मुंबई. Maharashtra Politics:भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आखिरकार महाराष्ट्र में सियासी संकट को सुलझा लिया है और सत्ता-साझाकरण को लेकर एक बड़ा समझौता किया है। वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भाजपा के सत्ता-साझाकरण प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। इसके तहत भाजपा को मुख्यमंत्री पद मिलेगा, जबकि दो उपमुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे और अजित पवार को अहम जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। इस समझौते को लेकर भाजपा की ओर से अधिकारिक रूप से घोषणा की गई है कि 5 दिसंबर को मुंबई के आज़ाद मैदान में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा।
सत्ता-साझाकरण का खाका: महायुति का समझौता
महाराष्ट्र में भाजपा के साथ गठबंधन कर रही शिंदे गुट और अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी के प्रतिनिधियों ने आपसी सहमति से एक शक्ति-साझाकरण योजना तैयार की है। इसके अनुसार, भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस को राज्य का अगला मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाएगा। हालांकि, इस फैसले पर अंतिम मुहर भाजपा की विधायक दल की बैठक में बुधवार सुबह लगाई जाएगी।
समझौते के तहत एकनाथ शिंदे और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त किया जाएगा। शिंदे गुट को शहरी विकास विभाग जैसे अहम मंत्रालय मिलने की संभावना है, जबकि अजित पवार की एनसीपी को वित्त मंत्रालय और विधानसभा में उपाध्यक्ष पद जैसे महत्वपूर्ण पद मिल सकते हैं। भाजपा को गृह मंत्रालय और राजस्व विभाग जैसे प्रमुख मंत्रालय मिलने की उम्मीद है।
राज्य में सत्ता-साझाकरण की यह योजना ‘महायुति’ नामक गठबंधन के तहत बनाई गई है, जिसमें भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) शामिल हैं। इस गठबंधन के तहत सभी दलों को अपने-अपने हिस्से का मंत्री पद और विभाग मिलने की संभावना जताई जा रही है। शिवसेना को विधान परिषद के उपाध्यक्ष पद पर भी अधिकार मिल सकता है, क्योंकि उन्हें पहले से विधान परिषद के अध्यक्ष पद के लिए चुना गया है।
NCP को मिल सकता है कैबिनेट मंत्री का पद
मोदी सरकार में एनसीपी को भी महत्वपूर्ण पद मिलने की संभावना है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी की ओर से यह मांग की जा रही है कि उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाए। पहले एनसीपी ने राज्य मंत्री के पद को ठुकरा दिया था, लेकिन अब पार्टी का रुख थोड़ा बदला है और वे अपने राजनीतिक दबाव का फायदा उठाते हुए भाजपा से और अधिक मंत्रालयों की मांग कर सकते हैं।
हाल ही में अजित पवार ने दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी, और इस मुलाकात में मंत्रिमंडल गठन पर चर्चा हुई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा को राज्य में लगभग 21 से 22 मंत्री पद मिल सकते हैं। वहीं, एनसीपी को 9 से 10 मंत्री पद मिलने की संभावना जताई जा रही है। शिवसेना, जो पहले 16 मंत्रालयों की उम्मीद लगाए बैठी थी, अब 12 मंत्रालयों पर समझौता करने को तैयार है।
कांग्रेस ने उठाए सवाल, देरी को लेकर किया हमला
महाराष्ट्र में चुनाव परिणाम घोषित हुए काफी समय हो चुका है, लेकिन सरकार गठन में हो रही देरी पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के महासचिव सचिन सावंत ने महायुति सरकार के गठन में हो रही देरी को लेकर तीखा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि महायुति के नेता सत्ता के लालच में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें जनता की समस्याओं का ध्यान नहीं रहा।
सावंत ने कहा, “इतनी देर क्यों हो रही है? कैबिनेट को 26 नवंबर तक गठन कर लिया जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया। यह महायुति सरकार के नेताओं के ‘सत्ता की बुखार’ का नतीजा है।” उनका मानना है कि महायुति के नेता अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं और जनता की जरूरतों को नजरअंदाज कर रहे हैं। उनका आरोप था कि सरकार गठन में देरी सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही है, न कि जनता की भलाई के लिए।
सत्तारूढ़ गठबंधन में समन्वय की चुनौती
महाराष्ट्र में सत्ता-साझाकरण का यह समझौता पहले से ही कई राजनीतिक उथल-पुथल से घिरा हुआ था। खासकर शिवसेना और एनसीपी में हुए कई मतभेदों और भाजपा के साथ गठबंधन के बाद प्रदेश की राजनीति में अस्थिरता का माहौल बना हुआ था। हालांकि, भाजपा के नेतृत्व में अब यह समझौता हुआ है कि सभी दल अपने हिस्से के पदों पर समझौता करेंगे और एक स्थिर सरकार बनाने की दिशा में काम करेंगे।
कुल मिलाकर, महाराष्ट्र की राजनीति में यह समझौता भाजपा के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, जिसमें वह सत्ता का प्रमुख हिस्सा संभालने जा रही है। वहीं, शिवसेना और एनसीपी के सहयोग से यह गठबंधन आगामी चुनावों में अपनी मजबूती दिखाने का प्रयास करेगा।
