेष रूप से धार्मिक एकता और अखंडता के प्रतीक के रूप में देखा। उन्होंने अपने संक्षिप्त दौरे के दौरान स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा और अन्य संतों के साथ भी भोजन किया। इस दौरान, उन्होंने गुरु शरणानंद जी महाराज, गोविंद गिरी जी महाराज, और विभिन्न शंकराचार्यों से भी भेंट की, और उनका आशीर्वाद लिया।
महाकुंभ का महत्व: सनातन संस्कृति का प्रतीक
प्रयागराज रवाना होने से पहले, गृह मंत्री अमित शाह ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, “महाकुंभ सनातन संस्कृति की अविरल धारा का अद्वितीय प्रतीक है। कुंभ समरसता पर आधारित हमारे सनातन जीवन-दर्शन को दर्शाता है। आज धर्म नगरी प्रयागराज में एकता और अखंडता के इस महापर्व में संगम स्नान करने और संतजनों का आशीर्वाद लेने के लिए उत्सुक हूं।” उनके इस बयान ने महाकुंभ के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को और स्पष्ट किया, और इस आयोजन को सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक बताया।
सुरक्षा व्यवस्था और यात्रा का महत्व
अमित शाह के दौरे के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। उनकी यात्रा के दौरान चार घंटे से अधिक समय तक वह महाकुंभ क्षेत्र में रुकेंगे। उनके प्रत्येक कदम की निगरानी के लिए सुरक्षा बलों के व्यापक प्रबंध किए गए थे, ताकि इस धार्मिक यात्रा का कोई भी पहलू बाधित न हो। इस दौरे ने महाकुंभ की महिमा को एक नई ऊंचाई दी और केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा इसमें भाग लेने से यह आयोजन और भी महत्वपूर्ण बन गया। शाह का यह कदम न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देने वाला था, बल्कि यह सामाजिक एकता, समरसता और भारत की सांस्कृतिक धरोहर को भी सम्मानित करने वाला था।
