sanskritiias

Menstruation awareness: “महावारी के दौरान स्वास्थ्य और स्वच्छता में बदलाव की नई पहल: रीयूजेबल पैड्स से गांव-गांव में जागरूकता की लहर”

Share this post

Menstruation awareness
Menstruation awareness: “New initiative to change health and hygiene during menstruation: Reusable pads create awareness in every village”

धौलपुर (राजस्थान). Menstruation awareness: महिलाओं के स्वास्थ्य और मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के प्रति समाज में कई भ्रांतियाँ और गलतफहमियां बनी रहती हैं। इन समस्याओं का समाधान खोजना आसान नहीं था, लेकिन राजस्थान की एक युवा महिला ने इस दिशा में अपनी एक अनूठी पहल से न केवल ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी बदलने की कोशिश की, बल्कि पूरे समाज में जागरूकता का एक नया सूरज भी उगाया है। हम बात कर रहे हैं मालविका मुद्गल की, जिन्होंने अपने फाउंडेशन “जगन संकल्प इनोवेशन फाउंडेशन” के माध्यम से महिलाओं के लिए कपड़े से बने रीयूजेबल सैनिटरी पैड्स मुहैया कराकर एक क्रांतिकारी बदलाव लाने का काम किया है।

रीयूजेबल पैड्स: पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद

महावारी के दौरान महिलाएं अक्सर घर में पड़े कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, जो ना सिर्फ अस्वच्छ होते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक हो सकते हैं। इसके अलावा, बाजार में मिलने वाले सैनिटरी पैड्स प्लास्टिक और रसायनों से बने होते हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। इसी समस्या का समाधान पेश करते हुए मालविका ने कपड़े से बने रीयूजेबल सैनिटरी पैड्स तैयार किए हैं, जिन्हें महिलाएं धोकर 12 से 18 महीने तक पुनः उपयोग कर सकती हैं। ये पैड्स न केवल स्वच्छता बनाए रखने में मदद करते हैं, बल्कि महिलाएं इनका इस्तेमाल करके पर्यावरण की रक्षा भी कर सकती हैं, क्योंकि इनमें प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होता।

स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना: काउंसलिंग और शिक्षा

मालविका का मानना है कि किसी भी सामाजिक बदलाव के लिए शिक्षा और जागरूकता सबसे अहम कड़ी होती है। इसलिए, उन्होंने सिर्फ पैड्स वितरित करने तक ही अपनी पहल सीमित नहीं रखी, बल्कि महिलाओं और किशोरियों के लिए मासिक धर्म के दौरान स्वास्थ्य, स्वच्छता और आवश्यक सावधानियों पर काउंसलिंग सत्र भी आयोजित किए। इन सत्रों में उन्हें ऐंठन, दर्द, अत्यधिक रक्तस्राव, PCOS जैसी समस्याओं और उनके समाधान के बारे में जानकारी दी गई। यह पहल गांवों में महिलाओं के बीच खुलकर चर्चा करने और मासिक धर्म से जुड़ी गलत धारणाओं को दूर करने में सफल रही है।

ग्रामीण इलाकों में बड़ी सफलता: शिविरों के माध्यम से बदलाव

मालविका ने इस मुहिम की शुरुआत जनवरी 2023 में की थी, लेकिन इसके व्यापक अभियान की शुरुआत मई 2024 में की गई। अब तक, मालविका और उनके फाउंडेशन ने धौलपुर, राजाखेड़ा, बसेड़ी जैसे छोटे-छोटे गांवों में 17 शिविरों का आयोजन किया है, जिनमें लगभग डेढ़ हजार महिलाओं को रीयूजेबल पैड्स और मासिक धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। इन शिविरों में महिलाएं ना केवल पैड्स प्राप्त करती हैं, बल्कि अपने स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं और संकोचों को भी खुलकर साझा करती हैं।

मालविका का कहना है, “आज महिलाएं माहवारी के दौरान अपनी समस्याओं को लेकर खुलकर सवाल पूछ रही हैं। पहले जो विषय चुपचाप सहन किया जाता था, अब उस पर खुलकर चर्चा हो रही है।” इससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी पहल ने महिलाओं के बीच मानसिकता में एक सकारात्मक बदलाव लाया है।

गांव-गांव में जागरूकता की लहर

मालविका की पहल का असर सिर्फ धौलपुर जिले तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि जयपुर के हाथीगांव और सिविल लाइंस जैसे क्षेत्रों में भी शिविरों का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के बीच मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को समाप्त करना और उन्हें बेहतर स्वच्छता की जानकारी देना है। इस पहल से जुड़ी एक खास बात यह है कि लगभग 55% महिलाएं जिन्होंने रीयूजेबल पैड्स प्राप्त किए थे, वे उनका नियमित रूप से उपयोग कर रही हैं, जो कि इस पहल की सफलता का एक महत्वपूर्ण संकेत है।

मालविका की समाज सेवा की ओर यात्रा

मालविका मुद्गल का जीवन एक प्रेरणा है। बेंगलूरु से एमबीए करने के बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पब्लिक पॉलिसी की पढ़ाई करने के बाद भी उनका दिल अपनी माटी और समाज के लिए कुछ करने की चाहत से भरा था। दिल्ली में कई बड़ी कंपनियों में काम करने के बावजूद, उन्होंने अपने जन्म स्थान धौलपुर को अपनी कर्मभूमि बनाने का निर्णय लिया। वहां उन्होंने ग्रामीण इलाकों में जाकर महिलाओं के स्वास्थ्य, स्वच्छता और शिक्षा के मुद्दों पर काम करना शुरू किया।

आगे का रास्ता: युवा और महिलाओं के लिए नये अवसर

मालविका का कहना है कि उनकी पहल सिर्फ महिलाओं तक सीमित नहीं है। वे बेरोजगार युवाओं के लिए भी स्किल डवलपमेंट कार्यक्रम चला रही हैं। इसके लिए उन्होंने दिल्ली के बाधवानी फाउंडेशन से संपर्क कर 80 छात्रों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया है, जो जल्द ही धौलपुर जिले के आठ कॉलेजों में लागू किया जाएगा।

समाज में बड़ा बदलाव लाने की दिशा में एक कदम

मालविका मुद्गल की यह पहल न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ा रही है, बल्कि यह ग्रामीण इलाकों में समाजिक बदलाव का एक उदाहरण प्रस्तुत कर रही है। रीयूजेबल सैनिटरी पैड्स के माध्यम से उन्होंने महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील किया है और उन्हें अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करने के लिए प्रेरित किया है। यह पहल सिर्फ एक उत्पाद नहीं, बल्कि एक समग्र समाजिक बदलाव की दिशा में बढ़ता कदम है, जो आने वाले समय में और भी महिलाओं की जिंदगी बदलने में सहायक साबित होगा।

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

Leave a Comment

ख़ास ख़बरें

ताजातरीन

best news portal development company in india