
नई दिल्ली. Manmohan Singh death : पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय अर्थव्यवस्था के जनक डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 की रात हुआ, जिसके बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। 92 वर्षीय डॉ. सिंह को अचानक तबियत बिगड़ने पर दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल लाया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन के बाद, केंद्र सरकार ने सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है और उनका अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
राजकीय सम्मान में अंतिम विदाई, आधा झुका रहेगा पार्टी ध्वज
डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान पर लाया गया, जहां भारत के सबसे सम्मानित और प्रभावशाली नेताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता उपस्थित होंगे। उनकी बेटी, जो अमेरिका में रहती हैं, आज रात भारत लौटने की तैयारी में हैं, ताकि वे भी अपने पिता को अंतिम सलामी दे सकें। कांग्रेस पार्टी ने भी पार्टी के आधिकारिक कार्यक्रमों को सात दिन के लिए स्थगित कर दिया है, और पार्टी ध्वज आधा झुका रहेगा। कांग्रेस के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने बताया कि पार्टी अपने कार्यक्रम 3 जनवरी 2025 से फिर से शुरू करेगी।
मनमोहन सिंह का ऐतिहासिक योगदान
डॉ. मनमोहन सिंह का कार्यकाल भारत के लिए ऐतिहासिक बदलावों का समय था। 1991 में आर्थिक संकट के बीच, उन्होंने साहसिक आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को न केवल संकट से उबारा बल्कि उसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ा कर दिया। उनके नेतृत्व में भारत ने ‘लाइसेंस राज’ को समाप्त किया, और व्यापार व औद्योगिक नीतियों को उदार बनाया।
नौकरशाही और राजनीति में 5 दशकों का योगदान
डॉ. मनमोहन सिंह के पांच दशक लंबे करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया:
- 1991-1996: पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री
- 2004-2014: भारत के प्रधानमंत्री
- 1982-1985: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर
- 1985-1987: योजना आयोग के उपाध्यक्ष
- 1991: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष
- 1971: भारत सरकार में वाणिज्य मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला
डॉ. मनमोहन सिंह की उपलब्धियां केवल राजनीति तक सीमित नहीं थीं। उनकी आर्थिक नीतियों और सुधारों ने भारत को एक मजबूत और स्थिर अर्थव्यवस्था में बदल दिया, जिसने वैश्विक मंच पर भारत की सशक्त पहचान बनाई।
मनमोहन सिंह के पांच ऐतिहासिक फैसले
- सोने का गिरवी रखना: 1991 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को संकट से उबारने के लिए 67 टन सोने को गिरवी रखा गया।
- रुपये की अवमूल्यन: भारतीय रुपये की कीमत को 20% कम कर दिया गया, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिला।
- लाइसेंस राज का अंत: औद्योगिक नीति में सुधार करके व्यापार को उदार किया और सरकारी हस्तक्षेप को कम किया।
- विदेशी निवेश में वृद्धि: FDI की सीमा बढ़ाई, जिससे भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला।
- कर सुधार और टैक्स नीतियां: भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए टैक्स संरचना में बदलाव किया।
नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता की आज भी होती है देश भर में चर्चा
आज पूरा देश अपने महान नेता को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है, जो भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अनगिनत योगदानों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। डॉ. मनमोहन सिंह के योगदानों ने भारत को आर्थिक संकट से उबारने के साथ-साथ उसे दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शुमार किया। उनकी नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता की आज भी देश भर में चर्चा होती है। उनके द्वारा किए गए सुधार और निर्णयों ने न केवल देश की तस्वीर बदली, बल्कि पूरे समाज की सोच और दृष्टिकोण में भी बदलाव लाया।उनका योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में स्थायी रूप से दर्ज रहेगा, और उनकी यादें और नीतियां आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।
